by Som Sahu July 09, 2017 घटनाक्रम, शख्सियत 642
आज हैं ताइक्वांडो की नेशनल प्लेयर, नेशनल रैफरी और नेशनल ट्रेनर
पत्नी की छुपी हुई प्रतिभा को दुनिया के सामने लाए पति मनुज शिवहरे
परफेक्ट कपल की नायाब मिसाल हैं मुरैना के मनुज और कामिनी शिवहरे
शिवहरे वाणी नेटवर्क
मुरैना।
मध्य प्रदेश के शिवपुरी की रहने वाली कामिनी शिवहरे 2003 में जब मुरैना के श्री मनुज शिवहरे के साथ विवाह बंधन में बंधी थी, तब उऩके वही सपने थे जो हर आम भारतीय नारी के होते हैं। उन्हें जरा भी अंदाजा नहीं था कि शादी के बाद भविष्य की नई राह उनका इंतजार कर रही है। इंटरनेशनल ताइक्वांडो मास्टर पति मनुज शिवहरे का साथ पाकर जैसे उनका जीवन ही बदल गया। उन्होंने ताइक्वांडों में ब्लैक बेल्ट जीता, फिर नेशनल खेला। आज देशभर में लड़कियों को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग देती हैं। ताइक्वांडो की नेशऩल रैफरी हैं।
अब श्रीमती कामिनी शिवहरे के जीवन में इतना बदलाव आ गया है, कि कभी-कभी उन्हें खुद सबकुछ सपने जैसा लगता है। वह कहती हैं कि जब श्री मनुज शिवहरे से उनकी शादी हुई तो एक हाउसवाइफ होने से अधिक कुछ सोचा ही नहीं था। वही छोटे-छोटे सपने थे जो ससुराल में पहला कदम रखने वाली एक साधारण नारी के होते हैं। घर की जिम्मेदारी अच्छे से निभानी है, सास-ससुर की सेवा करनी है..वगैरह..। शुरू में तो ऐसा ही चला। लेकिन, उन्होंने पाया कि उनके पति श्री मनुज शिवहरे तो ताइक्वांडो को अपनी जिंदगी मान चुके हैं, वह उठते-बैठते ताइक्वांडो पर ही बात करते थे। इस समय उनका करियर उठान पर था, ख्याति बढ़ रही थी। धीरे-धीरे ताइक्वांडो में उनकी रुचि भी बढ़ने लगी।
शिवहरे वाणी से विशेष बातचीत में श्रीमती कामिनी ने बताया, जीवन में टर्निंग प्वाइंट शादी के डेढ़ साल बाद आया, जब पति श्री मनुज शिवहरे एक नेशनल स्पर्धा में भाग लेने के लिए पंचमढ़ी गए और उन्हें भी साथ ले गए। वहां पति को देश के ख्यातिनाम ताइक्वांडो प्लेयर्स से फाइट करते देखा तो गर्व से सिर ऊंचा हो गया। और, ठान लिया ऐसा ही कुछ करने का, बनने का। उसी शाम उन्होंने ताइक्वांडो सीखने की इच्छा पति से जाहिर कर दी। मनुज तो जैसे इसके लिए तैयार ही बैठे थे।
मुरैना लौटते ही श्रीमती कामिनी की ट्रेनिंग शुरू हो गई। ससुराल वालों ने भी बहू की इस इच्छा का पूरा सम्मान दिया और साथ भी दिया। कामिनी शिवहरे ने स्कूल के दिनों में कराटे सीखा था जो इस ट्रेनिंग में काफी काम आया। रोज थका देने वाले ट्रेनिंग सेशन और फिर लौटकर घर का काम, बच्चों की देखभाल। चुनौती बड़ी थी लेकिन इरादे उससे कहीं अधिक मजबूत निकले। पति की ट्रेनिंग और अपनी मेहनत रंग लाई, श्रीमती कामिनी कुछ समय में ताइक्वांडों के रिंग में उतरने के लिए तैयार हो गईं। और फिर शुरू हुआ सिलसिला जीतों का… सुर्खियों का…ख्याति का…एक बहू के एक नेशनल प्लेयर बनने का।
ताइक्वांडों की ब्लैक बैल्ट धारी श्रीमती कामिनी शिवहरे आज ख्यातिनाम नेशऩल प्लेयर हैं। ताइक्वांडो में उनकी जानकारी से प्रभावित होकर ताइक्वांडो संघ ने उन्हें नेशनल रैफरी का दर्जा दे दिया। वह कई नेशनल स्पर्धाओं में रैफरी रह चुकी हैं। इन दिनों पति श्री मनुज शिवहरे की चंबल ताइक्वांडो एकेडमी में बच्चों को ट्रेनिंग देती हैं। पति श्री मनुज शिवहरे को चूंकि अक्सर बाहर जाना पड़ता है, इसीलिए एकेडमी की ज्यादातर जिम्मेदारियां कामिनी ही संभालती हैं। इसके अलावा वह कई सरकारी एवं निजी शिक्षा संस्थानों में भी ट्रेनिंग देती हैं।
श्रीमती कामिनी मानती हैं कि आज समाज में लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सीखने ही चाहिए। इसकी जरूरत सभी महसूस कर रहे हैं और इसीलिए लड़कियों को मार्शल आर्ट्स सिखाने का चलन बढ़ा है। ऐसे में ताइक्वांडो आज एक करियर के रूप में उभर रहा है। उनका मानना है कि सरकारें यदि साथ दें तो ताइक्वांडो भारत में भी उतनी ही लोकप्रियता पा सकता है जितना कोरिया, जापान या चीन में लोकप्रिय है
शिवपुरी के स्व. रमेशचंद्र शिवहरे की पुत्री कामिनी शिवहरे अपनी पढ़ाई पूरी कर करियर बनाना चाहती थीं लेकिन पिता की बीमारी के कारण पढ़ाई पूरी नहीं कर सकीं। इंटरमीडियेट करने के बाद ही उनका विवाह हो गया था। आज ताइक्वांडो में वह नाम कमा चुकी हैं और इसका सारा श्रेय श्री मनुज शिवहरे को देती हैं जिन्होंने उनकी छुपी प्रतिभा को पहचाना, उसे निखारकर उस मुकाम पर पहुंचा दिया जहां पहुंचने का सपना कभी उन्होने देखा था।
मंजिल के आसमान को छूने के बाद भी श्रीमती कामिनी ने रिश्तों की जमीन पर कसकर पैर जमा रखे हैं। अपने दोनों बच्चो समेत पूरे परिवार की देखभाल में कहीं कोई कमी नहीं रखतीं। साथ ही समाजिक क्षेत्र में भी सक्रिय हैं। मुरैना में सामाजिक क्षेत्र की गतिविधियों में कभी पीछे नहीं रहतीं। चाहे वह तंबाकू निषेध का मामला हो, या फिर नशा मुक्ति का, और ऐसे तमाम अभियानों और आयोजनों में उनकी उल्लेखनीय भागीदारी रहती है।
Leave feedback about this