डबरा (ग्वालियर)/आगरा।
ग्वालियर के डबरा में एक शिवहरे शिक्षक पर उनकी बहू ने चाकू से हमला कर उनका अंगूठा काट दिया। ससुर और बहू के अति-सम्मानीय रिश्ते में इस तरह की घटनाएं समाज को गंभीरता से सोचने को बाध्य करती हैं। इस मामले में जो सच सामने आया है, वह वही है जिसे लेकर हमारे बुजुर्ग अपनी कहावतों के जरिये समाज को चेताते रहे हैं, और हालिया सर्वे एवं परिवार परामर्श केंद्रों के रिकार्ड भी जिसकी पुष्टी करते हैं।
घायल ससुर का कहना है कि ‘गर्ममिजाज’ बहू मामूली बातों पर घर में आए दिन झगड़ा करती है, हंगामा करती है। कुछ समझाना चाहो तो उल्टा बोलती है। और, इन सबमें बहू के मायके वाले उसका साथ देते हैं। घायल ससुर के बयान में प्रथमदृष्टया सच की एक झलक तो नजर आती है। ससुर के इस बयान को परिवार परामर्श केंद्रों के सर्वे के प्रकाश में देखा जाना चाहिए जिसमें साफ होता है कि परिवार अदालतों या परामर्श केंद्रों में आने वाले 50 फीसदी से अधिक मामलों में झगड़े की मूलवजह बहू के मायकेवालों की अत्याधिक दखलंदाजी या बेटी को अनुचित शह दिया जाना है।
सुनने में अटपटा लगता है लेकिन सच स्वीकारना होगा कि बेटी के घर में मांता-पिता या मायकेवालों के अत्यधिक दखल से स्थितियां बिगड़ती हैं। एक अन्य सर्वे में यह भी सामने आया है कि मोबाइल फोन की सुलभता भी परिवारों की शांति भंग होने की एक वजह है। घर में नई बहू मोबाइल फोन पर अपने मायकेवालों से ससुराल की हर बात शेयर करती है। ज्यादातर मामलों में मायकेवालों का दखल बेटी को मोबाइल पर ‘अनुचित’ सलाहें देने से शुरू होता है और उन्हें पता ही नहीं चलता कि वे धीरे-धीरे अपनी बेटी के जीवन में जहर घोलने का काम कर रहे हैं।
डबरा में शिक्षक दिवस (5 सितंबर) ) के दिन पीड़ित शिवहरे शिक्षक के साथ बहू ने जो वारदात की, उस समय उसका भाई भी घर में मौजूद था और, बहू के हमला करने से पहले उसका भाई हमला करने के लिए दौड़ा था। शिवहरे शिक्षक उसका विरोध कर रहे थे, तभी बहू ने चाकू से उन पर हमला कर दिया, वार रोकने के लिए शिवहरे शिक्षक ने हाथ आगे बढ़ाया तो उनका अंगूठा कट गया। बेटा अंकुर भी उस समय वहीं था, और मामला शांत कराने का प्रयास कर रहा था। इस मामले में पुलिस ने बहू और उसके भाई के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है लेकिन गिरफ्तारी की खबर नहीं है। सवाल यह है कि घरों में इस तरह के हालात पैदा ही क्यों होते हैं।
बेटियां सबको प्यारी होती हैं, और कोई नहीं चाहेगा कि ससुराल में उसे कोई परेशानी हो। सुसंस्कृत और सभ्य परिवारों के लोग अपनी बेटी को शादी के बाद ससुराल में आने वाली छोटी-मोटी परेशानियों का समाधान स्वयं करने के लिए प्रेरित करते हैं, और उसकी गलत बातों को कभी शह नहीं देते। समस्या ज्यादा गंभीर होने पर मायकेवालों को आगे आना ही होता है। हमारे लिए जरूरी है कि हम अपनी बेटियों को पढ़ा-लिखाकर और अच्छे पारिवारिक संस्कारों से समृद्ध कर उन्हें विनम्र एवं संघर्षशील बनाएं, ताकि वे ससुराल में छोटी-मोटी परेशानियों की शिकायत करने के बजाय नई परिस्थितियों में स्वयं को अनुकूल बना सकें, अपनी अच्छी सोच से अपने वैवाहिक जीवन को संवारने का प्रयास करें। परिवारों की खुशी इसी में है कि वे बहू को बेटी मानें, और बहू अपने व्यवहार से स्वयं को बेटी साबित करे। शिवहरे शिक्षक के साथ हुई घटना से हमें यही सबक लेने की जरूरत है।
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