May 15, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाज

एसडीएम की फटकार बेअसर, जायसवाल परिवार पहली बार मनाएगा बहिष्कार की होली: खरगोन के मलगांव में दबंग गूजर समाज का खौफ

खरगोन।
खरगौन के मलगांव में एसडीएम की तगड़ी फटकार औऱ कड़ी चेतावनी के बाद लगता है कि पीड़ित जायसवाल परिवार को 8-9 महीने से चले आ रहे सामाजिक बहिष्कार से छुटकारा मिल जाएगा। गांव के सरपंच ने एसडीएम को ऐसा आश्वासन दिया है। हालांकि आज छह दिन बाद भी पीड़ित परिवार का सामाजिक बहिष्कार जारी है। पीड़ित जायसवाल परिवार के लिए पहला अनुभव होगा, जब होली के हुल्लड में वे गांव वालों के साथ शामिल नहीं होंगे, जिसे लेकर वे मायूस हैं। हालांकि उन्हें उम्मीद है कि होली तक बहिष्कार समाप्त हो जाएगा, जैसा कि सरपंच ने एसडीएम साहब को आश्वासन दिया है। होली के बाद भी बहिष्कार जारी रहा तो वे प्रशासन के बड़े अफसरों से फिर शिकायत करेंगे।
पीड़ित परिवार के महेश जायसवाल का कहना है कि बीते आठ महीने से उनका सामाजिक बहिष्कार किया जा रहा है, उन्हें अछूतों की तरह जीवन गुजारना पड़ रहा है। गांव का कोई व्यक्ति उनकी किराना की दुकान से सामान नहीं ले रहा है, लाखों का सामान दुकान में रखे-रखे खराब हो चुका है। उनके दो छोटे भाई राजेश जायसवाल और विजय जायसवाल के खेतों में काम करने के लिए मजदूर नहीं आ रहे हैं, बाहर से लेबर बुलानी पड़ रही है, खाद, यूरिया भी बाहर से ला रहे हैं जिसके चलते बड़ा नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर जायसवाल समाज 17 मार्च से गांव में ‘अछूत आंदोलन’ करने वाला था लेकिन इससे एक दिन पहले 16 मार्च को एसडीएम ने फोर्स के साथ आकर सरपंच ओम पटेल को कड़ी फटकार लगाई, औऱ सख्त कार्रवाई की चेतावनी देते हुए सामाजिक बहिष्कार अविलंब समाप्त करने को कहा। सरपंच ने एसडीएम को जायसवाल परिवार का बहिष्कार समाप्त करने का आश्वासन दिया। लेकिन, 21 मार्च को परिवार के लोगों ने शिवहरेवाणी को बताया कि एसडीएम के सख्त आदेश के बाद भी गांव में उनका सामाजिक बहिष्कार जारी है।


खटक रही थी जायसवाल परिवारों की आर्थिक प्रगति
आपको बता दें कि खरगौन जिला मुख्यालय से लगभग सौ किलोमीटर दूर मलगांव करीब 3000 मतदाताओं का गांव है, इनमें अकेले गूजर समाज 1500 वोट हैं। गांव में गूजर समाज की तूती बोलती है, सरपंच ओम पटेल भी इसी समुदाय से हैं। वहीं कलार (जायसवाल) समाज के केवल आठ परिवार हैं। बाकी ब्राह्मण, वैश्य समाज के गिनती भर परिवारों के अलावा गांव में ज्यादातर भील, नहाल, वाल्मीकी तथा अन्य दलित समुदाय के परिवार हैं जो आजीविका के लिए गूजर समुदाय के कारोबार में या उनके खेतों में मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं। ये लोग मजबूरी में सही, लेकिन पूरी तरह गूजर समाज के लोगों पर आश्रित हैं। जायसवाल समुदाय के सभी आठ परिवार आर्थिक रूप से संपन्न हैं। पीड़ित महेश जायसवाल की गांव में सबसे बड़ी किराना की दुकान है, जहां आसपास के गांवों से भी लोग सामान लेने आते हैं। वहीं उनके भाई राजेश औऱ विजय खेती करते हैं, दोनों के पास डेढ़-डेढ़ एकड़ जमीन है। गांव में गूजर समाज के अलावा यही दो जायसवाल भाई हैं जिनके अपने खेत हैं। सूत्रों का कहना है कि कहीं न कहीं जायसवाल परिवारों की आर्थिक प्रगति ही गूजर समुदाय के लोगों की आंखों में खटक रही थी, जिसके चलते अकारण मारपीट के बाद बहिष्कार के बहाने उन पर आर्थिक चोट की जा रही है।
क्या है पूरा मामला
मामला आठ महीने पहले शुरू हुआ जब महेश जायसवाल का 25 वर्षीय पुत्र बलराज जायसवाल पूजा करने गांव के मंदिर गया था। वहां से लौटते समय उसे एक दोस्त मिला, तो उनसे बात करने लगा। तभी सत्यम साह गूजर पुत्र रामचंद्र साह गूजर अपने साथी के साथ आया और अकड़ते हुए बलराज को वहां से चले जाने को कहा। बलराज ने कारण पूछा तो चारों ने मिलकर उसके साथ मारपीट कर दी। बलराज ने शिवहरेवाणी को बताया कि इस घटना के बाद उसने दो आरोपियों के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज करा दी। पुलिस ने गांव में आकर जांच की। इसके बाद से गूजर समाज के लोग बलराज और उसके परिवार के लोगों को एफआईआर वापस लेने के लिए डराने-धमकाने लगे। बलराज ने बताया कि घटना के चार दिन बाद गूजर समाज के तीन लोग उसके घर आए, और गाली-गलौज करने लगे। घर में मौजूद सभी सदस्य बाहर आ गए और दोनो पक्षों में मारपीट हो गई। इस बार गूजर समाज के लोगों को वहां से पिटकर भागना पड़ा। लेकिन इसके बाद उन लोगों ने महेश जायसवाल पक्ष के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 में एफआईआर दर्ज कराई। जायसवाल पक्ष ने इस पर कोर्ट से जमानत करा ली। इसके बाद गूजर समाज की पंचायत ने गांव में महेश जायसवाल और उनके दोनों भाइयों के परिवारों के सामाजिक बहिष्कार का ऐलान कर दिया।


