November 22, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

दाऊजी मंदिर समिति का नया अध्यक्ष कौन…दो अक्टूबर को चुनाव

शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा।
आगरा में शिवहरे समाज की प्रमुख धरोहर मंदिर श्री दाऊजी महाराज प्रबंध समिति के अध्यक्ष पद का चुनाव आगामी दो अक्टूबर को होने जा रहा है। यह चुनाव भाजपा के प्रदेश मंत्री श्री विजय शिवहरे की उपस्थिति में होगा। श्री भगवान स्वरूप शिवहरे ने बताया कि दो अक्टूबर को पूर्वाहन 11 बजे से मंदिर में परंपरागत रूप से गांधी जयंती समारोह मनाया जाएगा जिसके बाद नए अध्यक्ष के लिए चुनाव प्रक्रिया संपन्न होगी। उन्होंने समाजबंधुओं से अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर चुनाव प्रक्रिया में भागीदार बनने की अपील की है। 
बता दें कि दो अक्टूबर को श्री भगवान स्वरूप शिवहरे की अध्यक्षता वाली मौजूदा प्रबंध समिति के चार वर्ष पूर्ण हो जाएंगे। हालांकि मंदिर प्रबंध समिति का निर्धारित कार्यकाल तीन वर्ष माना जाता है। लेकिन, गत वर्ष विशेष परिस्थितियों में अध्यक्ष पद का चुनाव छह महीने के लिए टाल दिया गया था, जिसके बाद कोविड-19 महामारी के चलते चुनाव नहीं कराए जा सके थे। श्री शिवहरे के मुताबिक, ऐसे में अध्यक्ष पद के चुनाव को अब और नहीं टाला जा सकता है। 
बता दें कि दाऊजी मंदिर समिति के अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर खुली दावेदारी की व्यवस्था रही है। यानी चुनाव प्रक्रिया के दौरान कोई भी समाजबंधु अध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी ठोक सकता है और मौजूद समाजबंधु हाथ उठाकर या बैलेट से, जैसा चुनाव अधिकारी चाहे, अपना मत देते हैं। हालांकि ज्यादातर अवसरों पर चुनाव के बजाय सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुने जाने की परंपरा रही है। 
फिलहाल श्री भगवान स्वरूप शिवहरे की अध्यक्षता वाली समिति का कार्यकाल सक्रिय प्रबंधन, रचनात्मक और दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ ही निर्भीक निर्णयों एवं साहसिक कार्यप्रणाली के लिए याद रखा जाएगा, जिसके चलते पूर्वजों की यह धरोहर आज अधिक भव्यता और उपयोगिता के साथ समाज के सामने है। 
128 वर्ष पुराना मंदिर श्री दाऊजी महाराज दरअसल निर्माण कला का एक अनुपम उदाहरण है, जिसकी वजह से किसी समय पुरातत्व विभाग ने इसे अपने संरक्षण में लेने का प्रयास किया था। इसे शिवहरे समाज का सौभाग्य कहें या समाज की चेतना, कि मंदिर की हर प्रबंध समिति ने इसके शिल्प और निर्माण की कलात्मकता को संरक्षित करने और इसकी प्रतिष्ठा को बढ़ाने का कार्य किया। 
इसी क्रम में यहां धर्मशाला बनीं, फव्वारे लगे,  सौंदर्यीकरण के कार्य हुए, मंदिर में विभिन्न देवी-देवताओं के दरबार बने, और भी बहुत सारे कार्य होते रहे…कुल मिलाकर अगर तफ्सील जुटाई जाए तो पाएंगे कि हर अध्यक्ष ने अपने-अपने समय की आवश्यकता के अनुरूप उपयोगी कार्य कराए। 
लिहाजा, समाजबंधुओं की यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी बनती है कि चुनाव प्रक्रिया में विवेकसम्मत निर्णय लें, और अपनी धरोहर के संरक्षण न समाज के विकास में सहभागी बनें।

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