November 21, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार समाज

सिलीगुड़ीः सवालों के घेरे में जेबी सेवा ट्रस्ट का ‘समाधान’; जांच के तथ्यों का खुलासा कर विपिन बिहारी को क्लीन चिट क्यों नहीं दे रहा ट्रस्ट

सिलीगुड़ी।
सिलीगुड़ी के कलवार ब्याहुत सेवा ट्रस्ट (जेबी सेवा ट्रस्ट) में छिड़े विवाद ने जिस तेजी से जोर पकड़ा, उसी तेजी से शांत भी हो गया लगता है। बस इतना बताया गया कि ट्रस्टियों के बीच आपसी रजामंदी से सभी विवादों का समाधान हो गया है। क्या जांच हुई, क्या निष्कर्ष निकले, इसकी डिटेल सार्वजनिक नहीं की गई है जिसके चलते सिलीगुड़ी के कलवार समाज के अंदर इस समाधान पर ही सवाल उठने लगे हैं। 
लोगों का कहना है कि ट्रस्ट का लाभार्थी होने के नाते सिलीगुड़ी के कलवार समाज को समाधान की पूरी डिटेल जानने का हक है, और समाज को विस्तृत जानकारी देना ट्रस्ट की नैतिक जिम्मेदारी है। उनका सीधा इशारा पूर्व अध्यक्ष विपिन बिहारी गुप्ता और उनकी टीम (पूर्व सचिव राजेंद्र और पूर्व कोषाध्यक्ष ज्ञानप्रकाश प्रसाद) की ओर है। कलवार समाज के अंदरखाने चर्चाओं में सवाल उठाए जा रहे हैं कि पूर्व अध्यक्ष विपिन बिहारी गुप्ता पर लगाए गए आरोप बहुत गंभीर किस्म के थे, ऐसे में पूरे मामले को ही रफा-दफा कर देने से बात नहीं बनेगी। समाज को स्पष्ट बताया जाना चाहिए कि क्या ट्रस्ट के वरिष्ठ सदस्यों ने आरोपों की जांच कर विपिन बिहारी गुप्ता को क्लीन चिट दे दी है?  
सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है, उसके मुताबिक 18 सितंबर, 2022 को हुई बैठक में विपिन बिहारी गुप्ता पर 9.51 लाख रुपये की हेराफेरी का आरोप साबित हो गया था, जिसे उस मीटिंग के मिनिट्स में दर्ज किया गया। इसके बाद ही विपिन बिहारी गुप्ता और उनका टीम ने इस्तीफा दे दिया और नई कमेटी के गठन के लिए 12 नवम्बर की तारीख तय की गई थी। सूत्रों का कहना है कि इस 9.51 लाख रुपये की राशि में वह रकम भी शामिल है जो विपिन बिहारी को जेबी सेवा ट्रस्ट भवन (कलवार भवन) के एक कमरे पर अपने नाम अंकित करने के एवज में देनी थी और चूंकि उन्होंने इस रकम का भुगतान नहीं किया था, लिहाजा कमरे से अपना नाम हटवा लिया।
विपिन बिहारी गुप्ता और उनकी टीम पर एक अन्य गंभीर आरोप एक फ्लैट को ट्रस्ट के अपेक्षित अनुमोदन के बगैर एक तरह से जबरन खरीदने का था। 18 सितंबर की मीटिंग में पाया गया था कि फ्लैट को उसकी मार्केट प्राइज से कहीं अधिक कीमत देकर खरीदा गया, जिस पर विपिन बिहारी ने इसे अपनी गलती माना भी था। मीटिंग में इस फ्लैट को बेच देने का निर्णय लिया गया था जो कि मिनिट्स में दर्ज है। एक और मामला 2.5 लाख रुपये के बीयरर चेक का भी था जो ट्रस्ट के कोष से अगस्त 2022 के पहले सप्ताह में विपिन बिहारी गुप्ता के नाम जारी किया गया था। नियमों के मुताबिक, ट्रस्ट के कोष से कोई पदाधिकारी अपने व्यक्तिगत नाम से पैसा नहीं निकाल सकता। विपिन बिहारी ने स्पष्टीकरण दिया था कि उन्होंने फ्लैट की रजिस्ट्री के लिए यह पैसा लिया था, जबकि रजिस्ट्री शुल्क का पूरा भुगतान सरकारी पोर्टल पर ऑनलाइन किया जाता है। दूसरी बात यह कि डीड में उल्लेख है कि रजिस्ट्रेशन का शुल्क विक्रेता द्वारा वहन किया जाएगा। गौर करने वाली बात यह है कि रजिस्ट् 16 सितंबर 2022 को हुई थी, जबकि पैसा इससे करीब डेढ़ महीना पहले निकाला गया। ऐसे में ट्रस्ट के कोष से लिए गए 2.5 लाख रुपये के उपयोग पर अभी भी प्रश्नचिह्न लगा हुआ है। 
ऐसे में जेबी सेवा ट्रस्ट ने आनन-फानन में जो समाधान पेश किया है, उसे लेकर सवाल उठना लाजिमी है। सोशल मीडिया पर भी चर्चा है। एक यूजर लिखते है कि ‘इतनी जल्दी जांच! जेबी सेवा ट्रस्ट ने तो सीबीआई को भी मात कर दिया।‘ कई अन्य लोगों ने ट्रस्ट के ‘समाधान’ पर सवाल उठाए हैं। कुल मिलाकर मामले को रफादफा करने के बजाय ट्रस्ट को मामले की पूरी जांच कर तथ्यों को स्पष्टता के साथ समाज के सामने रखना चाहिए। 
 

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