November 22, 2024
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समाचार

लापता संजीव गुप्ता की कार अलीगढ़ में मिली

by Som Sahu July 24, 2017  Uncategorizedघटनाक्रम 741

शिवहरे वाणी नेटवर्क

फिरोजाबाद

शनिवार शाम से लापता शहर के युवा कारोबारी संजीव गुप्ता की सेंटा फी कार आज सोमवार 24 जुलाई को अलीगढ़ के पास मिली है। कल देर रात एक बजे गुप्ता के परिजनों को व्हाट्सएप मैसेज मिला था जिसमें 100 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी गई थी। यही मैसेज परिवार के कई सदस्यों और मित्रों के पास भी पहुंचा है। खास बात यह है कि यह मैसेज संजीव गुप्ता के नंबर से ही ब्रॉडकास्ट हुआ प्रतीत होता है। इस व्हाट्सएप मैसेज में 100 करोड़ रुपये फिरौती की मांग करते हुए चेतावनी दी गई है अगर चालाकी करने की कोशिश की तो उसे मार दिया जाएगा।

एसएसपी अजय पांडे ने आज मीडियो बताया कि फिरौती का मैसेज वायरल होने की जानकारी पुलिस को है। उन्होंने मामले का जल्द खुलासा करने का आश्वासन देते हुए कहा कि वह खुद व्यक्तिगत रूप से मामले पर नजर रखे हुए हैं। उन्होंने बताया कि संजीव गुप्ता की कार अलीगढ़ के पास से बरामद कर ली गई है। पुलिस अब संदिग्धों की लोकेशन ट्रेस करने में जुटी है जहां संजीव गुप्ता हो सकते हैं। मामले में पुलिस की पांच टीमें लगाई गई हैं। संजीव के दोनो मोबाइल अभी भी बंद जा रहे हैं।

फिरोजाबाद में नई बस्ती निवासी श्री शांतिस्वरूप गुप्ता (गुलहरे) के 45 वर्षीय पुत्र संजीव गुप्ता शहर में बीसी के बड़े कारोबारी माने जाते हैं। साथ ही एडिफाई वर्ल्ड स्कूल और सागर रत्न होटल जैसी कई नामी प्रतिष्ठानों में पार्टनर भी हैं। वह फिरोजाबाद की पॉश कालोनी आर्टिडग्रीन में रहते हैं और शनिवार शाम को वह सागर रत्न होटल से घर लौटते समय लापता हो गए थे। घर से आर्चिड ग्रीन की दूरी महज 2 किलोमीटर की है जहां से वे अपनी कार से चंद मिनटों में घर पहुंच जाते हैं। देर शाम उनकी पत्नी श्रीमती सारिका गुप्ता की ओर से पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दी थी। एसएसपी अजय कुमार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस की कई टीमें लगाई हैं।

संजीव गुप्ता फिरोजाबाद में बहुत कम समय में धनवान बनने के लिए चर्चित हैं। कुछ साल पहले तक नई बस्ती में अपने घर से चूढ़ी का गोदाम चलाने वाले संजीव ने बीसी (मासिक लाटरी) के जरिये दौलत की दुनिया में अपना मुकाम बनाया। कम रकम की बीसी से शुरुआत कर इस काम को उस मुकाम तक ले गए कि आगरा, हाथरस, मथुरा तक के बड़े कारोबारी उनके यहां बड़ी रकमों की बीसी डालने लगे। पैसा बढ़ने के साथ ही उन्होंने कई प्रतिष्ठानों में अपनी साझीदारी कर ली।

 

 

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