रायपुर (छत्तीसगढ़)।
चौथे स्टेज के दुर्लभ कैंसर का उपचार बिना सर्जरी-कीमो के, केवल मुख से ली जाने वाली गोलियों से भी संभव है। ऐसा कर दिखाया है रायपुर के जाने-माने कैंसर रोग विशेषज्ञ डा. रवि जायसवाल ने। डा. रवि जायसवाल ने चौथे स्टेज के लंग्स कैंसर से पीड़ित मरीज का उपचार टारगेटेड थैरैपी से किया, और महज एक महीने के अंदर इसके चमत्कारिक परिणाम सामने आए हैं।
कैंसर चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत कम समय में बड़ी पहचान बनाने वाले डा. रवि जायसवाल इन दिनों रायपुर के रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल में सेवाएं दे रहे हैं और अब तक असंख्य गंभीर कैंसर पीड़ितों का सफल उपचार कर चुके हैं। बीते दिनों अंबिकापुर जिले से लंग्स कैंसर से पीड़ित एक मरीज चौथे स्टेज में लाया गया था। वह ऑक्सीजन पर था, उसके फेफड़ों में पानी भरा था। मुंबई के टाटा मैमोरियल अस्पताल के चिकित्सकों ने जवाब दे दिया था औऱ परिजन भी उम्मीद छोड़ चुके थे। डा. रवि जायसवाल ने सबसे पहले मरीज के जरूरी टेस्ट कराए तो पता चला कि बीमारी बीआरएएफ म्यूटेशन की वजह से फैल रही है। डॉ.रवि जायसवाल ने मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए सर्जरी व कीमोथेरेपी से हटकर टारगेटेड थेरेपी से उपचार करने का निर्णय लिया तथा मुंह से ली जाने वाली स्पेसिफिक टारगेटेड टेबलेट ‘डाबाफेनिब’ एवं ‘ट्रामेटिनिब’ की खुराक शुरू की। साथ ही मरीज की देखरेख व खानपान पर फोकस किया। डॉ. रवि की यह कोशिश रंग लाई और केवल एक महीने के इलाज में शानदार परिणाम प्राप्त हुए। अब स्थिति यह है कि चौथे स्टेज के लग्स कैंसर से पीड़ित मरीज के स्वास्थ्य में तेजी में सुधार हो रहा है तथा जांच रिपोर्ट में यह सामने आया है कि उनके फेफडे़ तेजी के साथ कैंसर मुक्त होने की ओर अग्रसर है।
क्या है टारगेटेज थैरेपी
कैंसर चिकित्सा में सर्जरी व कीमोथेरेपी ही सबसे प्रचलित पद्यति है, लेकिन कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव मरीज के लिए अत्यंत पीड़ादायक होते हैं तथा मरीज को अनेक शारीरिक समस्याओं से जूझना पड़ता है। कैंसर का इलाज कीमोथेरेपी व सर्जरी के दुष्प्रभावों का सामना किए बिना ही संभव हो जाए, इसके लिए टारगेटेड थेरेपी एक नया विकल्प तलाशा गया है। हालांकि इसके लिए डॉक्टर का बहुत कुशल औऱ केयरिंग होना बहुत जरूरी है। डॉ.रवि जायसवाल अभी बहुत यंग हैं और अब तक के छोटे से करियर में कैंसर चिकित्सा के क्षेत्र में कई नवाचार कर चुके हैं।
पहले भी किए हैं कई ‘चमत्कार’
डॉ. रवि जायसवाल ने इसके पूर्व एक 42 वर्षीय महिला का चौथे स्टेज के ओवेरियन कैंसर को भी केवल टेबलेट के माध्यम से इलाज कर ठीक किया था। उन्होंने महिला को ’’ओलापेरिब ’’ टेबलेट का निर्धारित समय तक सेवन कराया, और इससे वह पूर्ण रूप से कैंसर से मुक्त हो गई। उनका यह केस इंटरनेशनल जरनल में रिपोर्ट किया गया था। इसके अलावा उन्होंने एक 65 वर्षीय वृद्ध महिला का सफलतापूर्वक बोनमैरो ट्रांसप्लांट कर इतिहास रचा था।
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