November 22, 2024
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समाचार समाज

सच्ची श्रद्धांजलिः स्वर्गवासी पिता के ‘मित्रों’ का किया सम्मान; अनिल जायसवाल की पहल को समाज ने सराहा; स्व. श्री सत्यनारायणजी जायसवाल की द्वितीय पुण्यतिथि पर आयोजन

अहमदाबाद।
हर व्यक्ति को अपने संपूर्ण जीवन में एक पुत्र होने के कर्तव्यों का निर्वहन करना होता है, और करना भी चाहिए। पिता के जीवित रहते उनकी सेवा करना और उनके स्वर्गवासी होने के उपरांत उनकी स्मृतियों तथा उनके रिश्तों को सजोना, तथा उनके कार्यो व कारोबार को आगे बढ़ाना ही एक पुत्र का धर्म है। अहमदाबाद के युवा उद्यमी एवं समाजसेवी श्री अनिल जायसवाल और उनके अनुज श्री सुधीर जायसवाल ने इसकी शानदार मिसाल समाज के सामने रखी है। स्वर्गीय पिता श्री सत्यनारायण जायसवाल की दूसरी पुण्यतिथि पर उनके इन दोनों पुत्रों ने 12 ऐसे स्वजातीय बुजुर्गों का सम्मान किया जो उनके पिता के मित्र रहे या किसी न किसी रूप में उनके साथ जुड़े थे। 
अहमदाबाद के वस्त्राल स्थित वन प्वाइंट बैक्वेट हॉल में रविवार को स्व. श्री सत्यनारायण जायसवाल के श्रद्धांजलि समारोह में जिन 12 स्वजातीय बुजुर्गों का सम्मान किया, उनमें श्री पन्नालालजी जायसवाल, रामलखनजी गुप्ता, श्री चौखटप्रसादजी जायसवाल, श्री कैलाशनाथजी गुप्ता, श्री छोटेलालजी जायसवाल, श्री रामआधारजी जायसवाल, श्री शशिकांतजी जायसवाल, श्री प्रेमचंदजी शाह, श्री शेषनाथजी जायसवाल, श्री मुरली जायसवाल, श्री केदारनाथजी जायसवाल एवं श्री द्वारिका प्रसादजी जायसवाल शामिल हैं। श्री अनिल जायसवाल एवं श्री सुधीर जायसवाल ने इन सभी को सम्मान स्वरूप एक सम्मान-पत्र, दुशाला, नारियल, पुस्तक ‘अग्नि की उड़ान’ (लेखक एपीजे अब्दुल कलाम) तथा बुके भेंट किया। दोनों भाइयों ने अपने परिवारों समेत सभी के चरण-स्पर्श कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। 
श्री अनिल जायसवाल ने इस अवसर पर भावुक होते हुए कहा कि हमारे पिता असमय ही यह संसार छोड़कर चले गए। हमने आप सभी को उनके साथ मित्रवत देखा है, और इसीलिए हमारे ह्रदय में आप सभी का वही आदर और सम्मान है जो हमारे पिता के लिए है। इसीलिए आपसे आशीर्वाद की अपेक्षा करते हैं। पिता के प्रति पुत्रों के इस आदर-भाव से सभी सम्मानित बुजुर्ग द्रवित होते नजर आए। श्री पन्नालाल जायसवाल ने स्व. श्री सत्यनारायण से जुड़ी स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि वह सामाजिक कार्यों में हमेशा आगे रहते थे, हर साल डाकोर पदयात्रा में उनकी सेवा की कमी कोई पूरी नहीं कर सकता। श्री द्वारिका प्रसाद जायसवाल ने कहा कि स्व. श्री सत्यनारायणजी जायसवाल एक पुण्य्-आत्मा थे, ईश्वर उन्हें चिरशांति प्रदान करे।
इससे पूर्व श्री अनिल जायसवाल, उनकी सहधर्मिणी श्रीमती सुषमा जायसवाल, पुत्र अंशुहिल जायसवाल तथा श्री सुधीर जायसवाल, उनकी सहधर्मिणी श्रीमती खुश्बू जायसवाल, दोनों पुत्रियों सुश्री ख्वाहिश एवं सुश्री चाहत के साथ पिता स्व. श्री सत्यनारायणजी जायसवाल एवं माताजी श्रीमती इंदिरा देवी जायसवालजी के चित्रों के समक्ष दीप प्रज्ज्वल एवं श्रद्धासुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि सभा का शुभारंभ किया। तत्पश्चात सभागार में उपस्थित समाजबंधुओं ने दोनों पुण्य-आत्माओं के चित्रों के समक्ष श्रद्धासुमन अर्पित किए। 
वक्ताओं ने श्री अनिल जायसवाल एवं उनके अनुज श्री सुधीर जायसवाल द्वारा अपने पिता की पुण्य-स्मृति में किए गए आयोजन की सराहना करते हुए इसे अहमदाबाद के स्वसमाज में एक अनुकरणीय पहल बताया, और अपेक्षा की भविष्य में इस तरह के और भी आयोजन कराए जाएंगे। श्री अनिल जायसवाल ने बताया कि वह प्रतिवर्ष अपने पिता की पुण्यतिथि पर ऐसे ही कार्यक्रम का आयोजन कर अपने समाज के 12 बुजुर्गों का सम्मान करेंगे। सहभोज के साथ श्रद्धांजलि समारोह का समापन किया गया।
 

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