April 16, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

शानदार चुनावी रिकार्ड वाले विजय शिवहरे को मिल सकता है एमएलसी टिकट; मथुरा में बड़ी सफलता का होग इनाम

आगरा। 
चुनावों में जीतते भले ही प्रत्याशी हैं, लेकिन उनकी जीत के पीछे पार्टी के संगठन और जिम्मेदार पदाधिकारियों की मेहनत छिपी होती है, जिनकी चर्चा कम ही की जाती है। किसान आंदोलन के असर वाले मथुरा जिले की पांचों विधानसभा सीटे भाजपा की झोली में जाने के पीछे एक अहम भूमिका विजय शिवहरे की भी है जिन्होंने मथुरा के चुनाव प्रभारी रहने के दौरान बीते आठ महीने इस जाटलैंड में कड़ी मेहनत की, गांव-मजरों तक की खाक छानी, लगातार बैठकें कर पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट किया और उन्हें प्रेरित करते रहे। मथुरा में भाजपा के क्लीन स्वीप के साथ ही विजय शिवहरे ने एक बार फिर अपने चुनावी कौशल की धाक जमा दी है। अब चर्चा है कि पार्टी उन्हें पुरस्कार के तौर पर एमएलसी का टिकट दे सकती है।

बता दें कि विजय शिवहरे 2016 में भाजपा के आगरा महानगर अध्यक्ष नियुक्त हुए थे। उनके महानगर अध्यक्ष रहते हुए पार्टी ने आगरा में पहले वार्ड चुनाव, फिर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में शानदार सफलता अर्जित की थी। पार्टी ने इस जीत में उनके योगदान को माना और महानगर अध्यक्ष से सीधे उत्तर प्रदेश संगठन में मंत्री पद की बड़ी जिम्मेदारी उन्हें सौंपी। चुनावी सफलता के उनके शानदार रिकार्ड को देखते हुए भाजपा ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए मथुरा का प्रभारी नियुक्त किया था। उस वक्त किसान आंदोलन का असर मथुरा के ग्रामीण अंचल में दिखाई देने लगा था। चुनाव प्रभारी की कमान संभालने के बाद विजय शिवहरे ने मथुरा के ग्रामीण क्षेत्रों में घूम-घूमकर कार्यकर्ताओं को हवा भरी, एक-एक दिन में 20-20 गांवों में पहुंचे, वहां के किसानों से सीधे बात की और केंद्र व राज्य सरकार की जनहितकारी नीतियों से उन्हें अवगत कराया, कृषि बिलो के पीछे पार्टी का विजन भी उनके सामने स्पष्टता से रखा। उनकी इस मेहनत का नतीजा पंचायत चुनाव में सफलता के रूप में सामने आया। 

पंचायत चुनाव के बाद भाजपा के लिए अगली चुनौती विधानसभा चुनाव की थी। अपनी तेजतर्रार कार्यशैली और ओजस्वी वक्तव्य-शैली से कार्यकर्ताओं को ऊर्जित करने में माहिर विजय शिवहरे तब तक मथुरा के स्थानीय संगठन से सामंजस्य कायम कर चुके थे। गांव-गांव और गली-मोहल्लों के साधारण कार्यकर्ताओं से लेकर जिले के प्रमुख पदाधिकारी तक सीधे उनके संपर्क में थे। विधानसभा चुनाव से पहले तीन महीने विजय शिवहरे ने एक तरह से मथुरा में ही डेरा डाले रखा और चुनाव संचालन अपने हाथ में ले लिया। बीती 10 मार्च को घोषित मथुरा के चुनाव परिणामों ने बड़े-बड़े राजनीतिक पंडितो को चौंका दिया। भाजपा ने इस जाटलैंड में पांचों सीटों पर कब्जा कर लिया। मांट जैसी सीट भी भाजपा की झोली में चली गई जिसे रालोद का गढ माना जाता है। 
बेशक इस जीत में मोदी और योगी के करिश्माई व्यक्तित्व के योगदान से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन इतनी बड़ी सफलता स्थानीय स्तर पर कारगर चुनावी रणनीति बनाए बिना अर्जित नहीं की जा सकती, और मथुरा ने विजय शिवहरे ने ऐसा ही किया। अब पार्टी के अंदर चर्चा है कि विजय शिवहरे को निकट भविष्य में होने वाले एमएलसी चुनाव में पार्टी टिकट दे सकती है। स्थानीय कार्यकर्ता भी चाहते हैं कि विजय शिवहरे को उनके समर्पण का पुरस्कार मिलना चाहिए, इससे युवा कार्यकर्ता भी प्रेरित होंगे। हालांकि एमएलसी टिकट की दौड़ मे कई नेता हैं, लेकिन विजय शिवहरे की दावेदारी को सबसे मजबूत माना जा रहा है। 
 

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