नई दिल्ली।
बीमार दिल वाले हताश और निराश न हों, यदि प्यार करने वाले लोग आपके साथ हैं तो जिंदगी की चाह को राह मिल ही जाएगी। आस्था गुप्ता (शिवहरे) इसकी मिसाल हैं। पति संजीव गुप्ता के प्रेम, समर्पण और संकल्प के बूते आस्था को नया ह्रदय मिल गया है, और नई जिंदगी भी। आस्था के सीने में अब चंडीगढ़ की एक महिला का दिल धड़क रहा है। 39 वर्षीय श्रीमती आस्था गुप्ता एम्स (दिल्ली) में चिकित्कीय निगरानी में हैं और जोखिम से पूरी तरह बाहर हैं। एम्स में यह इस साल पहला ह्रदय प्रत्यारोपण (हार्ट ट्रांसप्लांट) है।
खुर्जा (बुलंदशहर) निवासी श्री संजीव गुप्ता की धर्मपत्नी श्रीमती आस्था (शीनी) गुप्ता काफी समय से ह्रदय रोग से पीड़ित थीं। तमाम उपचार के बाद भी आस्था का ह्रदय बिल्कुल भी ठीक से काम नहीं कर पा रहा था। एम्स (दिल्ली) के ह्रदय रोग विशेषज्ञों ने उन्हें ह्रदय प्रत्यारोपण तजवीज कर दिया था, जिसे जल्द से जल्द होना था। जरूरत थी एक डोनर की। बीती 6 जनवरी को यह तलाश भी पूरी हो गई जब चंडीगढ़ पीजीआई में भर्ती पंजाब की एक ब्रेन डेड महिला के परिजनों ने उसके अंगदान करने का निर्णय लिया। 43 वर्षीय महिला के अंगदान की सूचना मिलने पर एम्स की एक टीम बुधवार रात 2 बजे सड़क के रास्ते चंडीगढ़ पीजीआई के लिए रवाना हुई।
साथ ही एम्स प्रशासन ने ह्रदय प्रत्यारोपण के लिए वेटिंग में चल रहीं आस्था के पति संजीव गुप्ता को सूचना दी और उन्हें तत्काल बुला लिया। संजीव उसी समय आस्था को लेकर एम्स के लिए रवाना हो गए। उनके एम्स पहुंचते ही चिकित्सकों की एक दूसरी टीम आस्था के ह्रदय प्रत्यारोपण की तैयारियों में जुट गई।
उधर, चंडीगढ़ गई चिकित्सको की टीम ने 7 जनवरी को दोपहर 12.05 बजे ब्रेन डेड महिला के शरीर से उसके ह्रदय को निकाला और उसे लेकर एय़र एंबुलेंस से दिल्ली के लिए उड़ान भरी। दोपहर 2.10 बजे एय़र एंबुलेंस इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुंची। यहां से एम्स परिसर तक समय रहते दिल को ले लाने के लिए पुलिस ने पहले ही ग्रीन कॉरिडोर बना लिया था। एयरपोर्ट से एम्स पहुंचने में मात्र 25 मिनट का समय लगा।
एम्स में चिकित्सकों की टीम इस ह्रदय को आस्था के सीने में प्रत्यारोपित करने की पूरी तैयारी कर चुकी थी। ह्रदय पहुंचते ही जटिल सर्जरी शुरू हो गई जो पांच घंटे चली। 7 जनवरी की रात करीब 10.30 बजे ऑपरेशन समाप्त हुआ। एम्स के वरिष्ठ डॉ. मिलिंद होटे ने परिजनों को बताया कि आस्था का ह्रदय प्रत्यारोपण पूरी तरह सफल रहा। उन्होंने बताया कि एम्स में यह 79वां ह्रदय प्रत्यारोपण है औऱ इस साल का यह पहला मामला है।
मूल रूप से टूंडला (फिरोजाबाद) की रहने वाली आस्था (शीनी) jस्व. श्री सुभाषचंद्र गुप्ता (शिवहरे) की पुत्री हैं और स्व. श्री रामभरोसी लाल गुप्ता (रेलवे ड्राइवर) की पौत्री हैं । 2003 में आस्था का विवाह बुलंदशहर के प्रतिष्ठित व्यवसायी श्री संजीव गुप्ता से हुआ। उनका एक 16 वर्षीय बेटा है अग्रिम गुप्ता। आस्था गुप्ता आगरा में मारुति एस्टेट स्थित पुष्प पुनीत विला निवासी श्री राजेश गुप्ता की भतीजी हैं और प्रतिष्ठित व्यवसायी श्री अविरल गुप्ता की सलहज हैं।
कम से कम दो हफ्ते एम्स में ही रहना होगा
इस सर्जरी के बाद आस्था को करीब 2 हफ्ते एम्स में ही डॉक्टर और नर्स की देखभाल में बिताने होते हैं। आगे की स्थिति उनके स्वास्थ्य पर निर्भर करेगी। इस बीच उनके कार्डियेक पुनर्वास की प्रक्रिया भी शुरू की जा सकती है। कार्डियक पुनर्वास वह प्रकिया है, जिसमें आप सर्जरी के बाद धीरे-धीरे सामान्य होने की तरफ बढ़ते हैं। जब चिकित्सक निश्चिंत हो जाएंगे कि आस्था के शरीर ने बाहरी व्यक्ति के हृदय को स्वीकार कर लिया है और अब वह उसके साथ सक्रिय हो रहा है तो उन्हें घर जाने की इजाजत दी जाएगी।
भारत में काफी महंगा है ह्रदय प्रत्यारोपण
ह्रदय प्रत्यारोपण भारत में काफी महंगा है। प्राइवेट अस्पतालों में इस पर 37 लाख रुपये से 50 लाख रुपये तक का खर्चा आता है। हालांकि एम्स जैसे सरकारी अस्पताल में इसका खर्चा अपेक्षाकृत काफी कम है। अब तक आस्था के परिजनों से महज एक लाख 20 हजार रुपये ही जमा कराए गए हैं। बाकी का खर्चा बाद में सामने आएगा।
Leave feedback about this