November 21, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
शिक्षा/करियर

इस कामयाबी का जश्न भी खास…अनपरा के अविनाश अंशुल जायसवाल को मिल ही गई मंजिल; यूपीएससी में 538वीं रैंक; जानिये अविनाश अंशुल का संघर्ष, परिवार और समाज

अनपरा (सोनभद्र)
यूं तो हर कामयाबी खास होती हैं, लेकिन कुछ सफलताओं के जश्न भी अनोखे होते हैं। यूपी के सोनभद्र जिले में अनपरा कुलडोमरी निवासी अविनाश अंशुल जायसवाल की यूपीएससी की परीक्षा में कामयाबी को उसके जश्न ने और खास बना दिया। परिणाम घोषित होने के बाद अविनाश अंशुल पहली बार अनपरा के पास अपने गांव टोला ममुआर डिबुलगंज पहुंचे तो रास्ते में युवाओं ने जगह-जगह उनका स्वागत किया, लड्डू बांटे। 
अविनाश अंशुल जायसवाल ने यूपीएससी में 538वीं रैंक हासिल की है। उन्हें भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में मौका मिलना लगभग तय है, हालांकि अविनाश अंशुल ने शिवहरेवाणी को बताया कि उन्होंने दानिक्स (दिल्ली अंडमान निकोबार द्वीपसमूह सिविल सेवा) को भी प्राथमिकता में रखा है और बहुत संभव है कि उन्हें दानिक्स में जगह मिल जाए। फिलहाल बहुत विनम्र, शालीन और सरल स्वभाव के अविनाश अंशुल की कामयाबी का अनपरा में जिस तरह जश्न मनाया गया, वह अपने आपमें अनोखा है। 

अविनाश के छोटे भाई अभिनव अनंत जायसवाल ने शिवहरेवाणी को बताया कि यूपीएससी का रिजल्ट घोषित होने के चार दिन बाद अविनाश ट्रेन से नई दिल्ली से वाराणसी पहुंचे, जहां अभिनव ने उन्हें रिसीव किया और अपनी गाड़ी से गांव के लिए रवाना हुए। ये आश्चर्यजनक था कि घर के रास्ते में जगह-जगह युवाओं ने उनका स्वागत किया, मालाएं पहनाई और अपने खर्चे से लड्डू बांटे। वहीं अविनाश अंशुल ने इस बारे में बताया कि उनके पिता श्री श्याम किशोर जायसवाल राज्य विद्युत उत्पादन निगम अनपरा से रिटायर हैं। उनकी माध्यमिक शिक्षा अनपरा के एडीवी स्कूल से हुई जो इंग्लिश मीडियम है जहां अनपरा के कई बड़े अधिकारियों और इंजीनियरों के बच्चे उनके साथ पढ़ते थे। वहीं उनका परिवार अपने पैतृक गांव टोला ममुआर डिबुलगंज में ही रहता है, जहां उनके घर के आसपास आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर परिवार रहते है। एक दिन में उनका आधा समय स्कूल के अंग्रेजी माहौल में संपन्न परिवारों के सहपाठियों के साथ बीतता था और आधा वक्त अपने घर के आसपास रहने वाले दोस्तों के बीच जो आम सुविधाओं से भी महरूम थे। लेकिन, अविनाश ने दोनों में कभी फर्क नहीं किया और आज भी अपने गांव के युवाओं से उनका वही दोस्ताना बरकरार है। शायद इसीलिए, इन दोस्तों ने इस तरह अपनी खुशी का इजहार किया । फिर वह प्रशासनिक सेवा में जाने वाले गांव के पहले युवा हैं। और, नौकरियों के लिहाज से इस घोर निराशानजक दौर में सिविल सेवा में के चयन ने नई पीढ़ी के करियर के सपनों को पंख दिए हैं।

