इस वर्ष हैहय क्षत्रिय वंश के कुलदीपक और हमारे आराध्य भगवान श्री सहस्रार्जुन की जन्म जयंती, सहस्रार्जुन सप्तमी, कार्तिक शुक्ल सप्तमी तिथि, रविवार दिनांक 19 नवंबर 2023 को है। सभी हैहयवंशी क्षत्रिय कलाल, कलार, कलवार, कलचुरि समाजजनों ने अपने निवास और कार्यालय में भगवान श्री सहस्रार्जुन का जन्मोत्सव पूजन एवं समाज संगठनों द्वारा अपने गांव, नगर, महानगर में समाज के सभी वर्गों को सम्मिलित कर सामूहिक रूप से भगवान श्री सहस्रार्जुन का जन्मोत्सव को प्रभावी ढंग से मनाने की दृष्टि से प्रयास करने चाहिए।
सामाजिक एकता, पारिवारिक परिचय और सामूहिक शक्ति के लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति और परिवार को सहभागी करना। महिलाओं और बच्चों की प्रतिभा को प्रदर्शित करने के अवसर प्रदान करना। वैचारिक सामाजिक चर्चा, धार्मिक और बौद्धिक उद्बोधन का आयोजन। इसके लिए अभी से योग्य जानकर या ज्ञानी व्यक्ति का चुनाव कर विषय निश्चित किया जा सकता है। शिक्षा, कला, साहित्य, संस्कृति और खेल के साथ विविध क्षेत्रों में, प्रतिभाशाली, योग्यता प्राप्त, पुरस्कृत समाज के व्यक्तियों का सम्मान और सत्कार कर जन्मोत्सव को सार्थक बनाया जा सकता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आज भी हमारे समाज के साथ जनमानस को भी भगवान श्री सहस्रार्जुन की, उनके कार्य और जीवन की सही जानकारी नहीं है इसलिए उनका नकारात्मक चरित्र ही चित्रित किया जाता है। हमने भगवान श्री सहस्रार्जुन जन्मोत्सव कार्यक्रम के समय भगवान श्री सहस्रार्जुन की उपस्थिति और उनका गुणगान जिन धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है, उनको हमारे समाजजनों के साथ-साथ जनमानस से परिचित करवाया जाना चाहिए। समाज के लेखक, कवि, कलमकार, पत्रकार, समाचार पत्रों के संपादकों ने इसके लिए विशेष प्रयास कर सामाजिक दायित्व को निभाना चाहिए। हर समाचारपत्र में कार्यक्रम के समाचार, फोटो, भगवान श्री सहस्रार्जुन से संबंधित सकारात्मक लेख का प्रकाशन हो सके, ऐसे प्रयास किए जाने चाहिए। फेसबुक, वाट्स एप, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, रील बनाने वाले, सोशल मीडिया पर कार्यरत समाज जन भी जन्मोत्सव को जनमानस तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, इसके लिए दीपावली के बाद प्रथमा से सहस्रार्जुन सप्तमी तक समाज के प्रत्येक व्यक्ति ने सभी माध्यमों पर कार्यरत रहने की आवश्यकता है।
अपने क्षेत्र के पार्षद, नगराध्यक्ष, महापौर, विधायक, सांसद, मंत्री, नेता, शीर्ष अधिकारी, लेखक, संपादक, पत्रकार और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों को भगवान श्री सहस्रार्जुन जयंती पर शुभकामना संदेश भेजें और उनके द्वारा दी गई शुभकामना संदेश के वीडियो बनाकर, उनके शुभकामना पत्रों का सोशल मीडिया पर व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। संभव हो तो जन्मोत्सव के कार्यक्रम में उनको ससम्मान आमंत्रित कर उनके सामने अपने समाज की मांग को रखा जाना चाहिए। कार्यक्रम के आयोजन से पहले और आयोजन के बाद इसके समाचार अपने क्षेत्र के सभी समाचारपत्रों में प्रकाशित करवाने और स्थानीय चैनलों पर प्रसारित करवाने के प्रयत्न किए जाने चाहिए। प्रचार-प्रसार पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
जन्मोत्सव के इस पावन अवसर पर देशभर से एकसाथ भगवान श्री सहस्रार्जुन के नाम पर कलाल, कलार, कलवार जाति के विकास के लिए कल्याण बोर्ड के गठन की मांग को भी समाज के सभी संगठनों द्वारा एकजुटता से उठाया जा सकता है। श्री सहस्रार्जुन जन्मोत्सव को अभी भी दो माह का समय है लेकिन हमारे बहुत से महत्वपूर्ण पर्व, त्योहार और उत्सवों का समय भी यही होता है। व्यापार और कृषि कार्यों में व्यस्तता भी इन दिनों अधिक होती है। इसलिए सभी ने अभी से विचार-विमर्श, कार्यक्रम की रुपरेखा निर्धारित कर जन्मोत्सव कार्यक्रम को सफल बनाने की दिशा में प्रयत्न करने चाहिए और इसमें समाज के प्रत्येक व्यक्ति ने मान-सम्मान की अपेक्षा ना करते हुए अपना सक्रिय योगदान देना चाहिए।
ध्यान रहे, हम सभी के सक्रिय योगदान, सहयोग और सहभागिता से ही समाज का विकास संभव होता है इसलिए अपने व्यक्तिगत प्रचार-प्रसार के साथ-साथ समाज के सामाजिक कार्यक्रम का भी व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए।
ॐ स्वस्ति अस्तु।
– पवन नयन जायसवाल
राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष- अखिल भारतीय जायसवाल (सर्ववर्गीय) महासभा
संयोजक- भगवान श्री सहस्रार्जुन जन्मोत्सव जागरुकता अभियान
संवाद, संदेश, संपर्क-
9421788630
pawannayanjaiswal@gmail.com
अमरावती, विदर्भ, महाराष्ट्र
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