बंगलुरू।
कर्नाटक के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और एमएलसी बी.के हरिप्रसाद के समर्थन में दक्षिण भारतीय कलार समाज (इडिगा, बिलावा, नामधारी, भंडारी समेत सभी उपवर्ग) के साथ कई अन्य पिछड़ी जातियों ने भी शनिवार को बंगलुरू के पैलेस मैदान में जोरदार शक्ति प्रदर्शन किया, जिसने सिद्धरमैया सरकार के कान खड़े कर दिए हैं। असर इतना तेज रहा कि, कार्यक्रम के तत्काल बाद सिद्धरमैया सरकार के सूत्रों से खबर आने लगी है कि दशहरा से पहले या बाद में, लेकिन हर हाल में लोकसभा चुनाव से पहले-पहले इडिगा नेता बीके हरिप्रसाद को सिद्धरमैया सरकार में मंत्री बना दिया जाएगा।
पैलेस मैदान में हजारों की भीड़ के सामने बीके हरिप्रसाद ने प्रभावशाली तरीके से अपनी बात रखते हुआ कहा कि उच्च जातियो को तोहमत मत दीजिए, बल्कि अपने अंदर झांकिये, अपने आपको एकजुट कीजिए। यह लड़ाई अकेले इडिगा, बिलावा, एजवा या कलारों की नहीं है, बल्कि संपूर्ण ओबीसी समाज की है। सभी पिछड़ी जातियों को एकजुट होकर उत्तर से दक्षिण तक सियासत में अपने हक की लड़ाई लड़नी होगी। उन्होंने कहा कि मंच पर मौजूद राष्ट्रीय कलचुरी एकता महासंघ की राष्ट्रीय संयोजिका और मध्य प्रदेश कांग्रेस की उपाध्यक्ष श्रीमती अर्चना जायसवाल इस लड़ाई में नार्थ और साउथ के कलार समाज को जोड़ने की कड़ी बनेंगी। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, ‘मैं मुख्यमंत्री सिद्धरमैया का आभार व्यक्त करता हूं जो मुझे मंत्री नहीं बनाया, मंत्री बन जाता तो अपने समाज के लोगों को इतना वक्त नहीं दे पाता।‘ कर्नाटक के प्रमुख कलचुरी संत स्वामी प्रवणानंद के आह्वान पर हुई इस बैठक में पूर्व विधान परिषद सदस्य एचआर श्रीनाथ, पूर्व मंत्री शिवमूर्ति नाइक, परिषद सदस्य प्रकाश राठौड़, पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष द्वारकानाथ, भाजपा नेता नेला नरेंद्र बाबू और दक्षिण भारत के सात राज्यों के कलचुरी समाज प्रमुख भी मंचासीन रहे। पैलेस मैदान में भीड़ का आलम यह था कि सभी तीस हजार कुर्सियां भरी हुई थीं और इससे भी अधिक संख्या में लोग खड़े हुए थे।
श्रीमती अर्चना जायसवाल ने अपने संबोधन में कहा कि राजनीति में हमारे कलार, कलाल, कलवार समाज को हमेशा उपेक्षा का सामना करना पड़ा है। हमारे नेता जमीन पर काम करते हुए आगे बढ़ते हैं, और जब सरकार में जगह देने की बात आती है तो उनकी उपेक्षा कर दी जाती है। लेकिन अब पिछड़ा समाज एकजुट हो गया है तो उसकी तरक्की को कोई रोक नहीं पाएगा। बंगलुरू में हो रहे इस कार्यक्रम की गूंज पूरे भारत में सुनाई देगी। उन्होंने कहा कि जब अपने समुदाय के लोग सिस्टम के अंदर होते हैं, सियासत और सरकार में होते हैं तो अपनों की बात सुनते हैं। मुझे याद है कि 15 वर्ष पूर्व जब बीके हरिप्रसाद मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी थे, तो उन्होंने मुझे महिला कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। आज उनका यह कहना मुझे अच्छा लगा कि सिर्फ कलचुरी समाज की लड़ाई मत लड़ो, पिछड़ों की लड़ाई लड़ो। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कलचुरी समाज की मौजूदगी का जिक्र करते हुए कहा कि दक्षिण भारतीय राज्यों में इडिगा, एजवा, बिलावा, भंडारी, नामधारी, नाडर समेत कई उपवर्ग है। हम महाराष्ट्र में जाते हैं तो नशीने, पशीने, दखने, उज्जवने हो जाते हैं, छत्तीसगढ़ में डडसेना, सिन्हा, महतो हो जाते हैं, मध्य प्रदेश में जाते हैं तो चौकसे, राय हो जाते हैं, राजस्थान में सुवालका, पारेता, टाक हो जाते हैं, पश्चिम बंगाल में प्रसाद और साव हो जाते हैं, उत्तर प्रदेश में जायसवाल बहुतायत में हैं, हरियाणा-पंजाब में जाते हैं तो वालिया, अहलुवालिया हो जाते हैं। इस तरह साउथ के कलवार अकेले नहीं हैं, पूरा भारत आपके साथ है। हम सब मिलकर इस लड़ाई को लड़ेंगे।
श्रीमती अर्चना जायसवाल ने सामाजिक क्षेत्र में संतों की भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि उत्तराखंड में महामंडलेश्वर स्वामी संतोषानंदजी महाराज हैं, और यूपी में हरिहरदासजी हैं, मध्य प्रदेश में भी कई संत हैं। दक्षिण में हमारा कलवार समाज नारायण गुरू का फालोअर है और स्वामी प्रवणानंदजी महाराज के सानिध्य में प्रगति कर रहा है। उसी प्रकार हमें अपने संतों के मार्गदर्शन में आगे बढ़ते हुए युवा पीढ़ी की प्रगति के लिए काम करना है।
Leave feedback about this