November 1, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
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Friendship Day Special : इस मां-बेटी की दोस्ती को सलाम! नैना की सहपाठी बन गई उसकी मां; दोनों ने एलएलबी में पाई फर्स्ट डिवीजन

हैदराबाद।
आज फ्रेंडशिप डे पर हम साझा करेंगे मां-बेटी की दोस्ती की एक अनोखी दास्तां। मां और बेटी का ऐसा दोस्ताना आपने भी कभी देखा-सुना नहीं होगा कि दोनों ने सहपाठी बनने की ठानी और एक साथ एलएलबी कर वकील बन गईं। 
जी हां, हम बात कर रहे हैं इंटरनेशनल टेबल टेनिस खिलाड़ी और सबसे कम उम्र की रिसर्च स्कॉलर नैना जायसवाल और उनकी मम्मी भाग्यलक्ष्मी जायसवाल की। मां-बेटी ने हैदराबाद के बी.आर.अंबेडकर लॉ कॉलेज से एलएलबी फाइनल ईयर की परीक्षा प्रथम श्रेणी अंकों में उत्तीर्ण की है। नैना जायसवाल के पिता श्री अश्वनी जायसवाल ने शिवहरेवाणी को बताया कि उनकी पत्नी भाग्यलक्ष्मी जायसवाल ने बेटी नैना जायसवाल को प्रेरित करने के लिए एलएलबी साथ करने का फैसला किया था। भाग्यलक्ष्मी जायसवाल स्वयं भी एमएससी (माइक्रोबायोलॉजी) कर चुकी हैं। 

वहीं नैना का कहना है कि उन्हें मम्मी के इस जज्बे पर फख्र है, उन्होंने यह भी मिसाल कायम की है कि पढ़ने-लिखने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती है। वहीं भाग्यलक्ष्मी जायसवाल का कहना है किबेटी के साथ वह हमेशा दोस्ताना रहती हैं, वैसे भी हर मां को अपनी बेटी से मित्रता जैसा संबंध रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि एलएलबी करने के दौरान नैना के साथ उन्होंने कई मामलों की केस स्टडी की। उन्होंने कहा कि यदि किसी भी स्ट्रीम में ज्ञान अर्जन करने की इच्छा हो तो इसमें कोई चीज बाधक नहीं हो सकती। 
बता दें कि नैना का छोटा भाई अगस्त्य जायसवाल भी बहुमुखी प्रतिभा का धनी है। बहुत कम उम्र में उसे गूगल ब्वॉय के रूप में ख्याति मिल चुकी है और महज 14 साल में बीए मास कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म (जनसंचार एवं पत्रकारिता) पास करने का रिकार्ड उसके नाम है। बीती जून में अगस्त्य बीपीएस से इंटरमीडियेट की परीक्षा 81 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण की और वह दो स्ट्रीम से इंटरमीडियेट करने वाले देश के पहले युवा बन गए हैं। 

बता दें कि अश्वनी जायसवाल का परिवार मूलरूप से यूपी के मलीहाबाद का है। दशकों पूर्व उनके पूर्वज व्यापार के सिलसिले में हैदराबाद में शिफ्ट हो गए थे। अश्वनी जायसवाल ने एमए (जर्नलिज्म) और एलएलबी करने के बाद कुछ समय लॉ की प्रेक्टिस की, लेकिन बाद में अपने बच्चों के डेवलपमेंट में जुट गए। उनकी मेहनत और समर्पण का ही नतीजा है कि आज नैना और अगस्त्य बहुत कम आयु में अपनी उपलब्धियों से खास पहचान बना चुके हैं। 
हैदराबाद में नारायणगुड़ा स्थित ‘जायसवाल लेन’ निवासी अश्वनी जायसवाल ने शिवहरेवाणी को बताया कि पेरेंट्स को चाहिए अपने बच्चों की पढ़ाई पर पूरा ध्यान दें। वे अंग्रेजी के पीछे न भागें बल्कि कोशिश करें कि बच्चे अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करें। चीजों को रटें नहीं, बल्कि टॉपिक को अच्छी तरह सझकर पढ़ें, सबसे बड़ी बात यह होगी कि पढ़ाई में बच्चों ने जो सीखा है, निजी जीवन में उसका इस्तेमाल भी करें। मसलन, जीव विज्ञान में बच्चो को पढ़ाया जाता है कि कौन सी चीज पौष्टिक है और क्या खाने से नुकसान होता है, फिर भी बच्चे नहीं मानते और सेहत के लिए हानिकारक चीजें खाना पसंद करते हैं। अश्वनी जायसवाल ने बताया कि अब वह समाज के बच्चों के डेवलपमेंट की दिशा में कोई ठोस पहल करना चाहते हैं।
 

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