आसनसोल (प.बंगाल)।
भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से 73 वर्षीय श्री सुरेंद्रजीत सिंह अहलुवालिया (एसएस अहलुवालिया) को चुनाव मैदान में उतारा। उनका मुकाबला तृणमूल कांग्रेस प्रत्याशी सिनेस्टार शत्रुघ्न सिन्हा से होगा। संसद में 34 साल गुजार चुके श्री एसएस अहलुवालिया तीसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। यहां चौथे चरण के तहत 13 मई को मतदान होगा।
खास बात यह है कि श्री अहलुवालिया इससे पहले दो बार लोकसभा चुनाव अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों से जीत हैं, और अब आसनसोल उनके लिए नया निर्वाचन क्षेत्र है, हालांकि यह उनका गृहनगर भी है, इसीलिए भाजपा उन्हें भूमि-पुत्र के रूप में प्रोजेक्ट कर रही है। बता दें कि भाजपा ने आसनसोल से पहले भोजपुरी फिल्मों के स्टार पवन सिंह के नाम की घोषणा की थी, लेकिन पवन सिंह ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया जिसके बाद पार्टी ने श्री एसएस अहलुवालिया को टिकट दिया है। यहां बता दें कि आसनसोल, पश्चिम बंगाल का दूसरा सबसे बड़ा शहर है जो कोयला खदानों, इस्पात संयंत्रों और रेलवे इंजन कारखानों के चलते एक प्रमुख औद्योगिक और व्यापारिक केंद्र है। यहां बड़ी संख्या में झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश के प्रवासी रहते हैं। लगभग 45% मतदाता हिंदी भाषी हैं, जिनमें से लगभग 10% सिख हैं। इस लिहाज से भी अहलुवालिया की उम्मीदवारी को भाजपा का ट्रंप कार्ड माना जा रहा है। जैसा कि अपना टिकट की घोषणा होने के बाद श्री अहलुवालिया ने कहा भी- अमी बांग्ला-ए भाषी, चिंता कोरी, आर लिखी इंग्लिश-ए, बोली हिंदी-ते (यानी मैं बंगाली में सोचता हूं, अंग्रेजी में लिखता हूं, हिंदी में बोलता हूं)।” कुल मिलाकर अहलुवालिया हिंदीभाषियों के अलावा बांग्ला-भाषियों को भी आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं। भाजपा की ओर से उन्हें प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद अहलुवालिया ग्लोबल समेत कलचुरी कलार समाज के सभी ग्रुपों में स्वजातीय बंधुओं ने उन्हें बधाइयां व शुभकामनाएं दीं है।
जीवन एवं परिवार
1951 को आसनसोल में जन्मे श्री एसएस अहलुवालिया के पिता स्व. श्री सरदार सिंह व्यापारी थे जो पंजाब से आए थे, माताजी स्व. श्रीमती दिलमोहन कौर धार्मिक प्रवृत्ति की गृहणी थीं। श्री अहलुवालिया की शुरुआती शिक्षा आसनसोल में ही सेंट जोसेफ हायर सेकेंडरी से हुई जबकि स्नातक यहीं के बिधान चंद्र कॉलेज से किया। इसके बाद उन्होंने कलकत्ता यूनीवर्सिटी लॉ कालेज से एलएलबी की। 1972 में उनका विवाह मोनिका बनर्जी से हुआ। उनकी दो पुत्रियां और तीन पुत्र हैं जो अपने-अपने परिवारों के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
राजीव गांधी के करीबी थे ; 24 साल राज्यसभा में रहे
श्री अहलुवालिया राजनीति में आने से पहले एक सफल वकील के रूप में ख्याति अर्जित कर चुके थे। उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत कांग्रेस पार्टी हुई। वह 1986 में पहली बार बिहार से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए और 2012 के बीच चार बार उच्च सदन के सदस्य रहे। कांग्रेस की ओर से दो बार (1986-92 और 1992-98) बिहार से चुने गए, और दो बार (2000-2006 और 2006-2012) भाजपा ने झारखंड से उन्हें राज्यसभा में पहुंचाया। शुरुआत में अहलुवालिया को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की टीम का सदस्य माना जाता था। राजीव गांधी के जाने के बाद वह नरसिम्हा राव की कांग्रेस में एडजस्ट हो गए, और उनकी सरकार में राज्यमंत्री भी बने। लेकिन बाद में सीताराम केसरी और सोनिया गांधी की कांग्रेस में अहलूवालिया की स्थिति पहले जैसी नहीं रही। वह न संसद में रहे, और ना ही कांग्रेस पार्टी के अंदर उन्हें कोई जिम्मेदारी मिली। तब 1999 में उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली।
2014 में पहली दफा बने सांसद, कई मंत्रालय संभाले
श्री अहलुवालिया ने 2014 में पहली बार पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और टीएमसी प्रत्याशी स्टार फुटबॉल खिलाड़ी बाइचुंग भूटिया को हराया। 2019 में, अहलूवालिया दुर्गापुर-बर्दवान से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। अपने 34 साल के संसदीय करियर में,श्री अहलूवालिया सदन में अपनी जोरदार भागीदारी के लिए सुर्खियों में बने रहे। इस दौरान उन्होंने कई अहम जिम्मेदारियां संभाली। नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल (2014-2019) में वह इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (मई 2018-मई2019), पेयजल एवं स्वच्छता राज्यमंत्री (सितंबर 2017-मई 2018), कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री (जुलाई 2016-सितंबर 2017) और संसदीय कार्य राज्यमंत्री (जून 2014-जुलाई 2016) जैसे पदों पर रहे।
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