November 22, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाज

विजय शिवहरे बोले- 32 वर्षों की मेहनत का इनाम मिला है; राजनीति में भाग्य भी काम करता है; मेरे टिकट पर शिवहरे समाज की खुशी लाजिमी

आगरा-फिरोजाबाद विधानपरिषद स्थानीय निकाय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी विजय शिवहरे ने बीते रोज आगरा में बड़े धूमधाम से अपना नामांकन दाखिल किया। शिवहरे समाज ने भी जोश और उत्साह से विजय शिवहरे को टिकट मिलने का स्वागत किया है। इसे राजनीति में शिवहरे समाज की बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि अब शिवहरे समाज राजनीतिक रूप से एक सशक्त समाज के रूप में अपनी पहचान बनाएगा। लेकिन, इन तमाम बिंदुओं और विभिन्न पहलुओं पर विजय शिवहरे क्या सोचते हैं, शिवहरेवाणी ने उनसे बात कर जानने की कोशिश की है। पेश है उनसे खास बातचीतः-

प्रश्नः एमएलसी चुनाव में आपको टिकट मिलने का आगरा और फिरोजाबाद के शिवहरे समाज ने बड़े जोश और उत्साह से स्वागत किया है। आप इसे किस रूप में देखते हैं?
उत्तरः किसी भी बड़े चुनाव में कोई प्रमुख राष्ट्रीय पार्टी किसी व्यक्ति को टिकट देती है तो उसके समाज को खुशी होती है। यह स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। शिवहरे समाज के जोश और उत्साह को भी मैं इसी तरह देखता हूं। शिवहरे मेरी पहचान है, मैं इसी समाज में पैदा हुआ, इसी में पला-बढ़ा, रिश्ते-नाते इसी में हैं, इस लिहाज से इसका खुश होना लाजिमी है। वैसे मेरी छवि किसी जाति विशेष के नेता की नहीं है, मुझे सर्वसमाज का प्यार मिला है, समर्थन मिला है। इसके लिए मैं सबका आभारी हूं। 
प्रश्नः लेकिन आपके प्रत्याशी होने को राजनीति में शिवहरे समाज की बड़ी उपलब्धि बताया जा रहा है। आप क्या कहेंगे?
उत्तरः पिचहत्तर वर्षों में यह दूसरा अवसर होगा जब उत्तर प्रदेश विधानमंडल में शिवहरे समाज का कोई व्यक्ति पहुंचेगा। इससे पहले 1991 के विधानसभा चुनाव में बांदा से भाजपा के श्री राजकुमार शिवहरे विधायक चुने गए थे। उसके 31 साल बाद अब मौका आय़ा है। इसीलिए इसे राजनीति में शिवहरे समाज की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है, और इसमें गलत भी क्या है। 
प्रश्नः तो क्या मान लें कि स्थितियों में बदलाव की शुरुआत हो चुकी है और अब शिवहरे समाज ‘राजनीतिक दलों की उपेक्षा’ से मुक्त हो जाएगा?
उत्तरः आगरा-फिरोजाबाद एमएलसी सीट पर भाजपा नेतृत्व के सामने टिकट के लिए कई मजबूत दावेदार थे, लेकिन टिकट मुझे दिया। निश्चित ही पार्टी ने मेरे काम और मेरी मेहनत व समर्पण को देखकर ही यह निर्णय किया होगा। मेरे कहने का आशय है कि राजनीतिक दलों की उपेक्षा जैसा कुछ नहीं है। एक बात पूछता हूं कि कितने शिवहरेबंधु हैं जो राजनीतिक पार्टियों से जुड़े हैं और अपनी पार्टी के लिए निस्वार्थ भाव से मेहनत कर रहे हैं। मुझे 32 साल बाद मौका मिला है, इन 32 वर्षों में मैंने पार्टी के लिए जो मेहनत की है, ये टिकट उसी का ईनाम है। मतलब यह, कि शिवहरे युवा अपनी-अपनी राजनीतिक सोच-समझ के अनुसार राजनीतिक पार्टी से जुड़े, और उसके लिए निःस्वार्थ और समर्पित भाव से एक कार्यकर्ता की तरह काम करें। एक न एक दिन उनकी पार्टी उन्हें इसका पुरस्कार देगी।
प्रश्नः यह तो व्यक्तिगत बात हुई, जो मेहनत करेगा उसे सुफल मिलेगा ही, लेकिन मैं संपूर्ण समाज की बात कर रहा हूं।
उत्तरः माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के अब तक के कार्यकाल की जो प्रमुख उपलब्धियां हैं, उनमें एक खास उपलब्धि यह भी है कि उन्होंने भारतीय राजनीति से जातिवाद को खत्म करने का काम किया है। जातियों को वोट बैंक समझने और तुष्टीकरण करने की राजनीति कमजोर हुई है। लोगों ने भाजपा की राष्ट्रवाद, संस्कृति और विकासवाद की राजनीति पर भरोसा जताया है। ‘सबका साथ-सबका विकास’ के इस दौर में किसी समाज की राजनीतिक उपेक्षा का सवाल ही नहीं उठता। फिर भी जैसा कि मैंने बताया, समाज के लोग राजनीति में आएं, और समाज संगठित हो, तभी राजनीतिक रूप से ताकतवर समाज की प्रतिष्ठा पा सकता है। राजनीतिक रूप से ताकतवर समाज से मेरा आशय उस समाज से है जिसके हितो की कोई राजनीतिक दल अनदेखी न कर सके। न कि, ऐसे समाज से जो राजनीतिक दलों के लिए महज वोट बैंक बनकर रह जाते हैं और जाति के नाम पर ठग लिए जाते हैं। जैसा कि समाजवादी पार्टी, कांग्रेस पार्टी या बहुजन समाज पार्टी जैसे करते रहे हैं।
