डूंगरपुर।
समाज के नाम पर राष्ट्रीय स्तर पर कोई कितने भी संगठन खड़े कर ले, लेकिन समाज को सही दिशा देने का असली काम तो समाज के स्थानीय संगठन ही करते हैं। समय-समय पर यह बात सिद्ध होती रही है। और अब राजस्थान के डूंगरपुर में मोड़ मेवाड़ा कलाल समाज ने भी इसकी मिसाल बन गया है।
मोड. मेवाड़ा कलाल समाज (चौखला, गरियाता, चीखली) की बीते दिनों नादिया गांव में हुई आमसभा श्री भरतलाल कलाल की अध्यक्षता में हुई जिसमें विभिन्न वक्ताओं ने समाज की बेहतरी के लिए अद्भुत प्रस्ताव रखे। इनमें स्थानीय स्तर पर प्रचलित कुरीतियों को समाप्त करने, शुभ-अशुभ अवसरों पर प्रथाओं व परंपराओं के नाम पर फिजूलखर्ची रोकने, अपसंस्कृति को बढ़ावा देने वाली तथाकथित आधुनिकता से दूरी बनाने और महिला शिक्षा को अनिवार्य करने संबंधी कई अहम फैसले लिए हैं। बैठक में मौजूद समाजबंधुओं ने इन सभी प्रस्तावों को सर्वसम्मति से पारित कराया। आमसभा में इस तरह के जो प्रस्ताव रखे गए, जरा उन पर नजर डालिए-
- समाज को सही दिशा में ले जाने के लिए सभी समाजबंधु अपने बेटे के साथ बेटी-बहू को भी आवश्वयक रूप से उच्च स्तर तक पढ़ाने का संकल्प लें।
- नई पीढ़ी के बच्चों, युवाओं एवं बहू-बेटियों को मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से रोकने के प्रयास किए जाने चाहिए, ताकि एक संस्कारित पीढ़ी तैयार हो सके।
- किसी भी मांगलिक प्रसंग में शराब पीने-पिलाने के चलने पर पूरी तरह रोक लगाई जानी चाहिए।
- शादी-ब्याहों में प्री-वेडिंग शूट का चलन अब आम होता जा रहा है जो अपसंस्कृति को बढ़ावा दे रहा है। इस पर रोक लगाए जाने की जरूरत है।
- शुभ-अशुभ प्रसंगों पर लाणी प्रथा (दान करने की परंपरा) में साडियां, चप्पल, हारवणी, बर्तन, आसन, चंदन किसी भी प्रकार के सामान के वितरण पर तत्काल प्रभाव से पूर्णतया रोक लगाई जानी चाहिए।
- बहू की गर्भावस्था के छठवें महीने में होने वाली रस्म श्रीमंत मुहुर्त, गोद भराई जैसे कार्यक्रम में स्टेज और टैंट लगाकर बड़े भारी-भरकम आयोजन कराने पर रोक लगाई जानी चाहिए। बल्कि ऐसे अवसरों पर कुंवाई भाणेज (बेटी-भांजे, भांजी) को बुलाकर केवल उन्हें ही दान किया जाना चाहिए। ऐसे आयोजनों में परिवार के सदस्यों को शामिल करने का प्रस्ताव सहमति से पारित किया।
- समाज में बर्ड डे सेलिब्रेशन के नाम पर होने वाली फिजूलखर्ची रोकने और सादगी से जन्मदिन ममाने का प्रस्ताव भी सर्वसम्मति से पारित हुआ। प्रस्ताव में कहा गया कि जन्मदिन के मौके पर मेहमानों को बुलाकर भारी-भरकम पार्टी करने, स्टेज सजाने और केक काटने आदि पर रोक लगाई जानी चाहिए।
- परिवार में मृत्यु के बाद मासिये और छ: माध्ये की रस्म करने और अलग से मेहमान बुलाकर विधि करने की प्रथा पर भी रोक लगाने को कहा गया है। इसके बजाय घर-परिवार के सदस्यों द्वारा सादगी से दान-पुण्य की विधि मान्य की जा सकती है।
- गोरणीय (महिला की मृत्यु के बाद मायकेवालों द्वारा की जाने वाली दावत) के नाम पर कोई कार्यक्रम न करने का निर्णय भी बैठक में लिया गया।
आमसभा में तय किया गया समाज का एक डेटाबेस तैयार कर प्रत्येक गांव स्तर पर एक कार्यकारिणी बनाई जाए। समाज को मजबूत बनाने के कार्यों के लिए प्रत्येक परिवार कुछ न कुछ सहायता राशि का योगदान भी करे।
युवा समिति का हुआ गठन
आमसभा में चौखले की युवा समिति का गठन निर्विरोध किया गया जिसमें अध्यक्ष मनीष कलाल चीखली, सभाध्यक्ष राकेश कलाल कुआं, उपाध्यक्ष रोशन कलाल साकोदरा, हसमुख कलाल चीतरी, महामंत्री कल्पेश कलाल झौसावा, कोषाध्यक्ष दीपक कलाल झौसावा, संगठन मंत्री दीपक कलाल गरियाता को बनाया. रोहित, हसमुख, मनोज चितरी, मनीष नादिया, मिथुन झौवासा, दर्शक पाटनपुर, कीर्तीश खेड़ासा, हेमंत गरियाता, हितेश गरियाता, अंकित, जिगनेश चीखली, गिरिश कुमार साकोदरा, भावेश, सुनील, हर्ष कुआं, कपिल नोलियावाड़ा, जिगनेश दरियाटी को सदस्य नियुक्त किया।
पहली बार बनी महिला समिति
कलाल समाज में पहली बार महिला समिति का गठन किया गया जिसमें अध्यक्ष भावना नादियां, उपाध्यक्ष रंजना, निर्मला बेन कुआं, सचिव सोनल चितरी, संगठन मंत्री रंजना बेन कुआं, कोषाध्यक्ष राजेश्वरी बेन चीखली नियुक्त किया. सुमित्रा खेड़ासा, बबु बेन खेड़ासा, रवीना, आशा बेन चितरी, प्रियंका, नीता, मंजू बेन गरियाता, पिंकि नादिया, शादरा बेन, गीता, कुआं, कलावती, कचरी चीखली, हेतल साकोदरा, गायत्री, हेतल झौसावा को सदस्य मनोनित किया।
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