बुरहानपुर
पाठकों को याद होगा कि चार वर्ष पूर्व शिवहरेवाणी ने ही बुरहानपुर में मैक्रोविजन स्कूल के संचालक आनंद चौकसे द्वारा अपनी पत्नी श्रीमती मंजूषा को भेंट करने के लिए एक ऐसा मकान बनवाए जाने का समाचार प्रकाशित किया था जो हू-ब-हू आगरा के ताजमहल से मिलता-जुलता है। चार साल बाद अब यह ताजमहल जैसा मकान बनकर तैयार हो चुका है, और देश-दुनिया की मीडिया की सुर्खियों में है। लगभग सभी समाचार पत्रों ने इस समाचार को ‘बीबी के लिए बनवा दिया दूसरा ताजमहल’ या इसी तर्ज पर हैडिंग देकर छापा है। शिवहरेवाणी से बातचीत में श्री चौकसे ने कहा-बेशक यह घर मैंने अपनी पत्नी को गिफ्ट किया है, लेकिन यह मेरे शहर और शहरवासियों को भी मेरा उपहार है।
दरअसल, जब से यह घर बनकर तैयार हुआ है, बुरहानपुर शहर के लोग इसे देखने के लिए आ रहे हैं। घर के आसपास टहलते हुए अलग-अलग पोज में फोटो खिंचवाते हैं। और तो और, इस शादी के सीजन में कई प्रि-वेडिंग शूट भी यहां कराए जा चुके हैं। श्री आनंद प्रकाशजी कहते हैं कि हम किसी को रोकते नहीं है, क्योंकि बुरहानपुर एक छोटा शहर है और यहां रहने वाले लगभग सभी लोग एक-दूसरे को जानते हैं। ‘लेकिन हम हर किसी को प्रवेश की इजाजत नहीं देते, आखिर यह हमारा घर है जहां हम रहते हैं।’ जो लोग घर में आते हैं, वे घर के इंटीरियर को देखकर अचंभित हो जाते हैं। ड्राइंग रूम से ऊपर की ओर जाती संगमरमर की घुमावदार सीढ़ियों पर फूल-पत्तियों और टहनियों की शानदार पच्चीकारी, पत्थर के जालीदार झरोखे, संगमरमर के कॉलम और छत की डिजायन पर सुनहरी परत इस घर को राजसी भव्यता प्रदान करती है।
घर में एक ड्राइंग रूम के अलावा दो बेडरूम हैं जो अलग-अलग मंजिलों पर हैं। एक लाइब्रेरी और एक मेडीटेशन रूम भी है। घर में श्री आनंद चौकसे, उनकी पत्नी श्रीमती मंजुषा और पुत्र कबीर चौकसे रहते हैं। आनंद चौकसे कहते हैं कि बेशक घर के पीछे ताजमहल ही प्रेरणा है, लेकिन इंटीरियर का डिजाइन इस्लामिक नहीं है, बल्कि आधुनिक प्रभावों से परिपूर्ण है। घर में सोफे, फर्नीचर और पर्दों में भी यह सोच साफ झलकती है। यह घर 50 एकड़ में फैले उनके परिसर के एक सिरे पर है। इस परिसर में मैक्रोविजन एकेडमी, हॉस्टल और 360 बेड का एक बड़ा हॉस्पिटल भी है। इस विशाल परिसर में 90 बाई 90 वर्ग फुट भूक्षेत्र में यह घर बनाया है। इसे बनवाने के लिए श्री आनद चौकसे और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मंजुषा चौकसे कई बार आगरा गए, ताजमहल के अलग-अलग पहलुओं को देखा। यह साफ था कि उन्हें ताजमहल नहीं बनवाना था, ताजमहल जैसा घर बनवाना था। लिहाजा उनके घर का आकार ताजमहल का एक तिहाई है। घर के बाहर ताजमहल जैसी ही चार मीनारें भी बनवाई हैं, गुंबद भी है। ताजमहल की तरह ही यह घर भी एंगल से एक जैसा ही नजर आता है। घर के पीछे एक वाटरबॉडी बनाई है जिसके उथले पानी में घर की प्रतिच्छाया नजर आती है। https://www.shivharevaani.com/post/0019eb7f-231f-11eb-91b0-34e6d77e407d
घर का आंतरिक स्ट्रक्चर सीमेंट, कंक्रीट और ईंटों से तैयार किया है। घर के फर्श, सीढ़ियों और इंटीरियर में वितयनाम मार्बल, कोरियन स्टोन, मकराना मार्बल का इस्तेमाल किया है। पच्चीकारी का काम बंगाल, राजस्थान, इंदौर व अन्य जगहों से कुशल कारीगरों ने किया है। निर्माण में इतनी पैनी नजर रखी गई है, कि कहीं से भी डिजायन में असाम्यता नहीं है। श्री आनंद चौकसे जाने-माने शिक्षाविद होने के साथ ही बुरहानपुर में कलचुरी समाज के अध्यक्ष भी हैं। मल्टीनेशनल कंपनी एप्पल ने उन्हें दिल्ली और हैदराबाद में अपना मुख्य वक्ता भी नियुक्त किया था।
वरना बुरहानपुर में होता ताजमहल
आनंद चौकसे ने ताजमहल की प्रतिकृति तैयार कर आगरा से बुरहानपुर का एक पुराना रिश्ता जोड़ा है। जिस मुमताज की याद में शाहजहां ने आगरा में ताजमहल बनवाया, उसकी मुमताज की मौत बुरहानपुर में ही हुई थी। बुरहानपुर में ही मुमताज को दफनाया गया था। ताजमहल बुरहानपुर में ताजमहल बनवाना चाहता था लेकिन कहते हैं कि ताप्ती किनारे के इलाके की मिट्टी में दीमक की समस्या के कारण उसे अपना विचार बदलना पड़ा और अंत में आगरा में ताजमहल बनाया गया।
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