November 21, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

नागपुर की आन-बान-शान हैं ‘नागपुर चा राजा; रोज हवन में 11000 मोदकों की आहुति; गौरवशाली परंपरा बनी दीपक जायसवाल की अनूठी पहल

नागपुर।
भक्तों के प्रिय ‘नागपूर चा राजा’ की धूम शुरू हो गई है। नागपुर के रेशबाग चौक पर भव्य मंडप में मंगलवार सुबह 11 फीट की गणपति प्रतिमा की विधिवत प्राण-प्रतिष्ठा की गई। सोने-चांदी के गहनों से अलंकृत ‘नागपूर चा राजा’ के दरबार में हवन-यज्ञ हुआ जिसमें गणपति के पसंदीदा 11000 मोदकों की आहुति दी गई । अगले दस दिन रोज इसी तरह हवन-यज्ञ में 11000 मोदकों की आहुति दी जाएगी।  पहली संध्या आरती में सैकड़ों  श्रद्धालु उपस्थित रहे। बुधवार से मंडप में दिनभर हजारों  श्रद्धालुओं की रेला शुरू हो जाएगा,  केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के भी आने की संभावना है।
आपको बता दें कि नागपुर के प्रतिष्ठित उद्योगपति, कलचुरी एकता समवर्गी संघ नागपुर के मुख्य संरक्षक श्री दीपक गोविंद प्रसाद जायसवाल ने 28 वर्ष पूर्व अपने छोटे पुत्र श्री प्रतीक जायसवाल के जन्म की खुशी में ‘नागपूर चा राजा’ की स्थापना कराई थी। तब से हर वर्ष यह आयोजन भव्यता और प्रतिष्ठा में श्रीवृद्धि प्राप्त कर रहा है। अब उन्हीं के संरक्षण व अध्यक्षता में एक ट्रस्ट बना दिया गया है जो हर वर्ष यह आयोजन कराता है। तुलसी बाग स्थित रेशमबाग चौक पर भव्य मंडप की तैयारी कई दिनो पहले से शुरू हो जाती है। गत रविवार को 11 फीट की गणपति प्रतिमा को बड़कस चौक स्थित चीता रोली से बाजे-गाजे के साथ शोभायात्रा के रूप मे लाया गया। ट्रेफिक की सहूलियत को देखते हुए शोभायात्रा के लिए संडे का दिन चुना था, फिर भी कुछ किलोमीटर दूरी तय करने में करीब 5 घंटे लग गए। शोभायात्रा में 11 बैंड शामिल थे। रविवार शाम को ‘नागपूर चा राजा’ मंडप में विराजित कर दिया गया। 
मंगलवार गणेश चौथ की सुबह शुभ मुहूर्त में ‘नागपूर चा राजा’ को सोने-चांदी के आभूषणों से सुसज्ज्जित किया गया। इसमें हीरे की अंगूठी, सोने के हाथ और पैर, सोने का मुकुट, सोने की सूंड समेत कई अन्य सोने-चांदी के आभूषण शामिल हैं जिनका अनुमानित वजन 5  किलो तो होगा ही। इसके बाद पूरे विधि-विधान के साथ प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा की गई। सालासर बालाजी धाम से विशेष रूप से बुलाए गए प्रकांड धर्मशास्त्री पंडितों ने हवन कराया। हवन की शुरुआत श्री दीपक जायसवाल के पुत्र श्री पीयूष जायसवाल एवं पुत्रवधु सौ. मनीषा ने कराई। कुछ देर बाद पंडितों ने स्वयं हवन किया और अग्नि में 11000 मोदकों की आहुति दी। शाम को श्री दीपकजी जायसवाल, उनकी धर्मपत्नी श्रीमती दीप्ति जायसवाल और परिवार के सभी सदस्यों की उपस्थिति में पहली संध्या आरती की गई। श्री दीपक जायसवाल ने शिवहरेवाणी को बताया कि मंडप में प्रतिदिन सुबह की आरती 9.30 बजे और शाम की आरती 7.00 बजे होगी। श्रद्धालु प्रतिदिन सुबह से पूरे दिनभर दर्शनलाभ प्राप्त कर सकते हैं। 
नागपुर में नागपूर चा राजा की वही प्रतिष्ठा और आन-बान-शान है जो मुंबई में ‘लालबाग का राजा’ की है। मान्यता है कि नागपूर चा राजा अपने भक्तों की हर मन्नत पूर्ण करते हैं। मंडप में रोज हजारों श्रद्धालु गणपति के दर्शन के लिए आते हैं और उनसे मन्नत मांगते हैं। मंडप में प्रतिदिन भव्य स्तर पर पूजा-पाठ और प्रसाद की व्यवस्था की जाती है। सब काम बहुत व्यवस्थित और समयबद्ध तरीके से होता है। सुबह-शाम प्रसाद तैयार होता है। लगभग 400 लोगों का भोजन तैयार होता है। हर शाम नगर की कोई न कोई प्रतिष्ठित शख्सियत मंडप में आती है। केंद्रीय नितिन गडकरी आमतौर पर हर साल दूसरे दिन नागपूर चा राजा के दर्शन के लिए आते हैं। लिहाजा बुधवार को उनके आने की संभावना है। दूर-दूर से साधु-संत भी आते हैं। लेकिन, मंडप में किसी से किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होता। सेवा और आरती में भी सभी भक्तों को बराबर का अवसर दिया जाता है। प्रतिदिन सुबह 2-3 घंटे पूजापाठ चलता है। एक घंटा सुबह-शाम की आरती होती है। रोज कई टीवी चैनलों के प्रतिनिधि इसे कवर करने आते हैं। फेसबुक पेज पर आरती का लाइव प्रसारण किया जाता है।
कलचुरी एकता समवर्गी संघ नागपुर की महिला अध्यक्ष श्रीमती स्नेहा अनूप राय ने शिवहरेवाणी को बताया कि गणेशोत्सव का ऐसा भव्य और सुव्यवस्थित आयोजन दीपक भैय्या के कुशल नेतृत्व व प्रबंधन की वजह से ही संभव हो पाता है, ऐसा सभी मानते हैं। वह जिस भी शुभ कार्य की शुरुआत करते हैं, उसे परंपरा बना देते हैं। नागपुर में सामूहिक विवाह समेत कई अन्य सामाजिक आयोजन दीपक भैय्या के कुशल नेतृत्व और विशाल हृदय के कारण ही संभव हो पाते हैं। पूर्व अध्यक्ष श्री सुरेश बोरले भी श्रीमती स्नेहा की इस बात से पूरी तरह इत्तेफाक रखते हुए कहते हैं कि यह आयोजन अपनी निरंतरता, भव्यता और कुशल प्रबंधन के चलते पूरे नागपुर ही नहीं, आसपास के जिलो में ख्याति प्राप्त कर रहा है और यह ‘नागपूर चा राजा’ की विशेष कृपा है। 11वें दिन अनंत चौदस पर विशाल भंडारे के बाद बड़े भाव और भव्यता के साथ गणपति को जलयात्रा पर विदा किया जाता है। 
 

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