by Som Sahu August 04, 2017 Uncategorized, घटनाक्रम, साक्षात्कार 3494
- पिता श्री सुरेश चौकसे को दिया कामयाबी का पहला श्रेय
- एक लक्ष्य तय कर प्रयास करना ही सफलता की गारंटी
- सफलता के बाद शिवहरे वाणी को दिया पहला साक्षात्कार
शिवहरे वाणी नेटवर्क
भोपाल।
भोपाल की सुश्री कंचन चौकसे ने मध्य प्रदेश सिविल जज क्लास-2 (एंट्री लेवल) परीक्षा में शानदार सफलता हासिल की है। खास बात यह है कि कंचन को यह सफलता पहले ही प्रयास में हासिल हुई है। बेटी की इस कामयाबी पर पिता श्री सुरेश चौकसे की खुशी का पारावार नही है। सुश्री कंचन कहती भी हैं कि पिता की प्रेरणा और सहयोग के बिना यह सफलता संभव नहीं थी। पिता ने परीक्षा की तैयारी में हर कदम पर साथ दिया। सच तो यह है कि मेरा जज बनना मेरे पिता का सपना था और इसके लिए वही बधाई के सच्चे पात्र हैं।
गुरुवार को परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद से कंचन के घर पर बधाई देने के लिए रिश्तेदारों और पारिवारिक मित्रों व साथियों का तांता लगा हुआ है, मोबाइल भी बधाई की कॉल्स से बिजी है। ऐसे में सुश्री कंचन ने शिवहरे वाणी से विशेष बातचीत की।
सुश्री कंचन ने 2016 में भोपाल के करियर कॉलेज से एलएलबी की डिग्री ली। एलएलबी करते हुए ही कंचन ने जज बनने का निर्णय़ कर लिया था और परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी। एलएलबी के बाद उन्होंने वीएनआई ज्यूडीशरी कोचिंग ज्वाइन कर ली। कड़ी मेहनत रंग लाई और सुश्री कंचन ने पहले ही प्रयास मे बड़ी कामयाबी हासिल कर ली। अब उनका इदारा हायर ज्यूडिशयरी सर्विसेज के लिए प्रयास करने का है।
कानून के क्षेत्र में जाने का इरादा कैसे किया, इस सवाल पर सुश्री कंचन ने बताया कि स्कूल के दिनों में टीवी पर सीआईडी सीरियल देखने उन्हें अच्छा लगता था। वह देखती थीं कि सीआईडी की टीम किस तरह साक्ष्यों को जुटाकर मजबूत केस तैयार करती थी और अपराधियों को उनके किए की सजा दिलाती थी। इसी से प्रभावित होकर कानून की शिक्षा की ओर उनकी रुझान हुआ और उन्होंने एलएलबी करने का इरादा कर लिया।
एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी अकेले भी की जा सकती है लेकिन किसी कोचिंग को ज्याइन करने का सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि आप परीक्षा से पहले ही कंप्टीशन का प्रेशर फेस करना सीख लेते हैं। कोचिंग मे टेस्ट सीरीज होती थी, निबंध की तैयारी की जाती थी। कुल मिलाकर हर सप्ताह हम लक्ष्य की ओर अपनी प्रगति का आकलन कर लेते थे और कमियों को दूर करने में जुट जाते थे। वीएनआई कोचिंग के अलख मिश्राजी का वह विशेष आभार जताती हैं जिन्होंने उन्हें कभी किसी प्रकार के दबाव में नहीं आने दिया।
सुश्री कंचन का मानना है कि सिर्फ परीक्षा की तैयारी मे ही नहीं, बल्कि परीक्षा के बाद इंटरव्यू में भी उन्हें कोचिंग से बहुत लाभ मिला। इसके अलावा पिता श्री सुरेश चौकसे ने इंटरव्यू की तैयारी के दौरान उनका आत्मविश्वास बढ़ाने का काम किया। नतीजा सामने है।
दिमाग में एक निश्चित लक्ष्य होने को सुश्री कंचन कामयाबी की पहली शर्त मानती है। उनका कहना है कि दो-तीन लक्ष्य होने की स्थिति में भटकाव होता है और संकल्प कमजोर पड़ता है। सफलता के लिए आपका संकल्प जुनून की हद तक मजबूत होना चाहिए। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि एक सपना देखो, उसी को जियो और उसी को महसूस करो तो कामयाबी जरूर मिलेगी।
भोपाल मे बवाड़िया कलां निवासी श्री सुरेश चौकसे एवं श्रीमती अनीता चौकसे की सबसे बड़ी पुत्री कंचन की सफलता ने उनके छोटे भाई व बहन के लिए एक मंजिल तय करने का काम किया है। श्री सुरेश चौकसे और श्रीमती अनीता चौकसे, दोनों ही स्नातक हैं। श्री सुरेश चौकसे किन्हीं विशेष परिस्थितियों में अपनी पढ़ाई को आगे जारी नहीं रख सके लेकिन उन्होंने अपने बेटी को जिस तरह आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और उसे कामयाबी के शिखर पर पहुंचाने के लिए कभी मेंटर, कभी टीचर तो कभी दोस्त की भूमिका निभाई, वह अपने आपमें एक मिसाल है। कंचन की छोटी बहन पलक चौकसे बीसससी फाइनल की छात्रा हैं और छोटा भाई संकल्प चौकसे ग्यारहवीं कक्षा का छात्र है।
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