August 28, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

सत्यम शिवहरे की इस भावना के लिए एक सैल्यूट को बनता है; बेसहारा वृद्धों और बच्चों के साथ सेलिब्रेट किया जन्मदिन

आगरा।
खुद के लिए तो हर कोई जीता है लेकिन कम ही लोग होते हैं, जो दूसरों की खुशी में अपनी खुशी तलाश लेते हैं। आगरा के युवा आर्किटेक्ट श्री सत्यम शिवहरे ने इसी की मिसाल पेश की। उन्होंने बीते रोज अपना जन्मदिन उन वृद्धजनों के साथ सेलिब्रेट किया, जिनके बच्चे तक अब उनके अपने नहीं रहे। उन्होंने अपनी खुशी में उन बच्चों को भी शरीक किया जो ‘नियति का अन्याय’ झेल रहे हैं।

सत्यम शिवहरे आगरा में आलमगंज स्थित राधाकृष्ण मंदिर (शिवहरे समाज) के महासचिव मुकुंद शिवहरे के पुत्र हैं। सत्यम वर्तमान में दिल्ली में एक प्रतिष्ठित रियल एस्टेट कंपनी में र्हैं और बीते रोज अपना 28वां जन्मदिन मनाने के लिए आगरा में थे। उन्होंने अपना जन्मदिन कीठम स्थित वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों के साथ मनाया, जिसके बाद परिवारीजनों के साथ रुनकता स्थित सत्य साईं आश्रम भी गए और वहां रहने रहे बुजुर्गों व अक्षम-निराश्रित बच्चों की भी सेवा की।

कीठम के वृद्धाश्रम में सत्यम शिवहरे और परिवार के लोगों ने वहां रहने वाले 88 बुजुर्गों को भोजनकक्ष में बिठाकर स्वादिष्ट व्यंजनों का लंच कराया, और पांव छूकर उन्हें दक्षिणा भी प्रदान की। कुछ ऐसे भी असहाय बुजुर्ग थे जो भोजनकक्ष तक आने मे अक्षम थे, उनको उनके कमरे में ही भोजन परोसा गया। कढ़ी चावल, आलू पनीर व जीरा आलू की सब्जी, पूड़ी, कचौड़ी और खीर का भोजन श्री मुकुंद शिवहरे के प्रतिष्ठान के हलवाइयों द्वारा वृद्धाश्रम में ही बनाया गया था। इस दौरान पूरा आश्रम लजीज भोजन की खुश्बू से चहक उठा।भोजन के पश्चात सभी बुजुर्गों को फ्रूटी, नमकीन, बिस्कुट के पैकेट आदि भेंट किए गए। इस दौरान सत्यम शिवहरे के साथ उनके पिता श्री मुकुंद शिवहरे, मम्मी श्रीमती सोनिया शिवहरे, बहन श्रीमती श्रेया गुप्ता, बहनोई श्री विशेष गुप्ता और अनुज श्री शिवम शिवहरे ‘गोलू’ के अलावा चाचा श्री आलोक शिवहरे, श्री अनूप शिवहरे, बुआजी श्रीमती रेखा शिवहरे, भाई विनय शिवहरे और भाभी श्रीमती उमा शिवहरे ने सेवा कार्य में भागीदारी की।

वृद्धाश्रम से सभी लोग रुनकता में शनिदेव मंदिर के निकट स्थित सत्य सांई मंदिर (आश्रम) पहुंचे, और वहां रह रहे वृद्धजनों ल अक्षम बच्चों को भोजन के पैकेट और फ्रूटी, बिस्कुट, नमकीन आदि भेंट किए। यहां रह रहे अक्षम बच्चों के साथ ‘प्रकृति का अन्याय’ देख सभी का हृदय द्रवित हो गया। कई बच्चे शारीरिक रूप से अक्षम होने के साथ मानसिक विकलांग भी थे, जिसके चलते उठ-बैठ भी नहीं सकते थे औऱ ना ही अपनी जरूरत को बता सकते थे। ऐसे बच्चों को उन्होंने अपने हाथ से भोजन कराया।

सत्यम शिवहरे का मानना है कि वृद्धाश्रमों में रह रहे बेसहारा बुजुर्ग दरअसल हमारे सांस्कृतिक पतन की जीते-जागते गवाही हैं। उनके अनुसार, समाज में इस शर्मनाक बुराई को रोकने के लिए ऐसे परिवारों की काउंसलिंग जानी चाहिए, ताकि उनके मन में अपने बुजुर्गों के प्रति सम्मान और जिम्मेदारी के भाव पैदा हों। साथ ही ऐसा करने वाली संतानों के खिलाफ कड़े कानून प्रावधान भी होने चाहिए। सत्यम कहते हैं कि बुढ़ापे में शरीर कमजोर हो जाता है, ऐसी अवस्था में हमारे माता-पिता व बुजुर्गों को हमारी सबसे ज्यादा जरूरत होती है। इसलिए हमारा कर्तव्य बनता है कि हम अपने बजुर्ग माता पिता की सेवा करें।

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