सालासर (चुरू)।
राजस्थान के सालासर बालाजी (चुरू) में राष्ट्रीय कलचुरी एकता महासंघ के दो दिनी आयोजन में देशभर से आए कलचुरी समाजबंधु शानदार आतिथ्य से गदगद थे। आधुनिक सुविधाओं से युक्त वातानुकूलित कमरे, स्वादिष्ट भोजन और त्वरित रूम सर्विस…। इतना कुछ होने पर भी, जायसवाल सेवा सदन से विदा लेते हुए एक मलाल था सबके मन में। मलाल उस खास ‘मेजबान’ से न मिल पाने का जिसने ये व्यवस्थाएं कीं, उससे मिलकर उसका शुक्रिया अदा न कर पाने का मलाल।
ये खास मेजबान थे कलचुरी समाज के कीर्ति स्तंभ, प्रसिद्ध उद्योगपति एवं प्रख्यात समाजसेवी श्री दीपक जायसवाल, जी हां नागपुर वाले। राष्ट्रीय कलचुरी एकता महासंघ के मुख्य राष्ट्रीय संयोजक, जिन्होंने महासंघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के आयोजन की सभी व्यवस्थाओं को अकेले दम पर बहुत सुरुचिपूर्ण तरीके से अंजाम दिया। कार्यकारिणी बैठक में महासंघ की ओर से श्री दीपक जायसवाल का आभार के तौर पर विशेष सम्मान किया जाना था, लेकिन किन्हीं आकस्मिक कारणों से वह सालासर न आ सके। उनके स्थान पर नागपुर से आए श्री निशांत जायसवाल ने उनका सम्मान ग्रहण किया। निशांत जायसवाल ने बताया कि श्री दीपक जायसवालजी किन्हीं विशेष परिस्थितियों मे नहीं आ सके हैं, लेकिन उन्होंने सालासर में अपने जि्म्मेदार स्टाफ को ‘कहीं कुछ कमी नहीं होने देने’ की सख्त ताकीद की है।
महासंघ की राष्ट्रीय संयोजिका श्रीमती अर्चना जायसवाल ने कहा कि दीपक भाई के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं उनके पास। दीपक भाई बहुत विनम्र स्वभाव के उदारमना धनवान हैं जिनके हृदय में उनका समाज रहता है। राष्ट्रीय बैठक में उनका न आ पाना इस आयोजन की एकमात्र लेकिन सबसे बड़ी कमी रही। महासंघ की मध्य प्रदेश इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष और बैठक का संचालन कर रहे श्री किशोर राय ने शिवहरेवाणी से बातचीत में व्यवस्थाओं की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि सालासर बालाजी की पवित्र भूमि पर उनके अनन्य भक्त श्री दीपक जायसवालजी ने जायसवाल सेवा सदन का निर्माण कर कलचुरी समाज को अन्य प्रतिष्ठित समाजों के बरक्स प्रतिष्ठापित किया है। श्री दीपक जायसवालजी सही मायने में कलचुरी समाज की शान हैं। जयपुर से आए महासंघ के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री शिवचरण हांडा ने भी श्री दीपक जायसवालजी के प्रति आभार की ऐसी ही भावना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आयोजन शानदार रहा, कहीं कोई कमी नहीं थी, बस दीपकजी से नहीं मिल सके, इसका मलाल रहा।
बता दें कि सालासर में देशभर से आए अतिथियों के ठहरने की व्यवस्था अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त जायसवाल सेवा सदन में की गई थी जिसे श्री दीपक जायसवाल ने 2016 में बनवाया था, और वही इसके कर्ताधर्ता हैं। अतिथियों की संख्या अधिक होने पर पास की दो अन्य आधुनिक धर्मशालाओं में भी उनको ठहराने की व्यवस्था भी उन्होंने ही करवाई। जायसवाल सेवा सदन में सभी अतिथियों को होटल जैसी शानदार सुविधाएं प्रदान कीं गईं। अतिथियों ने जब चाहा, कमरे में ही उनकी रुचि की चाय उन्हें मिली, चाहें फीकी चाय हो या लेमन या ब्लैक टी। पहले दिन 4 अगस्त को नाश्ता और लंच जायसवाल सेवा सदन की मैस में दिया गया। इस रात का डिनर आयोजन का पहला सामूहिक भोज था जो सेवा सदन के अहाते में हुआ। अगले दिन यानी 5 अगस्त को चाय-नाश्ता और लंच भी इसी अहाते मे हुआ। भोजन में राजस्थानी सांगरी की सब्जी और डेजर्ट में राजस्थानी बर्फी और प्रसिद्ध कलाकंद के स्वाद ने लोगों का मन मोह लिया। अतिथियों के सेवा-सुश्रुषा के लिए कार्यकारिणी बैठक में महासंघ की ओर से सेवा सदन के प्रबंधक श्री विकास दधीच और उनकी समस्त टीम को भी सम्मानित किया गया।
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