November 21, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
धरोहर समाचार समाज

हैदराबाद के जायसवाल समाज ने केसीआर से मांगी 5 एकड़ जमीन; भवन बनवाने की मांग; कलवार जायसवाल महासभा का शताब्दी वर्ष समारोह; जानिये हैदराबाद में जायसवाल समाज का इतिहास और योगदान

हैदराबाद।
कलवार जायसवाल महासभा तेलंगाना हैदराबाद ने राज्य की केसीआर सरकार से जायसवाल समाज के लिए एक सामुदायिक भवन का निर्माण कराने की अपील की है। इसके लिए राज्य सरकार से उप्पल बगायत में 5 एकड़ का भूखंड 5 करोड़ रुपये में आवंटित करने की मांग की। मौका था संस्था की स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित शताब्दी वर्ष समारोह का।
हैदराबाद में काचीगुड़ा स्थित मुनुरु कापू संघम भवन में शताब्दी वर्ष समारोह एक तरह से आसफजाही शासनकाल में आए जायसवाल समुदाय के हैदराबाद के विकास में योगदान के जश्न के तौर पर मनाया गया। समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में आंध्र प्रदेश हाइकोर्ट के रिटायर्ड न्यायाधीश श्री एनएसके जायसवाल, विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक जायसवाल (इंदौर), राष्ट्रीय महासचिव एवं यूपी-महाराष्ट्र प्रभारी श्री अटल कुमार जायसवाल (कोयंबटूर), हैदराबाद नगर निगम के पार्षद श्री राकेश जायसवाल, प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद जायसवाल तथा अन्य अतिथियों ने संबोधित किया। अतिथियों ने कहा कि पूरे तेलंगाना राज्य में जायसवाल समाज की आबादी एक लाख से कुछ अधिक होगी लेकिन राज्य की विकास यात्रा में इसकी शानदार भागीदारी रही है, लिहाजा मुख्यमंत्री केसीआर को हर प्रकार से इस समुदाय का ख्याल रखना चाहिए। 
राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक जायसवाल ने अपने उदबोधन में महासभा के प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय बाबू जीतलाल जी जायसवाल, वर्ष 2004 से 2009 तक महासभा के राष्ट्रीय महासचिव रहे स्वर्गीय श्री चंद्रप्रकाश वर्मा और महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष रहे प्रोफेसर आनंदराज वर्मा के योगदान का स्मरण करते हुए कहा कि आज हैदराबाद में जायसवाल महासभा के 100 वर्ष पूरे हो गए, और यह गौरवपूर्ण उपलब्धि इन्हीं महान विभूतियों की दूरदर्शिता का सुफल है। उन्होंने बताया कि 1984 में नई दिल्ली में बैठकर अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा का गठन हुआ था और इसके प्रथम अध्यक्ष हैदराबाद के स्वर्गीय बाबू जीतलाल जी जायसवाल बनाए गए थे। यह उन्हीं की पहल है कि आज पूरे देश में जायसवाल समाज के अंदर जागृति नजर आ रही है। उन्होंने कहा कि समाज में शिक्षा के प्रचार-प्रसार के साथ ही औद्योगिक क्षेत्र में भी समाज के युवाओं को आना चाहिए।
समारोह में लगभग 2000 स्वजातीय बंधुओं ने भाग लिया। स्वजातीय बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने लोगों को मन जीत लिया। इस दौरान समाज के प्रतिभाशाली बच्चों को छात्रवृत्ति और प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की गई। महासभा के अध्यक्ष श्री राजेंद्र प्रसाद जायसवाल ने स्वागत उदबोधन दिया। मंत्री शशिभूषण ने सभा की रिपोर्ट पेश की। श्री चंदन राज जायसवाल ने महासभा के आय-व्यय  का ब्यौरा प्रस्तुत किया। श्रीमती नगरिया मीना ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम को सफलता के अंजाम तक पहुंचाने में संयोजक सांईनाथ जायसवाल और राधारमण की अहम भूमिका रही। कार्यक्रम के अंत में सभी ने सहभोज का आनंद लिया। कार्यक्रम अर्धरात्रि तक चला। राष्ट्रीय महासचिव श्री अटल कुमार गुप्ता ने शिवहरेवाणी को बताया कि हैदराबाद के जायसवाल समाज ने राष्ट्रीय पदाधिकारियों का हृदय से स्वागत किया, जिसके लिए वह उनका आभार मानते हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक जायसवाल ने शिवहरेवाणी को बताया कि समाजबंधुओं ने उनसे व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर घर चलने का आग्रह किया, लेकिन व्यावसायिक व्यस्तता के चलते उन्हें शीघ्र लौटना पड़ा। उन्होंने समाजबंधुओं के निमंत्रण को स्वीकार करते हुए आश्वस्त किया कि अगली बार परिवार के साथ हैदराबाद आएंगे और सभी से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात करेंगे। 

