उदयपुर।
उदयपुर के सर्ववर्गीय कलाल संगिनी महिला मंडल ने बीते रोज 12 स्वजातीय युगलों को विवाह के पवित्र बंधन में बांधने में पुण्य-कार्य किया। महाकालेश्वर गार्डन में हुए इस भव्य आयोजन में 5000 से अधिक स्वजातीय बंधुओं की उपस्थिति रही। पूरे विधि-विधान से विवाह के पश्चात समाजबंधुओं ने युगलों को उपहार भेंट किए और दुल्हनों को बेटी की तरह विदा किया।
इस आयोजन में 12 दुल्हा-दुल्हनों की भव्य शोभायात्रा पूरे शहर में चर्चा का विषय रही। हजारों समाजबंधु इसमें शामिल हुए। शोभायात्रा में दूल्हे अलग-अलग घोड़ियों पर सवार थे। खास बात यह है कि कौन सा दूल्हे किस घोड़ी पर बैठेगा, इसका निर्णय भी लॉटरी से किया गया। वहीं दुल्हनों के लिए बग्गियों की व्यवस्था की गई थी। एक विशेष जीप में भगवान सहस्रबाहु की प्रतिमा विराजमान थी, जबकि रथ पर ठाकुरजी की आकर्षक झांकी भी चल रही थी। बैंड-बाजे की मधुर धुनों पर युवक-युवतियां नाचते-गाते चल रहे थे। शोभायात्रा महाकालेश्वर मंदिर से शुरू हो कर राणाजी चौराहा, रानी रोड होते हुए महाकालेश्वर गार्डन पहुंची।
विवाहस्थल पर दूल्हों से तोरण की रस्म कराई गई, जिसके बाद विशाल स्टेज पर युगलों ने एक-दूसरे को वरमाला पहनाई। स्टेज पर ही पंडित ने दूल्हे-दुल्हन का हस्त मिलाप कराया जिसके बाद अलग-अलग मंडपों में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सभी युगलों के फेरे कराए गए। एक मंडप तुलसी-सालिग्राम विवाह का भी थी जिसके लाभार्थी बने कल्पना और ललित पुर्बिया। वर-वधू के धर्म माता-पिता बनने का सौभाग्य रुक्मिणी देवी और भेरूलाल पूर्बिया को प्राप्त हुआ। सामूहिक विवाह कार्यक्रम में ओंगणा, झाडोल, उदयपुर, थूर मदार, सलूम्बर, चित्तौड़, भीलवाड़ा, अहमदाबाद, खेरवाड़ा, डूंगरपुर, बांसवाड़ा सहित दूर-दूर से स्वजातीय बंधु पहुंचे थे।
इससे पूर्व महाकालेश्वर गार्डन में सुबह सात बजे ही सामूहिक विवाह की हलचल शुरू हो गई थी। सुबह सात बजे वर-वधुओं ने अपने परिजनों के साथ महाकालेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना की और रजिस्ट्रेशन कराकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इसके बाद मंदिर परिसर में ही स्वल्पाहार का आयोजन हुआ। शुभ मुहुर्त में गणपति की स्थापना के बाद शोभायात्रा शुरू की गई।
मुख्य आयोजक सर्ववर्गीय कलाल संगिनी महिला मंडल को इस पुण्य अभियान में स्वजातीय पुरुषों का बराबर का सहयोग प्राप्त हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि न्यायाधीश संजय मालवीय थे, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में उदयपुर जिला आबकारी अधिकारी मुकेश कलाल, पूर्व विधायक प्रकाश चौधरी व त्रिलोक पुर्बिया, नारायण पटेल, गिरवर चौधरी, बाबूलाल सुहालका, लोकेश चौधरी, भेरूलाल पुर्बिया, दिनेश पुर्बिया, कचरूलाल चौधरी, राजेंद्र सुहालका, अर्जुन मेवाड़ा, अखिलेश सुहालका, राजेंद्र चौधरी आदि मंचासीन थे। संचालन सूर्य प्रकाश सुहालका, पुष्कर चौधरी व दिव्या पूर्बिया ने किया।
सभी मंचासीन अतिथि, कार्यक्रम में योगदान करने वाले भामाशाहों एवं कार्यकर्ताओं का उपरणा ओढ़ाकर, पंगडी पहनाकर और स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत व अभिनंदन किया गया। व्यवस्थाओं की बागडोर महिला संगठन की संरक्षक डॉ सुनीता सुहालका , अध्यक्ष मंजू पूर्बिया, संगीता सुहालका,चीनू पूर्बिया, मंजू टांक, सौम्या सुहालका, राजकुमारी कुसुम, सुचित्रा व स्नेहलता सुहालका, दीपिका चौधरी, ललिता व ज्योति पूर्बिया, दुर्गा टांक ने संभाल रखी थी। जगदीश सुहालका, छगन पूर्बिया, पृथ्वीराज सुहालका, सूर्य प्रकाश सुहालका, नरेश पूर्बिया, मदन चौधरी,भेरु लाल कलाल, सोहन लाल सुहालका का विशेष योगदान रहा।
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जब उदयपुर की सड़कों पर घोड़ों पे निकले दूल्हे और बग्गी पर दुल्हनें; कलाल समाज के सामूहिक विवाह में एक दर्जन जोड़ों ने लिए फेरे
- by admin
- November 30, 2023
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- 1 year ago














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