प्रयागराज।
प्रयागराज के मुट्ठीगंज को 40 साल के इंतजार के बाद नई पहचान मिल ही गई। मुट्ठीगंज को अब स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे सालिगराम जायसवाल के नाम से जाना जाएगा, यानी इस क्षेत्र का नया नाम है सालिगराम जायसवाल नगर। बीते रोज इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने पर जायसवाल समाज ने प्रयागराज की मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी तथा सभी पार्षदों का आभार व्यक्त किया है।
गौरतलब है कि मुट्ठीगंज चौराहे पर महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री सालिगराम जायसवाल की एक प्रतिमा 1982 में स्थापित की गई थी जो प्रयागराज के नागरिक समाज के बीच उनके प्रति सम्मान को दर्शाता है। हालांकि उस समय गठित सालिगराम जायसवाल स्मारक समिति चाहती थी कि मुट्ठीगंज का नाम सालिगराम नगर रखा जाए। समिति के प्रयास से 1982 में इलाहाबाद म्युनिसिपल बोर्ड की बैठक में इसका प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया जिसे सदन की मंजूरी मिल गई। इसके बाद मुट्ठीगंज में सालिगराम जायसवाल नगर का पत्थर भी लगा दिया गया था लेकिन अभिलेखों में यह नाम दर्ज नहीं हो सका और ना ही मुट्ठीगंज को यह नई पहचान मिल सकी। बीते रोज प्रयागराज नगर निगम की बैठक में महानगर के कई चौराहों का नाम बदलने का निर्णय लिया गया जिसमें मुट्ठीगंज भी शामिल है। लिहाजा अब उम्मीद है कि मुट्ठीगंज नाम शहर के इतिहास में दर्ज हो जाएगा और इस इलाके को इसके नए नाम सालिगराम नगर से ही जाना जाएगा, आम बोलचाल और अभिलेखों में भी यही नाम चलेगा। समिति के संरक्षक अनिल कुमार गुप्ता अन्नू, अध्यक्ष मुकुल जायसवाल और महामंत्री डॉ अतुल जायसवाल ने मुट्ठीगंज का नाम बदले जाने के प्रस्ताव को मंजूरी देने पर मेयर और सभी पार्षदों के प्रति आभार ज्ञापित किया है।
आइये जानते हैं कौन थे सालिगराम जायसवाल ?
सालिगराम जायसवाल का जन्म 1907 में प्रयागराज में हुआ था। वह युवावस्था में ही कांग्रेस से जुड़कर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कूद गए थे। 1932 से 1942 तक वह जिला कांग्रेस कमेटी के सचिव रहे। 1934 में वह केडी मालवीय, लाल बहादुर शास्त्री और विजय लक्ष्मी पंडित के साथ इलाहाबाद म्युनिसिपल बोर्ड के सदस्य निर्वाचित हुए। आजादी के बाद सालिगराम जायसवाल प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गए, पार्टी के प्रयागराज अधिवेशन के दौरान वह इसके अध्यक्ष थे। बाद में, वह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी में चले गए और इसकी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे। 1974 में उन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में इलाहाबाद के मेयर पद का चुनाव लड़ा। हालांकि वह मात्र दो वोटों से चुनाव हार गए थे। 1974 में सालिगराम राय प्रदेश की हेमवती नंदन बहुगुणा की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे लेकिन भू-राजस्व के मसले पर सरकार के एक निर्णय से खफा होकर उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद राजनीति में सालिगराम जायसवाल की सक्रियता कम हो गई और 1981 में उनकी मृत्यु हो गई। सालिगराम जायसवाल की राजनीतिक विरासत को उनके पुत्र सतीशचंद्र जायसवाल ने संभाला जो इलाहाबाद दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से दो बार (1980 एवं 1985) कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और दोनों बार विधायक निर्वाचित हुए थे।
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