November 22, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
खबरे जरा हटके समाचार

संतोष जायसवाल से लें जिंदगी का सबक; भीषण हादसे में पत्नी समेत सबकुछ गंवाने के बाद फिर चल पड़ा है जिंदगी को संवारने

पश्चिमी सिंहभूमि।
कई बार मंजिलों से ज्यादा रास्ते अहम हो जाते हैं, कोशिशें उनके अंजाम से कहीं ज्यादा मायने रखती हैं। झारखंड में पश्चिमी सिंहभूमि जिले के संतोष जायसवाल एक भयानक हादसे के दर्द को सीने में समेटकर फिर जिंदगी को संवारने की राह पर चल पड़े हैं, एक ऐसा भयानक हादसा कि जिसकी कल्पना मात्र से किसी की भी रूह फना हो जाए। 

पश्चिमी सिंहभूमि जिले का एक कस्बा है किरिबुरु जो लौह अयस्क की खदानों के लिए जाना जाता है। यहां के लोग भी शायद लोहे की तासीर लिए हैं जो संतोष जायसवाल में भी नजर आती है। किरिबुरु में महावीर चौक पर संतोष जायसवाल की बिजली के सामान की दुकान है। दुकान के साथ ही लगा हुआ उनका घर है। इस साल दस जनवरी की शाम तक उनके जीवन में सब-कुछ अच्छा चल रहा है। पत्नी हनी जायसवाल और दो बच्चे हर्ष (13) और श्रुति (10) का उनका छोटा सा संसार खुशियों भरपूर था। लेकिन 10, 2022 की शाम पांच बजे शार्ट सर्किट से दुकान में भीषण आग लग गई। लपटों ने देखते ही देखते उनके घर को भी चपेट में ले लिया। उस वक्त बच्चे घर में नहीं थे, पत्नी हनी सो रही थी जो लपटों में घिरकर बुरी तरह झुलस गई, उसे बचाने की कोशिश में संतोष भी गंभीर रूप से जल गए थे। दुकान पूरी तरह तबाह हो गई। सारा सामान राख हो गया। घर, घर में अनाज, खाने का सामान, बिस्तर-कपड़े सबकुछ नष्ट हो गया। गोदरेज की अलमारी में रखे हनी के कीमती आभूषण, और दुकान की दराज में रखी एक लाख रुपये की नगदी भी आग में स्वाह हो गए। संतोष और उनकी पत्नी को रांची के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां चार दिन बाद उपचार के दौरान हनी की मौत हो गई। गरीबी के हालात से संघर्ष कर एक बेहतर स्थिति मे पहुंचे संतोष का सबकुछ खत्म हो गया था।

पत्नी की मौत के बाद संतोष तीन महीने उपचाराधीन रहे। किसी तरह जिंदगी बची तो दो बच्चों की जिम्मेदारी एक बड़ी चुनौती बन गई। लेकिन संतोष ने हार नहीं मानी और जिंदगी को एक बार फिर पटरी पर लाने की कोशिश में जुट गए। उन्होंने पुराने महाजनों से उधार लेकर दुकान बनवाई, घर की भी मरम्मत कर उसे रहने लायक बनाया। दुकान में सामान भरवाया। अब वह दुकान पर नियमित बैठते हैं। हालात धीरे-धीरे बेहतर हो रहे हैं। दोनों बच्चों ने नगर के एक प्रतिष्ठित स्कूल में अपनी पढ़ाई दोबारा जारी कर दी है, जहां वह पहले पढ़ते थे। उस हादसे के गवाह बने आसपास के दुकानदार और लोगों को यकीन नहीं होता कि इतने बड़े हादसे से गुजरने के बाद संतोष न केवल इतनी जल्दी उससे उबरा, बल्कि हौसले के साथ अपने कारोबार को फिर से खड़ा करने की जद्दोजहद शुरू कर दी। 
संतोष जायसवाल की कहानी को आपके साथ साझा करने का मकसद यह है कि आज के दौर में जब युवा बेरोजगारी से बेहाल है, महिलाएं महंगाई से आजिज आ चुकी हैं, एक पीढ़ी अवसाद के मुहाने पर खड़ी है, और आत्महत्या की घटनाएं चिंताजनक तरीके से बढ़ रही हैं, संतोष जैसे लोग हौसला देते हैं कि संघर्ष से हालात बदलते हैं, परिस्थितियों से संघर्ष ही जिंदगी है। बुरे वक्त में इससे अच्छी कोई और बात नहीं हो सकती कि आप हताश नहीं हैं, हालात से लड़ रहे हैँ और जीवन को बेहतर करने का प्रयास कर रहे हैं।

 

 

Leave feedback about this

  • Quality
  • Price
  • Service

PROS

+
Add Field

CONS

+
Add Field
Choose Image
Choose Video