चेन्नई/जालौन।
कोई भी सपना जादू से पूरा नहीं होता, बल्कि दृढ़ संकल्प की शक्ति से साकार होता है और यह ताकत हर व्यक्ति के अंदर होती है। हां, यह जरूर है कि इस संकल्प शक्ति को जागृत करने के लिए भी एक सपना जरूरी होता है और यह सपना कैसा भी हो सकता है। जालौन के भानु महाजन (शिवहरे) का सपना था 52 शक्तिपीठों की पैदल यात्रा करने का, जिसे पूरा करने का संकल्प लेकर घर से निकल पड़े। आज सालभर होने को आया, अब तक वह 29 शक्तिपीठों के साथ 10 ज्योतिर्लिंग, पांच पवित्र नगरी और तीन धाम के दर्शन कर चुके हैं। आज एक अगस्त को जब यह समाचार लिख रहे हैं, उनकी पैदल यात्रा को 358 दिन हुए हैं, और करीब चार हजार किलोमीटर तो पैदल नाप ही चुके होंगे।
भानु महाजन बीते वर्ष 8 अगस्त को जालौन से निकले थे और पैदल सफर करते हुए 19 अगस्त को जन्माष्टमी के दिन आगरा पहुंचे तो यहां शिवहरे समाज ने अपनी दोनों धरोहरों ‘दाऊजी मंदिर’ और ‘राधाकृष्ण मंदिर’ में उन्हें सम्मानित किया था। इसके बाद वह वृंदावन रवाना हुए जहां उन्होंने अपनी यात्रा की पहली पवित्र नगरी मथुरा-वृंदावन का भ्रमण किया और पहली शक्तिपीठ वृंदावन स्थित कात्यायनी के दर्शन किए थे। यहां से वह दिल्ली होते हुए उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक होते हुए तमिलनाडु तक एक दर्जन से अधिक राज्यों की यात्रा कर चुके हैं। आज 1 अगस्त को वह तमिलनाडु में रामेश्वर से लौटते हुए चेन्नई बाईपास पर थे, जहां से उन्होंने शिवहरेवाणी से बात की। उन्होंने बताया कि अब तक वह आठ जोड़ी नए जूते और पचास जोड़ी से अधिक मोजे चल-चल कर खराब कर चुके हैं। भानु महाजन से बातचीत की यह रिपोर्ट को आप पूरा पढ़िये, हमें यकीन है कि हिंदू धर्म, उसके तीर्थस्थलों और मंदिरों को लेकर आप अपनी जानकारी में काफी कुछ नया जोड़ पाएंगे।
इन दस ज्योतिर्लिंगों के दर्शन, ये दो बाकी
भानु महाजन ने बताया कि वह अब तक दस ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कर चुके हैं जिनमें केदारनाथ (उत्तराखंड), सोमनाथ व नागेश्वर (गुजरात), भीमाशंकर, घृष्णेश्वर व त्रयंबकेश्वर (महाराष्ट्र), महाकालेश्वर एवं ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश), मल्लिकार्जुन (आंध्र प्रदेश) और रामेश्वरम (तमिलनाडु) शामिल हैं। केवल दो ज्योतिर्लिंग के दर्शन शेष हैं जिनमें झारखंड में देवघऱ स्थित वैद्यनाथ और यूपी के वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ शामिल हैं।
तीन धाम किए, इस एक के दर्शन शेष
इसी तरह उनके तीन धाम भी पूरे हो गए हैं जिनमें बद्रीनाथ (उत्तराखंड), द्वारिका (गुजरात) और रामेश्वरम (तमिलनाडु) शामिल हैं। एकमात्र जगन्नाथ धाम (उड़ीसा) शेष है और उनका अगला पड़ाव उड़ीसा ही होने जा रहा है।
पांच पवित्र नगरियों के दर्शन, ये दो शेष
यही नहीं, वह हिंदू धर्म की पांच पवित्र नगरी मथुरा-वृंदावन (यूपी), हरिद्वार-ऋषिकेश (उत्तराखंड), द्वारिका (गुजरात), उज्जैन (मध्य प्रदेश) और कांचीपुरम (तमिलनाडु) का भ्रमण कर चुके हैं। अब केवल दो धार्मिक नगरियों का भ्रमण शेष है जिनमें अयोध्या और काशी शामिल हैं, और ये दोनों धार्मिक नगरी उत्तर प्रदेश में हैं जहां वह अपनी यात्रा के अंतिम चरण में पहुंचेंगे।
29 शक्तिपीठों के साथ देखे कई नए मंदिर
भानु महाजन ने बताया कि जिन 29 शक्तिपीठों के अब तक वह दर्शन कर चुके हैं जिनमें पहला दर्शन वृंदावन स्थित कात्यायनी शक्तिपीठ के किए थे।
1. उत्तराखंडः वृंदावन में मां कात्यायनी के दर्शन के बाद भानु दिल्ली होते हुए उत्तराखंड गए जहां गढ़वाल क्षेत्र में मनसा देवी, चंडी देवी (दोनों हरिद्वार) और सुरकंडा देवी (टिहरी) के दर्शन किए। उत्तराखंड के कुमाऊं इलाके में चार शक्तिपीठ हैं जिनके दर्शन अपनी यात्रा के अंतिम पड़ाव में करेंगे।
2. हिमाचल प्रदेशः इसके बाद हिमाचल की पांचों शक्तिपीठों नैनादेवी ज्वालादेवी, कांगड़ा देवी, चामुंडा देवी, और बगुलामुखी देवी के दर्शन किए।
