by Som Sahu July 14, 2017 Uncategorized, घटनाक्रम, शख्सियत 843
- 3 वर्ष की उम्र में एक हादसे में चली गई थी आवाज, कई साल बाद लौटी थी
- अब गायक के रूप में बढ़ा रहे हैं अपनी पहचान, गीतकार और संगीतकार भी
शिवहरे वाणी नेटवर्क
मुरैना।
आम इंसान अपनी महरूमिय़त के आगे बेबस हो जाता है, दुनिया से उसे छिपाता है। लेकिन वे लोग खास होते हैं जो नियति से लड़कर अपने रास्ते खुद बनाते हैं, और महरूमियतों से अपने हिस्से की खुशी छीन लेते हैं। ऐसे ही एक खास शख्स हैं मुरैना के देंवेंद्र शिवहरे..गायक, गीतकार, संगीतकार। टीवी के सिंगिंग रियल्टी शो इंडियन आइडल के बहुत करीब तक पहुंच चुके देवेंद्र ने खासतौर से गायकी में आज जो अपनी पहचान बनाई है, उसके पीछे संघर्ष की रोचक दास्तान है।
देवेंद्र महज तीन साल के थे, जब एक हादसे ने उनकी आवाज छीन ली थी। लंबे समय तक ऐसे ही रहे, बिना बोले…यूं कहें कि गूंगा बनकर। परिजन कभी डाक्टर, कभी सयाने तो टोने-टोटके वालों के यहां चक्कर लगाते रहे। नाउम्मीदी बढ़ती जा रही थी। करीब दो-तीन साल बाद आगरा के डा. आलोक पारीक का इलाज चला। डा. पारीक का इलाज देंवेंद्र को उस ट्रॉमा से उबारने और आत्मविश्वास बढ़ाने में कारगर रहा। इसके बाद उन्होंने देवेंद्र को समझाया कि अपनी लड़ाई उन्हें खुद लड़नी होगी, शीशे के आगे खड़े होकर बोलने की कोशिश करे, खुद को बोलते हुए शीशे में देखें।। नन्हे देवेंद्र ने वही किया, घंटो शीशे के आगे बैठकर होठ चलाना, बोलने की कोशिश करना और एक दिन…मानो धरती फट गई और ताजे पानी की धार खुद ब खुद निकलने लगी। देवेंद्र की आवाज आ गई मगर हकलाहट के साथ। देवेद्र काफी हकलाता था जिस पर काबू पाने के लिए स्पीच थैरेपी ली। आज हकलाहट काफी हद तक कम हो गई है, मगर है। फिर भी मजे की बात यह है कि वह जब गाना गाते हैं तो हकलाहट कहीं नहीं रहती। कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि यह शख्स हकलाता होगा। बकौल देवेंद्र, ऐसा इसलिए कि गायकी मेरा पहला प्यार है। आवाज लौटने के साथ देवेंद्र के हौसले को पंख मिल गए और अब ख्याति के आसमान में उनकी परवाज जारी है। ग्वालियर के नागाजी इंस्टीट्यूट में इंजीनियिरंग (एनआईटी) से आईडी इंजीनियर देवेंद्र आज देशभर में गाना गाने जाते हैं। कई बड़े गायकों के साथ स्टेज शेयर कर चुके हैं।
इंडियन आइड़ल में पहला ट्राई
वर्ष 2008 में देंवेंद्र ने पहली बार इंडियन आइडल के लिए ट्राई किया। उस दिन एमपीपीईटी (इंजीनियरिंग एंट्रेंस) की परीक्षा थी। सुबह और शाम की पाली में परीक्षाएं थीं। इन दो परीक्षाओं के बीच दो घंटे के अंतराल में उन्होंने वह ऑडीशन भी दे दिया। ऑडीशन में कैलाश खेर आए थे जिनके गाये गानों को गा-गाकर ही देवेंद्र गवैया बने था। उस ऑडीशन में देवेंद्र ने कैलाश के सामने उनका ही गाया मशहूर गाना ‘तेरी दीवानी..’ सुनाया। कैलाश बहुत प्रभावित हुए, लेकिन शास्त्रीय संगीत की तालीम लेकर कुछ बारीकियों पर काम करने के बाद एक बार फिर ट्राइ करने का मंत्र देकर चले गए। देंवेंद्र उदास हुए लेकिन उनकी तारीफ में कहे कैलाश खेर के शब्दों ने उनके हौसले को और मजबूत कर दिया।
फिर बने इंडियन आइडल के टॉप-19
वर्ष 2012 में देंवेंद्र ने फिर इंडियन आइडल के लिए ट्राई किया। उनका ऑडीशन दिल्ली में हुआ। देशभर से 168 प्रतिभागियों को मुंबई बुलाया गया, जिनमें देवेंद्र भी थे। वहां विभिन्न स्तरों पर इनहाउस ऑडीशन के बाद चुने गए टॉप 19, देंवेद्र इनमें शामिल थे। अब चुनने थे टॉप-16 जिन्हें मुख्य शो में जाना था।