हैदराबाद में सैकड़ों वर्ष पुराना है जायसवाल समाज का इतिहास
हैदराबाद में जायसवाल  समाज का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है। गोलकुंडा (वर्तमान हैदराबाद से पांच मील दूर) में आसफजाही शासन की स्थापना के साथ उत्तर भारत से कई जातीय समुदाय आकर बस गए थे। इनमें मारवाड़ी, गुजराती और जायसवाल समुदाय प्रमुख थे। जायसवाल दो जत्थों में आए थे, एक पश्चिमी भारत से और दूसरा उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों से। जायसवाल समाज के लोगों ने यहां शराब बनाने की कला में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और वर्तमान नारायणगुडा के आसपास के क्षेत्र में बस गए। कहा जाता है कि 1723 में निज़ाम सरकार ने हैदराबाद में आबकारी विभाग की स्थापना की। 1823 ई. में एक पूर्ण विकसित आबकारी निदेशालय अस्तित्व में आया।  जायसवाल समाज के चौधरी गंगा राम और चौधरी भवानी राम को निजाम सरकार ने बीमार पड़े आबकारी उद्योग की निगरानी और सुधार के लिए आमंत्रित किया था। राज्य को वार्षिक राजस्व के भुगतान के एवज में उन्हें कई आसवनियों पर आजीवन अधिकार दिया गया। उन्होंने नारायणगुडा और उसके आसपास अपनी भट्टियां और दुकानें स्थापित कीं। काफी मुनाफा कमाया और संपत्तियां अर्जित कीं। जायसवाल समुदाय के एक विख्यात वंशज राम नारायण जायसवाल के पास इस क्षेत्र में बहुत बड़ी संपत्ति थी और इस क्षेत्र का नाम बाद में उन्हीं के नाम पर नारायणगुडा रखा गया। शराब व्यवसाय में जायसवाल समाज की सफलता ने अन्य जगहों खासकर उत्तर प्रदेश के जायसवाल शराब कारोबारियों प्रेरित किया और उन्होंने भी हैदराबाद आकर वर्तमान तेलंगाना व आंध्र प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में अपने कारोबार स्थापित कर लिए। 

इस तरह हुई जायसवाल कलवार महासभा की स्थापना
फलते-फूलते जायसवाल समुदाय के हितों की रक्षा के लिए जायसवाल कलवार महासभा, हैदराबाद की स्थापना 1923 ई. में हुई। चौधरी भवानी राम के वंशज मदन लाल इसके पहले  अध्यक्ष थे और उनके पुत्र पापा लाल को महासभा के पहले सचिव के रूप में चुना गया था। पिता और पुत्र दोनों ने इन पदों पर  25 वर्षों की लंबी अवधि तक समुदाय की सेवा की। बाद में, महासभा को आंध्र प्रदेश जायसवाल सभा में परिवर्तित कर दिया गया जो आज भी कार्य कर रही है। एक अन्य संगठन ‘जायसवाल पंचायत’ का गठन 1940 में एक प्रमुख अधिवक्ता और प्रमुख आर्य समाजी श्री सालिग्राम जायसवाल की अध्यक्षता में किया गया जिसके सचिव श्री बाबू राम दयाल थे। यह संगठन 27 वर्षों तक कार्य करता रहा ।

