आगरा।
चलिए रामनवमी के दिन आपको देवी मां के उस दीवाने की खैर-खबर देते हैं जो 51 शक्तिपीठों के दर्शन के लिए 11501 किलोमीटर लंबे सफर पर पैदल ही निकल पड़ा है। उरई-जालौन जिले के जालौन निवासी भानु महाजन (शिवहरे) की बात कर रहे हैं और वह इस समय (रामनवमी के दिन 30 मार्च को) महाराष्ट्र में विख्यात शनि शींगणापूर मंदिर से करीब 40 किलोमीटर पहले जलगांव में पैदल गतिशील हैं। अब तक 22 शक्तिपीठों के साथ 2 धाम और 5 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन भी कर चुके हैं। अभी घर से निकले हुए उन्हें 234 दिन हुए हैं।
याद दिला दें कि यह वही भानु महाजन हैं जो 7 अगस्त 2022 को जालौन से अपनी पैदल यात्रा शुरू करने के 11 दिन बाद 18 अगस्त को आगरा पहुंचे थे। यहां आगरा में शिवहरे समाज की दोनों धरोहरों दाऊजी मंदिर और राधाकृष्ण मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव में उन्हें सम्मानित किया गया था। भानु महाजन ने शिवहरेवाणी को बताया कि वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश होते हुए इस समय महाराष्ट्र के जलगांव जिले में हैं।
45 वर्षीय भानु महाजन ने शिवहरेवाणी को बताया कि देवी मां की प्रेरणा से वह लगातार पैदल चल रहे हैं, और अब तक छह जोड़ी जूते बदल चुके हैं। उनका सफर सुबह 6 बजे से ही शुरू हो जाता है, दोपहर को रास्ते में किसी होटल या ढाबे पर भोजन करते हैं, कुछ आराम के बाद फिर यात्रा शुरू हो जाती है और रात में सड़क किनारे स्थित किसी भी ढाबे पर सो जाते हैं। अपना सारा खर्च वह स्वयं वहन कर रहे हैं। साथ में केवल एक पिट्ठू बैग रहता है जिसमें छह जोड़ी कपड़े, अंतःवस्त्र और पादुका रखते हैं। वह कहते हैं कि इस पदयात्रा में उन्हें देवी मां की शक्ति का साक्षात अहसास हुआ है, उन्हीं की दी ताकत से वह पैदल चल पा रहे हैं।
आपके पीछे घर में सब ठीक-ठाक तो है? इस पर भानु महाजन कहते हैं कि हां, ठीकठाक तो है, मोबाइल पर घरवालों से रोज बात होती है। जालौन में उनके ‘मां सावित्री स्वीट हाउस’ को बंद करना पड़ा है। बड़ा बेटा रितिक दुकान देखता था लेकिन पढ़ाई की वजह से बैठ नहीं पा रहा था। पत्नी सुमन ने घर में छोटा सा पार्लर खोल रखा है, फिलहाल तीनों बेटों की पढ़ाई लिखाई और घर का खर्च उसी से चल रहा है। कहते हैं कि तंगी तो हो गई है लेकिन चल रहा है। भानु का कहना है कि उनका लक्ष्य लोगों को अपने धर्म को समझने और सही मायने में उसका अनुपाल करने के लिए प्रवृत्त करना है, और यदि वह किसी को इसके लिए प्रेरित कर सकें तो यही उनकी यात्रा की सफलता होगी।
इन शक्तिपीठों के कर चुके हैं दर्शन
भानु महाजन अब तक उमा शक्तिपीठ (मथुरा-वृंदावन), उत्तराखंड में मायादेवी, सुरकुंडा माता, कुंजापुरी, नैना, चामुंडा देवी, हिमाचल में ज्वाला देवी, हरियाणा में भद्रकाली, पंजाब में त्रिपुरमालिनी, राजस्थान में मणिबंध (पुष्कर), मध्य प्रदेश में बागलामुखी समेत 22 शक्तिपीठों के दर्शन कर चुके हैं। इसके अलावा दो धामों बद्रीनाथ (उत्तराखंड) और द्वारिका (गुजरात) के दर्शन भी कर चुके हैं। साथ ही केदारनाथ (उत्तराखंड), सोमनाथ (गुजरात), नागेश्वर (गुजरात), महाकालेश्वर (मध्य प्रदेश) और ओमकालेश्वर (मध्य प्रदेश) समेत 5 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन भी किए हैं।
कैसे पूरा होगा 51 शक्तिपीठों के दर्शन का लक्ष्य
खास बात यह है कि भानु महाजन जिन 52 शक्तिपीठों के दर्शन करने निकले हैं, उनमें 9 शक्तिपीठ भारत से बाहर हैं। पाकिस्तान में एक ‘हिंगलाज शक्तिपीठ’, तिब्बत में एक ‘मानस शक्तिपीठ’, नेपाल में दो मंडली शक्तिपीठ और गुहोश्रृरी शक्तिपीठ, बांग्लादेश में चार सुगंध शक्तिपीठ, करतोया शक्तिपीठ, चट्टल शक्तिपीठ एवं यशोर शक्तिपीठ और श्रीलंका में एक लंका शक्तिपीठ के दर्शन का भी लक्ष्य है। लेकिन, इनमें वीजा की बाधा सकती है। वह भारत सरकार से इसके लिए आग्रह करेंगे।
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