आगरा।
ये लखनऊ की उभरती कथक नृत्यांगना सुश्री सुनयना जायसवाल हैं, जिन्होंने शनिवार (17 जून) रात को आगरा में सूरसदन के मंच पर भजन सम्राट अनूप जलोटा के भजनों पर अपने भाव-नृत्य से सभी को मोह लिया। यूं कहें कि लखनऊ घराने की इस कथक नृत्यांगना ने अपनी अद्भुत प्रस्तुतियों से अनूप जलोटा के भजन-संगीत को पूर्णता प्रदान की, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। सुर-लय और ताल के साथ उनके घुंघरू बंधे पैरों की थिरकन ने दर्शकों को इस कदर रोमांचित कर दिया कि सूरसदन उनकी हर प्रस्तुति पर तालियों की गड़गड़ागट से गूंज उठता था।
कार्यक्रम के दौरान शिवहरेवाणी ने सुश्री सुनयना जायसवाल से विशेष बातचीत की। सुनयना संगीत को अपनी इबादत, अपनी पूजा मानती हैं। बाराबंकी के खैराबीरू गांव निवासी श्री दीपचंद जायसवाल एवं श्रीमती अंजलि जायसवाल की पुत्री सुनयना की शुरुआती और माध्यमिक शिक्षा गांव के पास हैदरगढ़ में एक कान्वेंट स्कूल से हुई। घर में संगीत-कला का कोई माहौल तो नहीं था लेकिन सुनयना को बचपन से ही डांस का शौक था। स्कूल के कार्यक्रमों में वह फिल्मी गानों और भजनों पर नृत्य प्रस्तुतियां देती थीं। स्कूल के प्रिंसिपल श्री आरबी यादव ने उनकी प्रतिभा को सबसे पहले पहचाना और उन्हें प्रोत्साहित किया। इंटरमीडियेट करने के बाद सुनयना ने लखनऊ महिला कालेज से बीएससी किया।
सुनयना अपने डांस करियर में अपनी बड़ी बहन श्रीमती पूनम जायसवाल का बड़ा योगदान मानती हैं जो उनके ग्रेजुशन करते ही भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय से एडमिशन फार्म ले आईं और उनका दाखिला करा दिया। भातखंडे विश्वविद्यालय से कथक में प्रबुद्ध करने के दौरान सुनयना ने डा. रुचि खरे, बीना सिंह जैसी गुरुओं से कथक की बारीकियों को सीखा और जमकर रियाजत की। उन्होंने तबला-वादन मे विषारद भी किया। सुनयना अपने तबला गुरू अनुरागजी का भी जीवन में बड़ा योगदान मानती हैं क्योंकि संगीत की जानकारी के बिना कोई भी अच्छा डांसर नहीं बन सकता, खासकर कथक में तो ताल का खास महत्व है। इसके बाद एक मित्र के माध्यम से भजन सम्राट अनूप जलोटा से मुलाकात का होना सुनयना के जीवन में टर्निंग प्वाइंट था। अनूप जलोटा सुश्री सुनयना जायसवाल के कथक डांस से इस कदर प्रभावित हुए कि उसने अपनी संगीत संध्याओं व कन्सर्ट्स में सुनयना को बुलाकर उनकी नृत्य प्रस्तुतियां कराने लगे। सुनयना अब तक अनूप जलोटा के साथ कई कार्यक्रम कर चुकी हैंं।
निराशा में अपनी काबिलियत पर भरोसा किया
सुनयना कहती हैं कि जीवन में ऐसे कई मौके आए जब उन्हें निराशा हुई लेकिन उन्होंने अपनी काबिलियत पर भरोसा किया। जैसे जैसे लोगों ने उनके नृत्य को सराहना शुरू किया, उन्हें भी अपने लक्ष्य को हासिल करने की प्रेरणा मिलती गई। सुनयना कहती हैं कि जब भी आप किसी नकारात्मक भावों में घिर जाएं तो उनसे छुटकारा पाने के लिए धीरे-धीरे रणनीति बनाने और किसी नई खोज में जुट जाएं। इस बात की कल्पना करें कि आपमें भरपूर प्रतिभा और वे सभी गुण हैं जो आपके सपनों को हकीकत में बदल सकते हैं। सुनयना ने कहा कि जब वह स्टेज पर नृत्य करती हैं तो दर्शकों को उनके चेहरे के भाव बेहद पसंद आते हैं, यही वजह है कि उनकी कई सहेलियां उन्हें ‘एक्सप्रेशन क्वीन’ के नाम से पुकारती हैं। सुनयना को विभिन्न मंचों पर कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
अनूप जलोटा को अपना गुरू मानने वालीं सुनयना कहती हैं कि गुरूजी (अनूप जलोटा) ने उनके संगीत की समझ को गहरा किया जिससे उनके नृत्य में और भी निखार आया है। वह कहती हैं कि गायन, वादन औऱ नर्तन, तीनों विधाएं एक ‘संगीत’ शब्द में समाहित हैं। इनमें से किसी को भी एक-दूसरे से अलग करके नहीं देखा जा सकता। सुश्री सुनयना नृत्य में ही अपना करियर बनाना चाहती हैं। हाल ही में उन्होंने एक वेबसीरीज ‘चोर शहजादा’ में अभिनय किया है। सुश्री सुनयना कहती हैं कि यदि उन्हें अच्छा मौका मिला तो फिल्मों में कोरियोग्राफर जरूर बनना चाहेंगी। लेकिन, फिलहाल उनका पूरा फोकस कथक पर है। सुनयना दिन में कथक के रियाज के अलावा समय मिलने पर अपने पिता के होटल ‘आशीर्वाद ढाबा’ के संचालन में भी मदद करती हैं जो कि दाहिला मोड़, सुल्तानपुर पर है। सुनयना के बड़े भाई शिवम जायसवाल लखनऊ में न्यूज-24 के संवाददाता हैं, जबकि छोटा भाई सूरज जायसवाल पढ़ाई कर रहा है।
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