लखनऊ।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर मोदी-योगी की जय-जयकार कर रहे जायसवाल समाज अब भाजपा से खफा नजर आ रहा है। दरअसल जायसवाल समाज ने यूपी में सवा करोड़ की आबादी होने की दलील देते हुए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से यूपी विधानसभा चुनाव में 16 टिकटों की मांग की थी। और, अब तक भाजपा ने केवल एक टिकट पर जायसवाल प्रत्याशी बनाया है।
मौजूदा विधानसभा में भाजपा के तीन जायसवाल विधायक हैं। इनमें वाराणसी उत्तर से रविंद्र जायसवाल हैं जो योगी सरकार में मंत्री हैं और उन्हें इस बार भी टिकट मिलना तय माना जा रहा है। बहराइच से विधायक एवं पूर्व मंत्री अनुपमा जायसवाल को टिकट की घोषणा भाजपा कर ही चुकी है, लेकिन बस्ती की रुधौली सीट से विधायक संजय प्रताप सिंह को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। कहा तो यह भी रहा है कि इस बार पैनल में उनका नाम ही नही गया है। ऐसे में उनकी टिकट कट भी सकती है। दूसरी तरफ अब तक की घोषित सूचियों में कांग्रेस ने चार, आप ने तीन टिकट जायसवाल समाज को दिए है। सपा, बसपा ने एक-एक जायसवाल प्रत्याशी को टिकट दिया है।
यह स्थिति तब है जब जायसवाल समाज बीते वर्षों में बार-बार ‘राजनीतिक चेतना’ के नाम पर स्वजातीय जनों की भीड़ जुटाकर भाजपा के प्रति आस्था दर्शाता रहा है, और जायसवाल समाज के ज्यादातर सामाजिक मंच भी भाजपामय नजर आते हैं। लेकिन, भाजपा की अनदेखी ने जायसवाल समाज को सकते में डाल दिया है।
अब तक के कितने जायसवाल प्रत्याशी
कांग्रेस ने अयोध्या के गोसाईगंज से शारदा जायसवाल, कानपुर के आर्यनगर से प्रदीप जायसवाल, पडरौना से मनीष जायसवाल, अकबरपुर से प्रियंका जायसवाल को टिकट दिया है। हालांकि मनीष जायसवाल ने बाद में कांग्रेस पार्टी से ही इस्तीफा दे दिया।
आम आदमी पार्टी ने अकबरपुर से मूलचंद जायसवाल, सिराथु से विष्णु कुमार जायसवाल, पिपराइच से धीरेंद्र प्रताप जायसवाल को प्रत्याशी बनाया है।
बसपा ने आर्यनगर (कानपुर) से आदित्य जायसवाल को टिकट दिया है।
सपा ने सीतापुर से राधेश्याम जायसवाल को प्रत्याशी बनाया है।
भाजपा ने बहराइच से मौजूदा विधायक एवं पूर्व मंत्री अनुपमा जायसवाल को टिकट दिया है।
अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा के महासचिव अटल कुमार गुप्ता ने शिवहरेवाणी को बताया कि उन्होंने 16 सीटों पर कलवार, कलार समाज को प्रतिनिधित्व देने की मांग भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के समक्ष रखी थी। इनमे शामली से सुखचैन वालिया का नाम भी शामिल था जिन्हें टिकट नहीं दिया गया। प्रयागराज की मेजा सीट से युवा सामाजिक कार्यकर्ता अजितेश जायसवाल लंबे समय से भाजपा का टिकट हासिल करने का जीतोड़ प्रयास कर रहे थे, उन्हें भी हताशा ही हाथ लगी। अजितेश जायसवाल को टिकट नहीं मिलने पर जायसवाल युवा मंच और जायसवाल सेना समेत कई सामाजिक संगठनों ने नाराजगी भी जताई है।
दरअसल इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि सूबे में सवा करोड़ की आबादी वाले कलवार, कलार या जायसवाल समाज में कोई ऐसा नेता नहीं, जिसके पीछे प्रदेश स्तर पर पूरा समाज एकजुट नजर आता हो। जबकि, संख्या के लिहाज से जायसवाल समाज के मुकाबले बहुत छोटे-छोटे समाज भी एक नेता के बूते सियासत में अपनी अहमियत को मनवा रहे हैं। इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए कि वोटों के गुणा-भाग में भाजपा के लिए जायसवाल, कलवा या कलार एक ऐसा समाज है जिसे साधने की वह कोई जरूरत महसूस नहीं करती। वैसे भी, जो समाज अपने सोशल मीडिया ग्रुपों में, सामाजिक मंचों पर और अन्य तरीकों से भी स्पष्ट रूप से भाजपा के साथ खड़ा नजर आता हो, उनके वोट को लेकर भाजपा का आश्वस्त होना लाजिमी है।
जैसा कि अटल कुमार गुप्ता कहते हैं, भाजपा आलाकमान को लगता है कि जायसवाल समेत संपूर्ण वैश्य समाज उसका बंधुआ वोटर है. वह कहीं जाने वाला नहीं है। शिवहरेवाणी से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह बहुत जल्द उत्तर प्रदेश से एक स्वजातिय राजनीतिक पार्टी की घोषणा करेगें जो वैश्य समाज का खुद अपना घर अपनी पार्टी होंगी। क्योंकि, समाज के उत्थान के लिए उसके पास राजनीतिक शक्ति का होना जरूरी है।
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