गाजीपुर।
शोषण, अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ हमेशा आवाज बुलंद करने वाले संघर्षशील सामाजिक कार्यकर्ता श्री बोधा जायसवाल नहीं रहे। गाजीपुर के दुल्लहपुर निवासी श्री बोधा जायसवाल का बीती शाम हृदयगति रुकने से निधन हो गया। उनके निधन की सूचना से पूरे गाजीपुर में शोक की लहर दौड़ गई। रविवार 22 अप्रैल को दोपहर 12 बजे गाजीपुर श्मशानघाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। ‘दुल्लहपुर के शेर’ को अंतिम विदाई देने के लिए पूरा गाजीपुर उमड़ पड़ा।
गाजीपुर के लोग श्री बोधा जायसवाल को एक ऐसे निर्भीक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर हमेशा याद रखेंगे जिन्होंने आरटीआई को हथियार बनाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत लड़ाई लड़ी, पीड़ित और मजलूमों के हक के लिए गाजीपुर से लेकर लखनऊ दिल्ली तक धरने-प्रदर्शन किए। बीस लाख के शौचालय घोटाले को उजागर कर शासन-प्रशासन में खलबली पैदा कर दी। वहीं आशा जायसवाल हत्याकांड में मरहूम पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए मधुरतरंग होटल के स्वामी के रसूखदार परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई करवाकर ही दम लिया। इस मामले में लखनऊ में 70 दिनों तक धरना देकर पुलिस प्रशासन को कार्रवाई के लिए बाध्य कर दिया। उन्होंने दिल्ली के बोट क्लब पर भी धरना दिया। श्री बोधा जायसवाल के बारे में एक और खास बात यह है कि वह गरीबों और बेसहारा लोगों के शवों के अंतिम संस्कार कराने में आगे रहते थे। तमाम शवों को उन्होंने अपनी गाड़ी से श्मशानघाट तक पहुंचाया और उनका अंतिम संस्कार कराया। उसे श्मशानघाट पर आज उनके अंतिम संस्कार के वक्त हर शख्स बहुत मायूस और दुखी नजर आया।
बोधा जायसवाल महज 57 वर्ष के थे, और पूरी तरह स्वस्थ थे। कुछ दिनों पूर्व एक बातचीत में उन्होंने अपने सेहत का जिक्र करते हुए बताया कि जीवन में आज तक उन्हें सुई लगने तक की नौबत नहीं आई। बीते रोज शाम करीब 5.30 बजे वह मार्केट में थे, कई लोगों से मुलाकात कर घर पहुंचे जहां कुछ देर बार अचानक उनके दिल का दौरा पड़ा। परिजन और परिचित तत्काल उन्हें अस्पताल लेकर दौड़े जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके निधन की सूचना से पूरे गाजीपुर में शोक की लहर दौड़ गई।
अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा के संरक्षक अजय कुमार जायसवाल और मीडिया प्रभारी नवीन विलियम जायसवाल ने श्री बोधा जायसवाल के आसामयिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। श्री अजय कुमार जायसवाल ने कहा कि एक जिंदादिल शख्सियत, अन्याय के खिलाफ संघर्षरत रहने वाले, दुखी पीड़ितों के लिए निरंतर धरना प्रदर्शन करने वाले, समाज सेवा के प्रति संकल्पित श्री बोधा जयसवाल के निधन से संपूर्ण जायसवाल समाज दुखी और शोकाकुल है। श्री बोधा जायसवाल के करीबी रहे गाजीपुर के समाजसेवी श्री कुंभनाथ जायसवाल ने शिवहरेवाणी को बताया कि एक निडर, निर्भीक समाजसेवी का अचानक चले जाना सिर्फ जायसवाल समाज ही नहीं, बल्कि नागरिक समाज की एक अपूर्णनीय क्षति है। कोई भी गरीब, सिस्टम के अन्याय का शिकार व्यक्ति उनके पास आता था, तो वह उसके साथ खड़े हो जाते थे। उन्होंने बताया कि श्री बोधा जायसवाल कभी जेल जाने से नहीं डरे, और उनकी छवि इतनी साफ-सुथरी थी कि पुलिस ने भी कभी उन्हें गिरफ्तार नहीं किया। कभी कोई बात होने पर पुलिस उन्हें थाने पर बिठा लेती थी, इस दौरान पुलिसकर्मी उनका पूरा ख्याल रखते थे, उन्हें सम्मान देते थे।
श्री कुंभनाथ जायसवाल ने बताया कि श्री बोधा जायसवाल परिवार से संपन्न थे। उनके दो बेटे हैं जो अच्छा बिजनेस कर रहे रहे हैं। उनके पास किराये की आमदनी आत थी जिसे समाजसेवा में खर्च करते थे। कभी किसी से चंदा या आर्थिक सहायता नहीं ली। गाजीपुर के आम लोगों के दिलों में उनका विशेष सम्मान था। उनके लिए न्याय की लड़ाई में उन्होंने कभी नहीं सोचा कि सामने वाला कितना रसूखदार है, अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना है तो लड़ना है। उनकी इसी निर्भीकता के चलते लोग उन्हें ‘दुल्लहपुर का शेर’ भी कहते थे।
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नहीं रहे ‘दुल्लहपुर के शेर’; श्री बोधा जायसवाल के अंतिम संस्कार में उमड़ा गाजीपुर; बेमिसाल था अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ उनका संघर्ष
- by admin
- April 23, 2023
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