बहिष्कार से बदहाल जायसवाल परिवार
गूजर समाज की ओर से ऐलान किया गया कि गांव का कोई भी व्यक्ति चाहे गूजर समाज हो या किसी अन्य समाज से, अब इन जायसवाल परिवारों के साथ किसी भी प्रकार का सामाजिक, पारिवारिक और आर्थिक व्यवहार नहीं करेगा। इस जायसवाल परिवार के किसी भी सदस्य से बात करते पाया गया तो उस पर 5100 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इस ऐलान के बाद गूजरों से भयभीत गांव के लोगों ने महेश जायसवाल के ‘वंदना किराना स्टोर’ से सामान लेना पूरी तरह बंद कर दिया। कस्बे की नंबर-1 दुकान बीते आठ महीने से ग्राहक को तरस रही है। महेश जायसवाल ने बताया कि बिक्री नहीं होने के चलते लाखों का सामान बेकार हो गया है। असर केवल एकतरफा नहीं है, महेश जायसवाल के परिवार को भी गांव में कोई सामान नहीं दे रहा है। परिवार की राधा बाई ने बताया कि घर में छोटे बच्चे हैं, कभी तबियत खराब होने पर गांव में दवा-इलाज नहीं मिलता। गांव की दाईं मां इलाज करने नहीं आती, दूसरे गांव जाना पड़ता है। रोजमर्रा में उपयोगी दूध, साख सब्जी या कोई भी अन्य सामान लेना हो तो 3 किलोमीटर दूर धनगांव जाना पड़ता है। महेश के भाई राजेश और विजय की खेती भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है। गांव के मजदूर उनके खेतों में काम करने को तैयार नहीं है क्योंकि गूजर नाराज हो जाएंगे।
जायसवाल समाज के प्रदर्शन से पहले पहुंचे एसडीएम
बीते दिनों परिवार ने बड़वाह में जायसवाल समाज के बड़े पदाधिकारियों के सामने अपनी बात रखी। तब जायसवाल समाज ने 17 मार्च को गांव में अन्य समाजों को साथ लेकर अछूत आंदोलन करने का निर्णय लिया था। दलित समुदायो ने भी इस आंदोलन में साथ देने का ऐलान किया था, उनका कहना था कि मलगांव में उनके समाज के लोगों के साथ छुआछूत होता आ रहा है। उन्हें मंदिरों में नहीं जाने दिया जाता, पंगत में अलग बिठाते हैं। लेकिन, मामला बढ़ता देख प्रशासन सक्रिय हुआ और 17 मार्च के आंदोलन से ठीक एक दिन एसडीएम ने गांव में आकर सरपंच को कड़ी फटकार लगाते हुए जायसवाल परिवार का बहिष्कार तत्काल खत्म करने को कहा। उन्होंने कहा कि यह गैर-संविधानिक, गैर-कानूनी और गंभीर अपराध है। यदि बहिष्कार वापस नहीं लिया तो उनके कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासन की सख्ती से झुका गूजर समाज
एसडीएम के सख्त रुख पर सरपंच ओम पटेल ने बहिष्कार वापस लेने का आश्वासन उन्हें दिया। उनका कहना था कि विवाद के बाद गांव में शांति कायम करने के लिए ग्रामीणों की मांग पर केवल तीन जायसवाल परिवारों का बहिष्कार किया गया है, जायसवाल समाज के बाकी परिवारों पर कोई पाबंदी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी व्यक्ति से जुर्माना नहीं लिया है. ना ही किसी व्यक्ति को परिवार से बात करने पर रोका जा रहा है। पीड़ित महेश जायसवाल के पुत्र बलराज जायसवाल ने शिवहरेवाणी को बताया कि आज एसडीएम को गांव में आए छह दिन हो चुके हैं लेकिन अभी तक बहिष्कार खत्म नहीं हुआ है। उन्होने कहा कि हम 10-15 दिन देखें, यदि इस बीच हमारा बहिष्कार समाप्त नहीं हुआ तो हम प्रशासन से फिर बात करेंगे।

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