प्रश्नः आपकी नजर में शिवहरे समाज को किस तरह संगठित किया जा सकता है?
उत्तरः पहली बात तो यह कि हमें अपने मूल पर जाना होगा। हमारी मूल जाति कलचुरी, कलार या कलवार है, शिवहरे तो इसका एक वर्ग है, जायसवाल, चौकसे, राय, वालिया जैसे और भी कई वर्ग हैं। हम शिवहरे की बात करेंगे, या केवल जायसवाल की बात करेंगे तो कभी संगठित नहीं हो सकते। यूपी में जायसवालों के नाम से कई संगठन हैं जो कलचुरी-कलार समाज का प्रतिनिधि होने का दावा तो करते हैं लेकिन हकीकत यह है कि वे अब तक समाज को संगठित नहीं पाए हैं, और ना ही कर सकते हैं। मैंने पार्टी के लिए बुंदेलखंड के कई दौरे किए, मुझे आश्चर्य हुआ जब वहां के गांव-देहात तक में शिवहरे समाज काफी अधिक संख्या में मिला। यदि शिवहरे, जायसवाल, और अन्य सभी वर्ग एकजुट हो जाएं तो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से एक सशक्त समाज की पहचान बना सकते हैं। और, केवल कलचुरी-कलार-कलवार के बैनर तले ही इन वर्गों को एकजुट किया जा सकता है। 
प्रश्नः आने वाले सालों में भाजपा का क्या भविष्य देखते हैं?
उत्तरः मैंने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी की कार्यप्रणाली और उनकी सरकार की नीतियों ने देश की आम जनता का भरोसा जीता है। विदेश नीति के मोर्चे पर भारत का रुतबा बढ़ा है। हाल के विधानसभा चुनाव के नतीजों ने विपक्ष के दुष्प्रचार का भांडा फोड़ दिया है। हाल में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा के मत-प्रतिशत में इजाफा इस बात की पुष्टी करता है कि जनता के बीच भाजपा का आधार निरंतर बढ़ रहा है। निश्चय ही मोदी सरकार और भाजपा की लोकप्रियता आने वाले सालों में भी बढ़ती रहेगी। 
प्रश्नः आगर-फिरोजाबाद विधानपरिषद क्षेत्र से विजय शिवहरे की जीत को लेकर आप कितने आश्वस्त हैं?
उत्तरः मेरे नामांकन जुलूस में बड़ी संख्या उन लोगों की थी जो मेरे चुनाव के निर्वाचन मंडल के सदस्य हैं, जिन्हें मेरे चुनाव में वोट देना है। आगरा, फिरोजाबाद जिलों के नगर निगमों और नगर पालिकाओं के पार्षद, जिला पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, ब्लॉक प्रमुख सभी लोग नामांकन जुलूस में बड़ी संख्या में थे, आपने भी देखा होगा। विजय शिवहरे तो चुनाव जीत चुका है। 
प्रश्नः समाज की भावी पीढ़ी जो राजनीति में आना चाहती है, उसे विजय शिवहरे क्या मार्गदर्शन देंगे?
उत्तरः राजनीति में जाना है तो व्यक्तित्व में सज्जनता, विनम्रता और सहृदयता जैसे गुणों को विकसित करें। जिस पार्टी के लिए काम कर रहे हैं, उसकी विचारधारा पर अपना ज्ञान बढ़ाएं। मैं पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों से प्रेरित रहा और उन्हीं के विचारों को लेकर राजनीति की है। मेरी सज्जनता और सह्रदयता ही मुझे कार्यकर्ताओं के बीच प्रिय बनाती है। युवा राजनीति में आ रहे हैं तो धैर्य का गुण भी विकसित करें और पूर्ण मनोयोग से पार्टी के लिए काम करें। आपका लक्ष्य पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ पार्टी के लिए मेहनत करना होना चाहिए है, यह करना ही आपके हाथ में है। बाकी तो किस्मत की भी भूमिका होती है। किसी का भाग्य अच्छा हो तो बहुत जल्दी सुफल मिल जाता हैं, मुझ जैसे को 32 साल इंतजार करना पड़ता है। किसी भी स्थिति में धैर्य न छोड़ें, हताश न हों…लगे रहों, एक न एक दिन इसका पुरस्कार अवश्य मिलेगा।
प्रश्नः आखिरी सवाल, आपका समाज आपसे क्या उम्मीद रखे?
उत्तरः समाज के लिए तत्पर हूं, और रहूंगा। अपने समाज के इतर भी, सर्वसमाज ने मुझे जो प्यार दिया है, उसके लिए उनका भी आभारी हूं और उनके हितों के लिए संघर्ष करता रहूंगा।

 

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