बक्सर।
‘अंकल अब मैं बिल्कुल ठीक हूं, सहारा लेकर टॉयलेट भी जा सकता हूं… डाक्टर ने एक महीने का बेडरेस्ट बताया है। थैंक्यू टु ऑल ऑफ यू, आपने मुझे बचाने के लिए मेरे पापा का सपोर्ट किया, मेरे लिए दुआएं कीं, उसके लिए थैंक्यू।‘
शिवहरेवाणी से फोन पर बातचीत के दौरान 17 साल के प्रकाश जायसवाल के कृतज्ञता भरे ये शब्द उन तमाम समाजबंधुओं को संबोधित थे, जो संकट की घड़ी उसके समाजसेवी पिता श्री गोविंद जायसवाल के साथ खड़े थे…तन से, मन से या धन से। जायसवाल क्लब के बिहार प्रभारी गोविंद जायसवाल की पहचान एक ऐसे समाजसेवी की है, जो निःस्वार्थ भाव से समाज में प्रेम और सौहार्द बढ़ाने का कार्य कर रहा है, निर्धन औऱ वंचित वर्ग की सहायता व उनके सशक्तीकरण में अहम योगदान कर रहे हैं।
पेशे से न्यूजपेपर हॉकर गोविंद जायसवाल महिला विकास संगठन के संयोजक व संस्थापक होने के साथ ही, राष्ट्रीय वैश्य महासभा के बिहार प्रदेश सचिव और राजद के नगर अध्यक्ष भी हैं। सामाजिक कार्यों में हरदम आगे रहने वाले गोविंद जायसवाल को करीब तीन महीने पहले 17 वर्षीय बेटे प्रकाश जायसवाल को बोन टीवी होने का पता चला, जो उसकी रीढ़ की हड्ड़ी को प्रभावित कर रहा था। बोन टीवी लाइलाज बीमारी तो नहीं है लेकिन बेहद तकलीफदेह होती है। बोन टीवी की चपेट में आकर प्रकाश का चलना-फिरना बंद हो गया था। शरीर दिन पर दिन गिरता जा रहा था। सर्जरी ही इसका उपचार है, जिसमें तीन लाख का खर्चा बताया गया। गोविंद जैसे सादा-जीवन शख्स के लिए यह रकम बहुत बड़ी थी। इस समाचार ने तमाम लोगों को भी विचलित कर दिया जिनकी गोविंद जायसवाल ने कभी न कभी, किसी न किसी रूप में सहायता की थी, लेकिन लाचारी यह कि वे स्वयं भी इस स्थिति में नहीं कि सब मिलकर गोविंद जायसवाल की पर्याप्त आर्थिक मदद मुहैया करा सकें। फिर भी सबने जो बन सका, किया। महिला संस्थान की संरक्षक श्रीमती कंचन देवी और उनके पति अरविंद जायसवाल ने 51000 रुपये की पहली बड़ी सहयोग राशि प्रदान की। लेकिन फिर भी कुल एकत्र सहायता राशि नाकाफी थी।
ऐसे में इन लोगों ने सोशल मीडिया पर अपीलें जारी कीं। उनका यह प्रयास रंग लाया, कई जगह से सहायता राशि मिलने लगी। लेकिन, एक अप्रत्याशित सहायता ने गोविंद जायसवाल के दिल को छू लिया। गोविंद जायसवाल ने शिवहरेवाणी को बताया कि वह आपरेशन से पहले बेटे के लिए एक्सपर्ट ओपिनियन लेने के लिए नई दिल्ली स्थित एम्स गए थे। वहां एक अनजान कॉल आई। हैलो करने पर दूसरी तरफ से बात करने वाले ने अपना परिचय दीपक जायसवाल के रूप में दिया जो नागपुर से थे। उन्होंने सीधे-सीधे पूछा बेटे के लिए कितने पैसे की जरूरत है। गोविंद जायसवाल ने बताया कि 3 लाख रुपये की जरूरत है और 2 लाख 51 हजार आ चुके हैं। इस पर दीपक जायसवालजी ने उनके एकाउंट्स की डिटेल्स मांगी। और यह डिटेल्स देने के कुछ देर बाद ही गोविंद जायसवाल के खाते में 49 हजार रुपये ट्रांसफर हो गए। करीब सप्ताहभर पहले पटना के सिसरो अस्पताल में प्रकाश जायसवाल की रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन हुआ जो पूरी तरह सफल रहा। उम्मीद है कि एक महीने के अंदर प्रकाश जायसवाल चल-फिर सकेगा और दो-तीन महीने में पूरी तरह सामान्य जीवन जीने लगेगा।
गोविंद जायसवाल ने बताया कि बाद में पता करने पर मालूम हुआ कि ये दीपक जायसवालजी नागपुर के जाने-माने उद्यमी हैं जो सामाजिक सेवा और कार्यों में बढ़-चढ़कर योगदान करते हैं। हर साल सामूहिक विवाह का भव्य आयोजन अपनी माताजी की स्मृति में कराते हैं। इसके अलावा भी इनकी जिंदादिली और सेवाभाव के कई किस्से हैं। गोविंद जायसवाल ने शिवहरेवाणी के माध्यम से उन्हें आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वह उनके दर्शन करना चाहते हैं और जल्द ही नागपुर जाकर उनसे मिलेंगे, उनको नमन कर आभार व्यक्त करेंगे। गोविंद जायसवाल और उनकी पत्नी श्रीमती किरण जायसवाल ने शिवहरेवाणी के माध्यम से सभी समाजबंधुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की है।
बता दें कि गोविंद जायसवाल स्वयं भी किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। न्यूजपेपर हॉकर का काम करने वाले गोविंद जायसवाल अपनी मामूली कमाई में भी सामाजिक कार्य करते रहते हैं। उन्होंने कई गरीब लड़कियों की शादी कराई, जरूरतमंदों के ऑपरेशन और रक्तदान शिविर भी आयोजित कराए हैं। निर्धन वर्ग की साक्षरता और स्वालंबन के लिए उनका कार्य सराहनीय है। इनके लिए वह पूरे भारत में सम्मनित हो चुके हैं। गोविंद जायसवाल और उनकी पत्नी, दोनों ने अपने घर को ‘हैल्प कार्यालय’ में तब्दील कर दिया है जहां हर तरह की जरूरत में लोगों की सहायता की जाती है। इनकी पूरी महिला टीम एक गुलाबी परिधान में हमेशा भोजन, रक्तदान, ऑपरेशन, इलाज, शिक्षा कोई भी कार्य मे सहयोग के लिए तत्पर रहती है। बकौल गोविंद जायसवाल, हमारा एक ही उद्देश्य और चाहत है कि मुझे करोड़पति नही बनना है, करोड़ लोगों के दिल मे रहना है।
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