हैदराबाद में जायसवाल समाज की शिक्षण संस्थाएं, भवन औऱ मंदिर
1948 में हैदराबाद स्टेट के भारतीय गणतंत्र में विलय के बाद आंध्र प्रदेश सरकार की आबकारी नीति में बदलाव कर दिया। दुकानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू हो गई, जायसवाल समाज अपने पैतृक व्यवसाय के एकाधिकार से वंचित हो गया। ऐसे में जायसवाल समाज के बच्चों ने शिक्षा पर ध्यान देना शुरू किया, साथ ही अन्य व्यवसायों में भी हाथ आजमाने लगे। जायसवाल समाज के धनीमानी लोगों ने कई शैक्षणिक संस्थान शुरू किए जिनमें ज्ञानदीन आर्य कन्या पाठशाला और मुन्नालाल ट्रस्ट व राम नारायण ट्रस्ट जैसे शिक्षा को समर्पित ट्रस्त प्रमुख हैं जहां गरीब बच्चों को शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति दी जाती थी। इस दौरान समाज के उपयोग के लिए कई सामुदायिक भवनों का भी निर्माण हुआ। इनमें काचीगुड़ा  स्थित तुलझा भवन, राम नारायण जायसवाल भवन, गंगा प्रसाद राजा करन धर्मशाला एवं सिकंदराबाद में चुन्नालील धर्मशाला प्रमुख हैं। यही नहीं, जायसवाल समुदाय को लोगों ने अपने सदियों पुराने सामाजिक-धार्मिक संस्कारों, परंपराओं और रीति-रिवाजों के अनुपालन के लिए अपने मंदिर बनाए। इनमें लाला मंदिर (रानीगंज), गोपाल मंदिर (सिकंदरबाद) और भगवान शिव मंदिर (सदाशिवपेटा) प्रमुख हैं। सिनेमा उद्योग में जायसवाल समुदाय का योगदान बहुत अधिक रहा है। मनोहर टॉकीज, दीपक महल, प्रशांत, कुछ चुनिंदा टॉकीज जायसवाल समुदाय के सदस्यों के पास हैं। 

राजनीतिक क्षेत्र में जायसवाल समाज का योगदान और भागीदारी
जायसवाल समुदाय ने हैदराबाद के सामाजिक-सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन को समृद्ध बनाने में भी अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होंने हैदराबाद के मुक्ति आंदोलनों और तेलंगाना आंदोलन में भाग लिया। वे आंध्र प्रदेश में आर्य समाज आंदोलन के प्रबल समर्थक थे। मनसा राम, शालिग्राम और पंडित राजा राम शास्त्री जैसे आर्य समाज के प्रमुख नेता जायसवाल थे। राजनीति  में भी जायसवाल समाज का योगदान को कम नहीं आंका जा सकता है। हीरा लाल मौर्य एक ऐसे राजनीतिक नेता हैं जिन्हें बाद में राज्य में एमएलसी के रूप में नामित किया गया था। एक समय में जायसवाल समाज के सात नगरपालिका पार्षद थे। आज भी, जायसवाल समुदाय के कुछ सदस्य तेलंगाना क्षेत्र की ग्राम पंचायतों और जिला परिषदों में कार्यालय रखते हैं।

विभिन्न क्षेत्रों में जायसवाल समाज की नामी हस्तियां
जायसवाल समाज के लोगों ने यहां सामाजिक जीवन के हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। मसलन डॉ. सीएल मौली और डॉ. चंदू लाल ने चिकित्सा  जगत में अपनी खास पहचान बनाई।  वकालत में नरसिंह प्रसाद जायसवाल, बाबू रामदयाल और सुरेश बाबू प्रमुख नाम हैं। शिक्षा में प्रो जीपी जायसवाल और प्रो विद्या सागर ने समाज का नाम रोशन किया है। समाजसेवियों में जीतलाल जायसवाल का नाम प्रमुख है। उन्हें अखिल भारतीय जायसवाल महासभा के पहले अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। खेलों की बात करें तो आज नैना जायसवाल, जतिन देव और वरुण जायसवाल का टेबल टेनिस में राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा नाम है। बैडमिंटन में इशिका जायसवाल उभरती हुई खिलाड़ी  है। शिक्षा के क्षेत्र में नैना जायसवाल और उसके छोटे भाई अगस्त्य जायसवाल का नाम है, नैना जायसवाल  के नाम कम उम्र में पीएचडी करने का रिकार्ड है, तो अगस्त भी पीछे नहीं है। उसे गूगल ब्वॉय कहा जाता है।
 

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