ग्वालियर।
आनंदमयी चेतना के प्रतीक भगवान जगन्नाथ का नाम आते ही ओडिशा के जगन्नाथ पुरी का खयाल आ जाता है। लेकिन कम ही लोगों को पता है कि मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भी प्रभु जगन्नाथ विराजमान हैं, यहां के कुलैथ गांव में प्रभु जगन्नाथ का मंदिर भी है, जहां पुरी की भांति ही हर साल रथयात्रा निकाली जाती है। पिछले पांच वर्षों से ऐतिहासिक ग्वालियर शहर में भी इस्कॉन के तत्वावधान जगन्नाथ रथयात्रा निकाली जाने लगी है। बीते शनिवार को ग्वालियर में जगन्नाथ रथयात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से होकर निकली तो आस्थावान कलचुरी समाजबंधुओं व महिलाओं ने झाड़ु लगाकर यात्रा-मार्ग की सफाई की, और भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना कर यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं का स्वागत किया। और रस्सी पकड़कर रथ भी खींचा।
कलचुरी महासंघ ग्वालियर के बैनर तले इस कार्यक्रम का संयोजन महासंघ के कोषाध्यक्ष श्री राकेश शिवहरे एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती उर्मिला शिवहरे ने किया था। श्री राकेश शिवहरे के नई सड़क स्थित प्रतिष्ठान ‘शारदा होटल’ पर स्वागत की व्यवस्था रखी गई थी। इस्कॉन के तत्वावधान में शनिवार को जगन्नाथ रथयात्रा सनातन मंदिर के जीएमवाईसी मैदान से शुरू हुई। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव की उपस्थिति में निकली रथयात्रा में मानों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा हो। यात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए देर रात जब नई सड़क पहुंची, तो शारदा होटल पर एकत्र कलचुरी महासंघ व महिला मंडल के पदाधिकारी व सदस्य हाथ में झाड़ू लेकर सड़क को साफ करने में जुट गए। यात्रा पहुंची तो उनमें शामिल श्रद्धालुओं का भव्य स्वागत किया गया। रथ पर सवार भगवान जगन्नाथ की पूजा-अर्चना और आरती के बाद सभी को केले का प्रसाद वितरित किया गया। इसके बाद कलचुरी समाजबंधु स्वयं जगन्नाथ रथयात्रा में शामिल हो गए। इस दौरान अध्यक्ष श्री सतीश जायसवाल, कार्यकारी अध्यक्ष श्री भजनलाल राय, अंतूराम महाजन, संजय जायसवाल, अंकित शिवहरे, अजय शिवहरे के साथ ही महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती अर्चना जायसवाल, श्रीमती राजकुमारी शिवहरे, श्रीमती अंकिता शिवहरे, अर्चिता शिवहरे, वंशिका शिवहरे भी उपस्थित रहे।
कुलैथ में ऐतिहासिक जगन्नाथ मंदिर
आपको बता दें कि ग्वालियर से 17 किलोमीटर दूर कुलैथ गांव में जगन्नाथ रथयात्रा 7 जुलाई को निकाली गई थी। कुलैथ स्थित जगन्नाथ मंदिर लगभग 180 वर्ष पुराना है। बताते हैं कि कुलैथ गांव के सांवलेदास श्रीवास्तव बाल्यावस्था में जगन्नाथ मंदिर दंडवत करते गए थे और उन्होंने 1846 तक सात बार पुरी की दंडवत यात्रा की। इससे भगवान उनके साथ यहां आ गए और इसी साल घर में उनका मंदिर बनवाया गया। इस तरह मंदिर को 178 वर्ष हो गए हैं। बाबा सांवलेदास के प्रपौत्र श्री किशोरीलाल श्रीवास्तव आज इस मंदिर के पुजारी हैं।
कुलैथ के मंदिर में होता है यह चमत्कार
खास बात यह है कि हर साल जगन्नाथ पुरी में होने वाली मुख्य रथयात्रा साढ़े तीन घंटे के लिए रूकती है और उस वक्त वहां घोषणा की जाती है कि भगवान जगन्नाथजी, पुरी से ग्वालियर के कुलैथ चले गए हैं। इसी वक्त कुलैथ में यह चमत्कार होता है कि यहां भगवान की तीनों मूर्तियों की आकृति बदल जाती हैं, उनका बजन भी बढ़ जाता है। मुख्य पुजारी किशोरीलाल को भी इसका आभास होता है। इसके बाद कुलैथ मंदिर की मूर्ति को रथ में बिठाकर रथ खींचने की शुरूआत जाती है। कुलैथ और पुरी में दोनों ही मंदिरों में चावल से भरे घट के अटका ( मटका) चढ़ाए जाते हैं। हालांकि कुलैथ में मटका चढ़ाए जाने पर यह चमत्कारिक रूप से चार भाग में बंट जाता है।
Leave feedback about this