आगरा।
कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन छोटी दीवाली यानी नरक चतुर्दशी मनाई जाती है जो आज 3 नवंबर को मनाई जा रही है। छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी को रूप चौदस और काली चौदस के रूप में भी जाना जाता है। इसके पीछे अलग-अलग पौराणिक कथाएं हैं।
नरक चौदस या चतुर्दशी इसीलिए कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने प्रागज्योतिषपुर नामक राज्य के दैत्य राजा नरकासुर के आतंक का अंत किया था। नरकासुर को वरदान था कि वह किसी स्त्री के हाथों ही मारा जाएगा। देवताओं की गुहार पर भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध करने की ठानी। इसमें उन्होंने अपनी पत्नी सत्यभामा की सहायता ली। वह स्वयं सत्यभामा के सारथी बने और सत्यभामा ने नरकासुर का वध कर दिया।
नरकासुर का वध करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने तेल से स्नान किया। तभी से इस दिन तेल से स्नान करने की प्रथा है। माना जाता है कि यह स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है और रूप-सौंदर्य में भी वृद्धि होती है। इसीलिए इसे रूप चौदस कहा जाता है।
वहीं नॉर्थ ईस्ट इलाके लोगों का मानना है कि नरकासुर का वध काली देवी ने किया था। यही कारण है कि छोटी दिवाली के दिन काली मां की पूजा भी की जाती है।
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