3. जम्मूः हिमाचल से वह जम्मू पहुंचे जहां वैष्णोदेवी के दर्शन के साथ ही जम्मू में उन्होंने रघुनाथ धाम के दर्शन भी किए जहां 33 कोटी देवी-देवताओं का वास माना जाता है।
4. पंजाबः भानु महाजन जम्मू से पंजाब में आए जहां जालंधर में त्रिपुरमालिनी शक्तिपीठ के दर्शन किए। वह अमृतसर के रामतीर्थ मंदिर भी गए जहां महर्षि वाल्मीकि ने रामायण ग्रंथ लिखा था। यहां से 15 किलोमीटर दूर बड़े हनुमान मंदिर के दर्शन भी किए जो दुनिया का एकमात्र मंदिर है जहां हनुमानजी बैठी मुद्रा में है। मान्यता है कि इसी जगह भगवान श्री रामचंद्र के पुत्र लव और कुश ने हनुमानजी को रस्सी से बांध दिया था।
5. हरियाणाः भानु महाजन ने पंजाब से पैदल ही हरियाणा में प्रवेश किया और यहां कुरुक्षेत्र स्थित एकमात्र शक्तिपीठ श्री देवीकूप भद्रकाली के दर्शन किए। कहते हैं यहां मां का टखना गिरा था। यहां वह ज्योतिसर मंदिर भी गए जहां महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश दिया था।
6. राजस्थानः हरियाणा से भानु महाजन राजस्थान पहुंचे जहां राजधानी जयपुर के निकट विराट-अंबिका देवी के दर्शन किए। पुष्कर में मां काली और बांसवाड़ा में त्रिपुरसुंदरी के दर्शन किए। करौली मां के दर्शन वह पहले कई बार कर चुके हैं।
7. गुजरातः गुजरात में प्रवेश करते ही बार्डर पर उन्होंने अंबाजी शक्तिपीठी के दर्शन किए। चुनवल में बाला और चंपानेर में पावागढ़ की काली मां के दर्शन किए। ये तीनों शक्तिपीठ हैं।
8. महाराष्ट्रः भानु महाजन ने महाराष्ट्र में कोल्हापुर स्थित शक्तिपीठ महालक्ष्मी मंदिर के दर्शन किए।
9. मध्य प्रदेशः भानु महाजन ने मध्य प्रदेश की तीन शक्तिपीठों में फिलहाल उज्जैन स्थित हरसिद्धी माता के दर्शन किए। शेष दो शक्तिपीठों मेहर की मां शारदा और अमरकंटक की मां शोण शक्तिपीठ के दर्शन वापसी के रास्ते में करेंगे।
10. तेलंगानाः इस राज्य में उन्होंने जोगुलम्बा गडवाल शक्तिपीठ के दर्शन किए।
11. आंध्र प्रदेशः आंध्र की दोनों शक्तिपीठों सर्वशैल रामहेंद्री देवी और श्रीशैलम देवी के दर्शन किए।
12. तमिलनाडुः यहां भानु महाजन ने कांचीपुरम स्थित शक्तिपीठ कामाक्षी देवी के दर्शन किए। कन्याकुमारी स्थित सर्वाणी शक्तिपीठ और यहां से 15 किमी दूर शुति शक्तिपीठ के दर्शन किए। रामेश्वरम मंदिर में भानु महाजन ने गंगोत्री से लाए गंगाजल से अभिषेक किया।
जाग उठे तो चल दिए, थक गए तो सो लिए
पैदल धार्मिक यात्रा पर निकले भानु महाजन हाईवे किनारे किसी ढाबे पर, या सड़क किनारे किसी दुकान के फड़ पर या मंदिर के चबूतरे..रात को जहां भी जगल मिलती है, सो जाते हैं। बीते करीब एक महीने से तमिलनाडु में हैं जहां इडली-सांभर और डोसा खा-खाकर उकता चुके हैं। मगर मजबूरी है। वह उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, असम, नेपाल, बिहार होते हुए यूपी आएंगे।
जालौन में घर के हालात भी काफी बदले
भानु तो यात्रा में हैं, और उधर जालौन में उनके घर के हालात काफी बदल गए हैं। 18 वर्षीय पुत्र रितिक को वह अपनी मिठाई की दुकान और रेस्टोरेंट सौंपकर आए थे, लेकिन रितिक ने अपनी पढ़ाई पर फोकस करने का फैसला लिया, लिहाजा दुकान और रेस्टोरेंट बंद करना पड़ा। पत्नी सुमन ब्यूटी पार्लर चलाती है, उसी से तीनों बेटों की पढ़ाई और घर का खर्चा चल रहा है। सफर में लगभग 500 रुपये रोज का खर्चा है, वो भी पत्नी ही भेजती है। रोज फोन पर घर बात करते हैं। हाल ही में बड़ा बेटा ट्रेन से रामेश्वरम आया था, उनसे मिलने।
हर हाल में पूरी करुंगा यात्रा
भानु महाजन कहते हैं कि रास्ते में किसी को भी उनकी पैदल यात्रा के बारे में पता चलता है, वह उनसे आकर मिलता है। कई जगह उनका स्वागत हो चुका है। आश्चर्य तो यह है कि कई जगह मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी उनका स्वागत किया। उनका कहना है कि वह अपनी यात्रा पूरा करके ही दम लेंगे। यदि वह लोगों को अपने घर्म को समझने और सही मायने में उसका अनुपालन करने के लिए प्रेरित कर सकें, तो यही उनकी यात्रा की सफलता होगी।
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