शिवहरे वाणी नेटवर्क
मुरैना।
तमाम तरक्की के बाद भी इंसान खून नहीं बना पाया है, जो हमारे जीवन का आधार है। इसकी जरूरत दूसरों के खून से ही पूरी की जा सकती है। आपने अक्सर तीमारदारों को अपने बीमारों के लिए खून के वास्ते भटकते, परेशान होते देखा होगा। लेकिन कुछ नेकदिल युवा ऐसे भी हैं जो हर जरूरतमंद के साथ खून का ऐसा अनोखा रिश्ता जोड़ रहे हैं। इन युवाओं का खून आज लोगों की रगो में दौड़ रहा है, और उन्हें जिंदा रखे हुए है।
हर साल की तरह इस साल भी सरकार ने देशभर से ऐसे नेकदिल युवाओं को चुना और उन्हें सम्मानित किया। रोहतक में हुए इस समारोह में मुरैना के देवेंद्र प्रताप शिवहरे को भी राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया। देवेंद्र अब तक 25 से अधिक बार रक्तदान कर चुके हैं, और सैकड़ों लोगों के लिए रक्त का इंतजाम करा चुके हैं। यही नहीं, महज 29 वर्ष की उम्र में देवेंद्र ने देश के पहले निःशुल्क ब्लड कॉल सेंटर की स्थापना में अहम भूमिका निभाई। इस उपलब्धि के लिए देवेंद्र प्रताप को बीते रोज मंगलवार को ग्वालियर पुलिस लाइन में हुए रक्तदान शिविर में पुलिस अधीक्षक डा. नवनीत भसीन ने भी विशेष तौर पर सम्मानित किया।
विश्व रक्तदाता दिवस के उपलक्ष्य में भारत सरकार की ओर से रोहतक में देश के सर्वश्रेष्ठ रक्तसेवकों के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। रक्तसेवी संस्था 'वक्त दें~ रक्त दें' द्वारा रविवार 16 जून को आयोजित इस समारोह में देवेन्द्र प्रताप शिवहरे के साथ मुरैना के ही रजनीश पंडित और सबलगढ़ के देवाशीष सरकार को भी सम्मान से नवाजा गया। ग्वालियर के एसपी डा. नवनीत भसीन को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में 18 जून को ग्वालियर पुलिस लाइन में आयोजित हुए रक्तदान शिविर में देवेंद्र प्रताप शिवहरे समेत तीनों रक्तसेवकों को आमंत्रित किया और उन्हें विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया।
रेलवे स्टेशन मास्टर श्री भगवत स्वरूप शिवहरे के पुत्र देवेंद्र प्रताप शिवहरे वर्ष 2009 से 2019 तक निःस्वार्थ रक्तसेवा में लगे हुए हैं, और अब तक 25 से अधिक बार रक्तदान कर चुके हैं। साथ ही ग्वालियर में शिंदे की छावनी से संचालित 'रक्तदान-महादान' समिति से जुड़कर सैकड़ों जरूरतमंदों को ब्लड उपलब्ध करा चुके हैं। खास बात यह है कि इस समिति ने देश का पहला और एकमात्र निःशुल्क ब्लड कॉल सेंटर बनाया है, जिसकी स्थापना में देवेंद्र प्रताप शिवहरे की अहम भूमिका रही है और इसके संचालन से भी जुड़े हुए हैं।
रक्तदान-महादान समिति ने देशभर में 49500 ब्लड डोनरों को अपने नेटवर्क से जोड़ा है, और कॉल सेंटर के माध्यम से हर जरूरतमंद को उसकी जगह पर ही निःशुल्क रूप से ब्लड उपलब्ध करा रही है। दावा है कि देश के किसी भी कोने से कोई भी कॉल आने के 15 मिनट के अंदर कॉलर या रिसीवर तक ब्लड डोनर पहुंच जाएगा। यह सेवा मोबाइल कॉल, टोलफ्री और व्हाट्सएप मैसेज दोनों पर मुहैया कराई गई हैं जिसके लिए निम्न तीन लाइनें 24 घंटे खुली रहती हैंः
+91 751 233 3666 (फोन)
+91 1800 233 2666 (टोलफ्री)
+91 99263 17251 (व्हाट्सएप)
कॉल रिसीव करने के लिए तीन ऑपरेटर्स लगाए गए हैं जो दिन में 8-8 घंटे की निःस्वार्थ ड्यूटी पर रहते हैं।
अंगदान भी किया
देवेंद्र प्रताप शिवहरे ने शिवहरे वाणी को बताया कि सरकार रक्तदान-महादान समिति को अब तक 7 बार सम्मानित कर चुकी है। लेकिन पहली बार उन्हें व्यक्तिगत रूप से इस सम्मान के लिए चुना गया है। रोहतक में हुए कार्यक्रम में हरियाणा सरकार के सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर, रोहतक के सांसद डॉ.अरविद शर्मा जी, रोहतक के मेयर मनमोहन गोयल, उद्योगपति राजेश जैन, AIIMS दिल्ली की ब्लड बैंक की CMO श्रीमती डॉ.पूनम कौशिक की उपस्थिति में उन्हें सम्मानित किया गया। खास बात यह है कि सम्मान समारोह के समापन पर देवेन्द्र प्रताप शिवहरे ने अपनी शारीरिक जांच करवा कर स्वयं को बोनमेरो डोनेशन के लिए भी पंजीकृत कराया। इसके तहत भविष्य में वह अपने शरीर के अंग भी किसी जरुरतमंद को दान कर सकेंगे।
समाज और राजनीति में सक्रिय
मुरैना में रुई की मंडी स्थित पीपल वाली माता के पास रहने वाले देवेंद्र सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय है। वह कलचुरी समाज के कार्यक्रमों में भी बतौर मीडिया प्रभारी के रूप में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। वह शिवसेना मे ग्वालियर चंबल संभाव के अध्यक्ष रह चुके हैं। साथ ही वह शिवसेना की रक्तवाहिनी सेना के चंबल संभाग के अध्यक्ष भी रहे थे। वर्तमान में वह ग्वालियर से संचालित निःशुल्क रक्तसेवा संस्था रक्तदान महादान समिति के मुरैना जिला प्रभारी हैं तथा विकासक्रांति संगठन मध्य प्रदेश की रक्तवाहिनी विगं के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रहते हुए जनसेवा हेतु कार्यरत हैं।
शानदार गायक भी हैं देवेंद्र
देवेंद्र की पहचान एक सिंगर के रूप में भी है। ग्वालियर के नागाजी इंस्टीट्यूट से आईटी इंजीनियर देवेंद्र आज देशभर में गाना गाने जाते हैं। कई बड़े गायकों के साथ स्टेज शेयर कर चुके हैं। वर्ष 2012 में देंवेंद्र ने इंडियन आइडल का ऑडीशन दिया और टॉप-16 में सिलेक्ट भी हुए लेकिन किन्हीं परिस्थितियों की वजह से वह आगे नहीं जा पाए। 2014 में उन्होंने वॉयस ऑफ ग्वालियर का खिताब जीता। देंवेंद्र ने और भी कई खिताब जीते, शोज किए, कई जगह गायन स्पर्धाओं में जज की भूमिका में रहे। उनके लिखे और गाये कुछ गाने यूट्यूब पर उपलब्ध हैं।
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