November 26, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
शख्सियत समाचार समाज

याद आते रहेंगे स्व. श्री कालका प्रसाद शिवहरे; प्रथम पुण्यतिथि पर श्री जय नारायण चौकसे की ओर से शब्दांजलि

जय नारायण चौकसे
स्व. श्री कालका प्रसाद शिवहरे ग्वालियर के सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में एक जाना-पहचाना नाम थे जिनकी कई शिनाख्त थीं। समाजसेवी तो वह थे ही, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पत्रकार भी थे। हालांकि उनकी सबसे बड़ी पहचान एक ऐसे समाजसेवी के रूप में थी, जो कलचुरी समाज के हितकार्यों में हमेशा तत्पर रहते थे, जिन्होंने कई सामूहिक विवाह आयोजित किए, 18 परिचय सम्मेलन कराए।
श्री कालका प्रसादजी के साथ तीन दशकों तक मेरी काफी निकटता रही। उनसे पहली मुलाकात 1997 में ग्वालियर में ही हुई थी, और उसके बाद हम निरंतर मिलते-जुलते रहे। उनके साथ कई सामाजिक कार्यक्रमों में भागीदारी की, कई लंबी यात्राएं भी कीं। श्री कालका प्रसादजी उम्र में मुझसे बड़े थे, लिहाजा मेरे लिए तो हमेशा ही आदरणीय रहे लेकिन मेरे प्रति उनका व्यवहार मित्रवत था।
श्री कालका प्रसादजी कोई धनाड्य कारोबारी नहीं थे, लेकिन बड़े से बड़े कामों के लिए भी बड़ी आसानी और सहजता से सारी व्यवस्थाएं जुटा लेते थे। कहां, कब, किस से, क्या काम लेना है, वह बखूबी जानते-समझते थे। यही वजह है कि अपने जीवनकाल में उन्होंने 18 परिचय सम्मेलन करा दिए, यह किसी के लिए भी आसान बात नहीं है। उन्होंने कई सामूहिक विवाह भी कराए जिनमें ग्वालियर में 251 स्वजातीय कन्याओं का सामूहिक विवाह ऐतिहासिक और यागदार रहा। इस कार्यक्रम का जिक्र आया है तो ग्वालियर के एक अन्य समाजसेवी स्व. श्री चिरौंजीलाल शिवहरे का नाम लिए बिना बात अधूरी ही रहेगी। उस कार्यक्रम में चिरौंजीलालजी ने काफी आर्थिक योगदान दिया था जिसकी वजह से वह कार्यक्रम हो सका। इसके लिए मैं स्व. श्री चिरौंजीलालजी का ऋणी रहूंगा कि उन्होंने मेरे आग्रह का इतना मान रखा। उस समारोह में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र तक से जोड़े आए थे। इतने बड़े क्षेत्र को कवर करना और इतनी बड़ी भागीदारी, यह तो श्री कालका प्रसाद शिवहरे के ही बस की बात थी।
श्री कालका प्रसादजी के व्यक्तिगत और कार्यों से मैं बहुत मुतासिर रहा, और कहीं न कहीं इसी के चलते हम रिश्तेदार भी बन गए। इस रिश्ते की पहल मैंने ही की थी। वह एलएनसीटी संस्थान में अपनी पौत्री कु. श्वेता शिवहरे का बीई में एडमिशन कराना चाहते थे। वह मेरे पास आए तो उन्हें भरोसा देते हुए मेरे मुंह से अनायस ही निकल गया कि ‘आप निश्चिंत रहें, ये समझिये कि मैं अपनी बहु का एडमिशन करा रहा हूं।‘ मेरी इस बात से श्री कालका प्रसादजी हतप्रभ रह गए। बाद मैं मैंने अपने पुत्र डा. अनुपम चौकसे का विवाह आयुष्मती श्वेता शिवहरे से कराया। आज वह श्रीमती श्वेता चौकसे हैं और हमारे घर के साथ-साथ डायरेक्टर के रूप में हमारे एलएनसीटी ग्रुप को भी आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान कर रही है।
एलएनसीटी के कोलार स्थित जेके हॉस्पिटल औऱ मेडिकल कॉलेज में हर वर्ष कलचुरी समाज का सामूहिक विवाह आयोजित किया जाता है जिसमें मेरी धर्मपत्नी श्रीमती पूनम चौकसे की प्रमुख भूमिका रहती है। इस कार्यक्रम में कालका प्रसादजी की उपस्थित अनिवार्य रूप से रहती थी। इतनी वृद्धावस्था में भी वह ट्रेन का सफर करके भोपाल आते थे, कभी तबियत ठीक नहीं होती तो अपने किसी पौत्र या युवा समाजसेवी को साथ लेकर आते, लेकिन आते जरूर थे। आगामी 10 दिसंबर को यह सामूहिक विवाह समारोह होने जा रहा है, इस बार श्री कालका प्रसादजी की कमी हमें खलेगी।
श्री कालका प्रसादजी से मेरी अंतिम मुलाकात उनकी मृत्यु से हफ्तेभर पहले 19 नवंबर 2023 को आगरा में हुई थी जहां शिवहरेवाणी ने एक भव्य परिचय सम्मेलन कराया था। उस समय उनसे ज्यादा बात नहीं हो सकी। वह भले चंगे थे, कोई सोच भी नहीं सकता था कि इसके एक हफ्ते बाद 27 नवंबर 2023 को उनके देहावसान की दुखद समाचार प्राप्त होगा। वह हमारे बीच नहीं हैं लेकिन हमारी स्मृति में वह सदैव जीवित रहेंगे। आज उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर उनकी पावन स्मृतियों को नमन करता हूं।
(लेखक जाने-माने समाजसेवी औऱ प्रख्यात शिक्षाविद हैं। भोपाल के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान समूह ‘एलएनसीटी’ के चेयरमैन हैं, अखिल भारतवर्षीय हैहय कलचुरी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं)

Leave feedback about this

  • Quality
  • Price
  • Service

PROS

+
Add Field

CONS

+
Add Field
Choose Image
Choose Video