आइड़ल नहीं होते सिंगिंग टीवी शोज
अब देवेंद्र शिवहरे के साथ जो हुआ, वह रियल्टी शोज की हकीकत का खुलासा करता है। देवेंद्र के मुताबिक, इस दौरान शो के एक ब्रोकर ने उनसे संपर्क कर टॉप-16 मे शामिल होने के लिए 5 लाख रुपये की मांग रख दी। देवेंद्र ने अपने पिताजी श्री भगवत स्वरूप शिवहरे को यह बात बताई जो रेलवे में स्टेशन मास्टर हैं। उन्होंने देवेंद्र से कहा कि निर्णय तुम्हें लेना है, सोच-समझकर लेना। बकौल देवेंद्र, इसके बाद जब ब्रोकर उनसे मिलने आया तो उन्होंने उसे करारा जवाब दिया, कहा कि वह 15 लाख रुपये देने को तैयार है, यदि इंडियन आइडल का खिताब मिलने की गारंटी दे। और, देवेंद्र शो को वहीं छोड़कर चले आए।
यूं सामने आता रहा टेलेंट
पहली बार देंवेंद्र का टेलेंट उस समय सामने आया, जब मुरैना के टीआर गंधी स्कूल में कक्षा 5 टॉप करने पर उन्हें मंच पर बुलाया गया। प्रिंसिपल ने उनसे कहा कि वह मंच पर कोई प्रस्तुति दें जो भी उन्हं आती हो। तब देंवेंद्र को कुछ नहीं सूझा तो गाना गाया, ‘ऐ मेरे वतन के लोगों..’। उनके गाने ने सभी को प्रभावित किया। देवेंद्र ने 2008 में ग्वालियर के नागाजी इंस्टीट्यूट मे बीटेक में एडमिशन लिया। कालेज में सभी उनकी गायकी के दीवाने रहे। 2014 में उन्होंने वॉयस ऑफ ग्वालियर का खिताब जीता। देंवेंद्र ने और भी कई खिताब जीते, शोज किए, कई जगह गायन स्पर्धाओं में जज की भूमिका में रहे।
खुद के लिखे गाने यू-ट्यूब पर हिट
देवेंद्र ने कुछ गाने खुद ही लिखे और उनका संगीत तैयार कर खुद ही गाया। उनके कुछ गाने यू-ट्यूब पर भी हैं जिनके व्यूयर्स की संख्या बढ़ती जा रही है। इनमें दो गानों ‘तेरे लिए पलको की छांव में बिछाउंगा, तेरे लिए सपनों का गांव में बसाउंगा’ और ‘तुम सामने नहीं पर दीदार करता हूं, उस लड़की स हां मैं बहुत प्यार करता हूं’ को लोगों ने खासतौर पर पसंद किया है।
विरासत में गायकी
देवेंद्र बताते हैं कि गायकी उन्हें विरासत में मिली है। उनके पिता श्री भगवत स्वरूप शिवहरे और माताजी श्रीमती भारती शिवहरे, दोनों अच्छे गायक हैं। लेकिन परिवार की जिम्मेदारी के चलते इसमें करियर को बढ़ा नहीं पाए। चाहते हैं कि देवेंद्र गायकी में नाम रोशन कर उनका सपना पूरा करे। देवेंद्र का छोटा भाई मोहित भी गायकी में आगे बढ़ रहा है। हाल ही में भोपाल में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने रॉक स्टाइल में गणेश वंदना गाने के लिए मोहित को रॉक स्टार के खिताब से सम्मानित किया था। 1990 में जन्मे देवेंद्र इन दिनों मुरैना में ‘द रॉयल आर्ट्स इवेंट्स एंड वेडिंग प्लानर’ नाम से कंपनी चलाते है जो इवेंट मैनेजमेंट के क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। उनका विवाह इसी वर्ष फरवरी में ग्वालियर की निक्की शिवहरे से हुआ है, जो खुद भी संगीत में रुचि रखती है।
समाज और राजनीति मे सक्रिय
मुरैना में रुई की मंडी स्थित पीपल वाली माता की धर्मशाला के पास रहते हैं। वह शिवसेना से जुड़े रहे हैं और वर्तमान मे ग्वालियर चंबल संभाव के अध्यक्ष हैं। साथ ही वह शिवसेना की रक्तवाहिनी सेना के चंबल संभाग के अध्यक्ष हैं। ‘रक्तदान महादान समिति’ के सदस्य हैं और मुरैना का प्रभार आपके पास यह समिति लोगों को रक्तदान संबंधित निःशुल् मदद करती है।
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