अविनाश अंशुल ने अनपरा के डीएवी कालेज से इंटरमीडियेट करने के बाद के चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) बनने के इरादे से दिल्ली विश्वविद्यालय के बीकॉम पाठ्यक्रम में दाखिला लिया। बीकॉम के बाद जामिया मिलिया विवि के एमबीए में एडमिशन लिया। इस दौरान दिल्ली में रहने और पढ़ने का खर्च मैनेज करना परिवार को मुश्किल होता जा रहा था। इसी बीच, अविनाश को जवाहरलाल नेहरू यूनीवर्सिटी (जेएनयू) में एमए (इकोनॉमिक्स) में दाखिला मिल गया तो उन्होंने एमबीए की पढ़ाई बीच में छोड़कर जेएनयू में दाखिला ले लिया। अविनाश अंशुल बताते हैं कि जेएनयू में एडमिशन ही उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट था। वहां बहुत कम खर्चे मे हॉस्टल में रहकर उन्होंने पढ़ाई की, जेएनयू में शिक्षा के शानदार माहौल ने उन्हें नई दिशा दी। यहां उनके कई सीनियर हर साल यूपीएससी में सलेक्ट होते थे, उन्हीं से प्रेरित होकर अविनाश ने सिविल सेवा में जाने की ठानी और अपना फोकस उसी तरफ शिफ्ट कर दिया। 
जेएनयू से एमए के बाद उन्होंने वहीं से एमफिल (एनवायरमेंटल इकोनॉमिक्स) किया, इसी दौरान उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवक्ता की अस्थायी नौकरी मिल गई। उन्होंने अध्यापन कार्य करते हुए सिविल सर्विस की तैयारी जारी रखी। शुरुआती असफलताओं से विचलित नहीं हुए। बीते वर्ष इंडियन इकोनॉमिक्स सर्विसेल (आईईएस) की मुख्य परीक्षा पास के साक्षात्कार तक पहुंचे लेकिन सलेक्शन नहीं हो सका। अभी छह महीने पहले ही यूपी पीसीएस परीक्षा में उनका चयन नायब तहसील के पद पर हो गया था जिससे परिवार और दोस्त को खुश थे लेकिन अविनाश की मंजिल यह नहीं थी। और, अपनी मंजिल पाने के लिए उनके पास केवल एक अंतिम प्रयास बचा था। अविनाश अंशुल ने दिल्ली में रहकर कड़ी मेहनत से तैयारी और अंतिम प्रयास में मंजिल को पा ही लिया। अविनाश अंशुल कहते हैं कि उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में गरीबी और अभावों को बहुत करीब से देखा है। उनकी कोशिश होगी कि  शिक्षा व ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए कुछ खास कर सकें। 

सोनभद्र के अनपरा कुलडोमरी के गांव टोला ममुआर डिबुलगंज में जन्मे अविनाश अंशुल का पूरा परिवार अपने व्यवहार, संस्कार और शिक्षा के चलते इलाके के लोगों के लिए आदर्श और प्रेरणास्रोत है। अविनाश के बड़े भाई अभिषेक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में एक मल्टीनेशनल बैंक में एक्जीक्युटिव मैनेजर के पद पर हैं। छोटे भाई अभिनव अनंत होटल मैनेजमेंट करने के बाद अनपरा में ही इंडेन गैस एजेंसी संचालित कर रहे हैं। अविनाश अपनी सफलता का श्रेय अपने दादा स्व बनारसी प्रसाद पूर्व ग्राम प्रधान कुलडोमरी व माता पिता को देते हुए कहा कि उनका प्रेरणा दादा के समर्थन से ही उन्होंने यह सफलता हासिल किया है।
अविनाश के पिता श्याम किशोर जायसवाल कहते है कि मुझे अपनी छोटी सी आय में इतने बड़े परिवार की परवरिश करने में मुश्किलें तो आती थीं लेकिन कभी अपने पुत्र-पुत्रियों को संस्कारित व शिक्षित करने के लिए उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। अविनाश की चार बहनें मीना जायसवाल, अल्पना, अंजना व मनीषा जायसवाल हैं। 

 

 

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