झांसी।
दुनिया में आओ तो यूं आओ
दुनिया से जाओ तो यूं जाओ
आओ तो ले आना
जाओ तो दे जाना।
झांसी के सीपरी बाजार स्थित आवास विकास कालोनी निवासी श्रीमती नीलमा शिवहरे (पत्नी स्व. श्री सुरेशचंद्र शिवहरे) ने जीवन के इसी सार को चरितार्थ किया है। 77 वर्षीय श्रीमती नीलमा शिवहरे जाते-जाते मानव कल्याण की इच्छा से अपना देहदान कर अमर हो गईं। सोमवार 13 मार्च की सुबह श्रीमती नीलमा के गौलोकवासी होने जाने पर उनके पुत्र श्री शरद शिवहरे ने उनकी पार्थिक देह झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कालेज प्रशासन को सौंप दी।
श्रीमती नीलमा शिवहरे काफी समय से बीमार चल रही थीं। पुत्र श्री शरद शिवहरे और पुत्र-वधु श्रीमती सुषमा शिवहरे उनकी देखभाल कर रहे थे। कुछ दिन पूर्व उन्होंने अपने पुत्र से देहदान करने की इच्छा जताई थी ताकि उनके पार्थिक शरीर पर मेडिकल छात्र शोध कर सकें, शायद किसी लाइलाज बीमारी का उपचार इस शोध से संभव हो जाए। श्रीमती नीलमा की इस चेतना की एक वजह यह भी रही कि उनका परिवार मेडिकल लाइन से जुड़ा रहा है। पति मेडिकल लाइन मे थे, और पुत्र भी। कई रिश्तेदार भी मेडिकल लाइन से हैं।
सोमवार सुबह करीब दस बजे श्रीमती नीलमा ने अंतिम सांस लीं। यह दुखद समाचार सुनकर कई रिश्तेदार और मित्रगण वहां पहुंच गए। श्री शरद शिवहरे ने अपनी मां की इच्छा के अनुसार उनका देहदान करने के बारे में बात की तो सभी ने माताजी के महान सोच की सराहना करते हुए उनकी इच्छा का सम्मान करने के उनके विचार का भी समर्थन किया। शाम चार बजे सभी परिवारीजन, रिश्तेदार और मित्र उनके शव को लेकर मेडिकल कालेज पहुंचे जहां कागजी कार्रवाई पूरी कर शाम करीब चार बजे उसे डाक्टर अंशुल जैन की सुपुर्दगी में दे दिया।
शरद शिवहरे ने बताया कि माताजी की यही अंतिम इच्छा थी। उनका कहना था कि शव को जलाकर राख कर देने से कोई फायदा नहीं, मरने के बाद उनका शरीर किसी के काम आ जाए, यह उनका सबसे बड़ा पुण्य होगा।
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झांसीः इस ‘महादान’ से अमर हो गईं श्रीमती नीलमा शिवहरे; परिवार ने मेडिकल कालेज को सौंपी माताजी की पार्थिव देह
- by admin
- March 13, 2023
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- 3 years ago
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