October 31, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
शख्सियत

बृजबिहारी प्रसाद..गरीब-वंचितों के मसीहा, पिछड़ा वैश्य वर्ग के शिखर पुरुष जिन्होंने बिहार में सामंतों को कमर तोड़ दी

24वीं पुण्यतिथि पर विशेष
बृजबिहारी प्रसाद, बिहार की राजनीति का एक बड़ा नाम जिसे गरीब-वंचितों के मसीहा के रूप में लोग आज भी याद करते हैं। शोषितों की मदद कर सामंतवादी प्रथा को समाप्त करने में उनका अहम योगदान रहा है। वहीं बिहार के बनिये, खासकर पिछड़ा वर्ग वैश्य उन्हें समाज में राजनीतिक चेतना जागृत करने वाले शिखर पुरुष के रूप में हमेशा याद करता रहेगा।
एक दौर था जब मुजफ्फरपुर और समस्त उत्तरी बिहार में सामंतों का अधिपत्य था। रंगदारी टैक्स, जमीनों पर अवैध तरीके से कब्जे होना आम बात हो गई थी। सामंतवाद तत्कालीन बिहार के विकास, गरीबी उन्मूलन और दलित उत्थान में सबसे बड़ी बाधा बना हुआ थी। ऐसे में एक कलवार परिवार में जन्मे बृजबिहारी प्रसाद ने 1984 में बिहार सरकार की अपनी इंजीनियरिंग की अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर सामंतों और बाहुबलियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। मुकाबला इस तरह दबंगई से किया, कि सारे सामंती तत्वों के हौसले चकनाचूर हो गए और वे भूमिगत हो गए।
राजनीति में बृजबिहारी प्रसाद का उदय 1990 के शुरुआती दौर में हुआ। यह वह समय था, जब पटना का गांधी मैदान राजनीतिक दलों की ताकत दिखाने का अखाड़ा बन गया था। हर नेता इस मैदान को अपने समर्थकों से भर देना चाहता था। इसी दौर में बृजबिहारी प्रसाद ने पटना के गांधी मैदान में वैश्य रैली कर सबको चौंका दिया था। रैली में बृजबिहारी प्रसाद ने बनियों से ‘सोना बेचकर लोहा खरीदने’ की अपील की। इस रैली को राष्ट्रीय मीडिया में भी जोरदार कवरेज मिला। असर यह हुआ कि जो वैश्य समाज अब तक राजनीतिक दलों के लिए महत्वहीन था, उसे महत्व मिलने लगा। इसके बाद बृजबिहारी प्रसाद की (तत्कालीन जनता दल) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से करीबी बढ़ती गई औऱ वह उनकी पार्टी जनता दल से जुड़ गए। वह विधायक बने और विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्री बने। पूर्वी चंपारण से लेकर मुजफ्फरपुर तक प्रसाद का प्रभाव क्षेत्र था, खासकर ओबीसी के बीच वह बहुत लोकप्रिय थे। लालू प्रसाद यादव ने इन क्षेत्रों में चुनावी रणनीति में प्रसाद के प्रभाव का इस्तेमाल खूब इस्तेमाल किया। 
प्रसाद ने उच्च जाति के मजबूत लोगों के खिलाफ कई पिछड़ी जाति के उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित की, जो अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में अपने प्रभाव और बाहुबल के कारण हावी थे। इनमें मुन्ना शुक्ला, जिन्हें प्रसाद के उम्मीदवार केदार गुप्ता ने हराया था और रघुनाथ पांडे जिन्हें मुजफ्फरपुर निर्वाचन क्षेत्र से बिजेंद्र चौधरी ने हराया था। प्रसाद के उम्मीदवार बसावन भगत, महेश्वर यादव और रामविचार राय भी अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों से विजयी हुए। उनके राजनीतिक प्रभाव का चरमोत्कर्ष उनकी पत्नी रमा देवी के मोतिहारी से राधा मोहन सिंह को हराने के बाद देखा गया। मोतीहारी में रमा देवी की जीत से ठीक पहले सपा विधायक एं मोतीहारी लोकसभा क्षेत्र के सदस्य देवेंद्रनाथ दुबे की हत्या में कथित तौर पर बृजबिहारी प्रसाद का नाम भी सामने आया। दुबे खुद भगोड़ा था, उसकी मौत को बिहार में अपराध के साम्राज्य के खात्मे की अहम घटना माना जाता है।
बृजबिहारी प्रसाद एक अन्य गैंगस्टर और आनंद मोहन सिंह  की बिहार पीपुल्स पार्टी के नेता छोतन शुक्ला के साथ झगड़े के लिए भी जाने जाते थे। शुक्ला की उस समय हत्या कर दी गई थी, जब वह अपने चुनाव प्रचार से लौट रहे थे। हत्या उन गुंडों ने की जिनके बारे में कहा जाता है कि वे कथित तौर पर प्रसाद के लिए काम करते थे। इधर, तकनीकी कालेजों में एडमिशन घोटाले का मामला सामने आया जिसमें कथित तौर पर बृजबिहारी प्रसाद की संलिप्तता के आरोप लगे।  लालू यादव को अपनी सरकार की छवि बचानी थी, इसीलिए उन्होंने बृजबिहारी प्रसाद को इस्तीफा देने को कहा। इसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया। जेल में तबीयत खराब होने की शिकायत पर उन्हें कड़ी सुरक्षा में  पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया। 13 जून, 1998 को प्रसाद बिहार सैन्य पुलिस के कमांडो से घिरे अपने वार्ड के बाहर टहल रहे थे,  तो कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने प्रसाद पर गोलियां चला दीं। तीन कर्मियों की मौके पर ही गोली मारकर हत्या कर दी गई। प्रसाद के साथ उनके निजी अंगरक्षक लहमेश्वर शाह को की भी मौके पर ही मौत हो गई।
बृजबिहारी प्रसाद को वैश्य समाज का बड़ा नेता माना जाता था। यही कारण है कि उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर अब भी वैश्य समाज के लोग उन्हें याद करते हैं और उनके लिए श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करते हैं। उनकी पत्नी रमा देवी शिवहर से जीत की हैट्रिक लगाने से पहले 90 के दशक के अंत में मोतिहारी से भी सांसद रह चुकी हैं। इससे अंदाज़ा लग सकता है कि बृजबिहारी प्रसाद का वर्चस्व कैसा रहा होगा। रमा देवी लोकसभा की पीठासीन सभापति हैं। 
अखिल भारतीय प्रबुद्ध जायसवाल महासभा (दिल्ली चेप्टर) ने श्री बृजबिहारी प्रसाद की पुण्यतिथि पर आज 13  जून को एक वर्चुअल मीटिंग आहूत की है जिसमें देशभर से प्रबुद्ध समाजबंधुओं भाग लेंगे। सभा में मुख्यवक्ता के रूप में उनकी धर्मपत्नी लोकसभा सभापति श्रीमती रमा देवी संबोधित करेंगी।
( दिल्ली निवासी समाजसेवी एवं विचारक श्री अवधेश कुमार साहा द्वारा उपलब्ध कराए गए इनपुट पर आधारित आलेख)
 

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