November 22, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

मौजमस्ती करता घूम रहा है संजीव !

by Som Sahu July 26, 2017  Uncategorizedघटनाक्रम 11581

शिवहरे वाणी नेटवर्क

आगरा

फिरोजाबाद के लापता बीसी कारोबारी संजीव गुप्ता के मामले में पुलिस को अभी कोई कामयाबी नहीं मिली है, लेकिन सामने आ रही सूचनाएं और संकेत काफी हद तक इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि वह जहां कहीं भी है, सुरक्षित है। सूत्रों का यहां तक कहना है कि संभवः संजीव खुद अपनी कैदमें है। लखनऊ से प्रकाशित होने वाले अंग्रेजी समाचार पत्र पॉयनियर ने संजीव गुप्ता के मामले की जांच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से दावा किया है कि अपने साथी कारोबारियों की देनदारियों से बचने के लिए संजीव ने खुद अपने अपहरण का ताना-बाना रचा है।इस बीच एक प्रमुख हिंदी दैनिक समाचार पत्र ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि संजीव मौज से गाड़ी में घूम रहा है और मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू’, गाना गा रहा है।

पायनियर ने अपनी रिपोर्ट में एक वरिष्ठ जांच अधिकारी को यह कहते हुए उदृत किया है, ‘हम संजीव का पता लगाने के अपने काम में जुटे हुए हैं। अब तक की जांच में यह संकेत मिले हैं कि संजीव ने अपने पार्टनरो से कई करोड़ रुपये लिए थे और अब देनदारी से बचने के लिए किडनैप होने का ड्रामा रचा है।अधिकारी ने दावा किया कि एक बार संजीव गुप्ता के बरामद होने पर अपहरण के पीछे की असली कहानी सामने आ जाएगी। इस बीच एसएसपी अजय कुमार ने बताया कि संजीव की तलाश जा रही है। बदलते लोकेशऩ के अलावा कई एंगल से मामले की जांच की जा रही है।

बता दें कि संजीव गुप्ता की सेंटा फी कार अलीगढ़ के भवाना से मिली थी जिसकी फोरेंसिक जांच में पुलिस के हाथ कुछ खास नहीं लगा। इस बीच संजीव गुप्ता की लगातार बदल रही लोकेशन भी पुलिस के लिए मुसीबत बनी हुई है।

फिरोजाबाद में नई बस्ती निवासी श्री शांतिस्वरूप गुप्ता (गुलहरे) का 45 वर्षीय पुत्र संजीव गुप्ता शहर में बीसी का बड़ा कारोबारी माना जाता है। संजीव फिरोजाबाद में बहुत कम समय में धनवान बनने के लिए चर्चित है। कुछ साल पहले तक नई बस्ती में अपने घर से चूढ़ी का गोदाम चलाने वाले संजीव ने बीसी (मासिक लाटरी) के जरिये दौलत की दुनिया में अपना मुकाम बनाया। कम रकम की बीसी से शुरुआत कर इस काम को उस मुकाम तक ले गया कि आगरा, हाथरस, मथुरा तक के बड़े कारोबारी उसके यहां बड़ी रकमों की बीसी डालने लगे। उसने सिक्का कारोबार भी चलाया जिसमें पांच साल बाद रकम 12 फीसदी सालाना ब्‍याज के साथ लौटानी होती है। इस तरह पैसा बढ़ने के साथ ही उसने कई प्रतिष्ठानों में अपनी साझीदारी कर ली थी। बताते है कि इनमें उसे सही रिटर्न नहीं मिला।

 

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