November 22, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
धरोहर

इस लिहाज से भी अनोखा है शिवहरे समाज का दाऊजी मंदिर, ब्रज के किसी मंदिर में नहीं भगवान कृष्ण की ऐसी प्रतिमा, देश में केवल दो मंदिर हैं ऐसे

आगरा/झांसी।
आगरा के शिवहरे समाज की धरोहर दाऊजी मंदिर यूं तो अपने शिल्प सौंदर्य और लाल पत्थर पर खूबसूरत नक्काशी के काम के लिए जाना जाता है, लेकिन एक और मामले में दाऊजी मंदिर पूरे ब्रज क्षेत्र में अनोखा है। दरअसल ब्रज क्षेत्र सहित देश के अधिकतर मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधारानी की मूर्ति विराजमान मिलती है, कुछ मंदिरों में श्रीकृष्ण के साथ उनकी पटरानी रुक्मणी की मूर्ति है। लेकिन दाऊजी मंदिर देश के उन इक्का-दुक्का मंदिरों में है जहां भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधारानी और पटरानी रुक्मणी की मूर्ति विराजमान है। बीते जन्माष्टमी महोत्सव के दौरान इस त्रयी मूर्ति के दर्शन के लिए भक्तों का रेला लगा रहा। 

मंदिर के महंत श्री राजकुमार शर्मा ने जन्माष्टमी महोत्सव के दौरान शिवहरेवाणी से बातचीत में दावा किया कि उन्होंने अब तक किसी मंदिर में भगवान कृष्ण के साथ राधारानी और रुक्मणी की प्रतिमा नहीं देखी है।  इस पर शिवहरेवाणी ने अपनी ओर से खोजबीन की तो यह दावा काफी हद तक सत्य है। ब्रज क्षेत्र में दाऊजी मंदिर (शिवहरे समाज) के अलावा दूसरा ऐसा कोई मंदिर नहीं है, जहां भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधारानी और रुक्मणी एकसाथ विराजमान हों। ब्रज के ज्यादातर मंदिरों में भगवान कृष्ण के साथ राधारानी विराजमान हैं। मथुरा स्थित द्वारिकाधीश मंदिर ब्रज क्षेत्र का अकेला मंदिर है भगवान श्रीकृष्ण के साथ रुक्मणी की प्रतिमा है लेकिन साथ में राधारानी नहींं हैं।  इसके अलावा ब्रज के किसी भी अन्य मंदिर में भगवान कृष्ण के साथ रुक्मणी की मूर्ति का उल्लेख नहीं मिलता है। 

इस लिहाज से आगरा में शिवहरे समाज के दाऊजी मंदिर को पूरे ब्रज क्षेत्र का एकमात्र मंदिर कह सकते हैं जहां भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधारानी और रुक्मणी की मूर्ति विराजमान है। श्यामल छवि के भगवान श्रीकृष्ण बीच में हैं, उनके दायीं और राधारानी और बायीं ओर उनकी वामांगनी रुक्मणी हैं। हालांकि ब्रज से लगे बुंदेलखंड के झांसी में एक मंदिर जरूर है जहां भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधारानी और रुक्मणी की ऐसी ही प्रतिमा विराजमान है। यह ऐतिहासिक मंदिर ‘मुरली मनोहर मंदिर’ के नाम से विख्यात है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1780 में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की सास सक्कू बाई ने बनवाया था। रानी लक्ष्मीबाई भी अपनी सास के साथ नियमित रूप से इस मंदिर में पूजा करने आती थीं। यह मंदिर आज भी अपनी इस अनोखी प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है और दूर-दराज से श्रद्धालु यहां आते हैं। यह मंदिर राधाअष्टमी के भव्य आयोजन के लिए भी विख्यात है। आगरा में शिवहरे समाज का दाऊजी मंदिर इसके लगभग 110 वर्ष बाद बना है। हो सकता है कि हमारे बुजुर्गों ने मंदिर में इस त्रयी प्रतिमा को विराजमान करने का आइडिया झांसी के मुरली मनोहर मंदिर से लिया हो।

फिलहाल, अफसोस इस पर हो सकता है कि आगरा में शिवहरे समाज का दाऊजी मंदिर अपने इस अनोखेपन के बावजूद उतनी ख्याति नहीं पा सका है, जैसी वास्तव में होनी चाहिए।  जबकि, यहां विराजमान मूर्ति कलात्मक सौंदर्य की दृष्टि से भी श्रेष्ठ है। दाऊजी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण, राधारानी और रुक्मणी की त्रयी प्रतिमा का विराजमान होना इस बात की तस्दीक है कि शिवहरे समाज के बुजुर्गों के मन मे मंदिर का निर्माण कराते समय इस मंदिर के माध्यम से समाज की यश-कीर्ति बढ़ाने  की आकांक्षा अवश्य रही होगी। मंदिर में शिल्प की बारीकी और कलात्मक सौंदर्य देखते ही बनता है। एक-एक चीज को इतने करीने से तैयार कराया गया है कि साधारण बुद्धि वाले लोग इस महान काम को अंजाम नहीं दे सकते। इसके लिए भगवान के प्रति समर्पण भाव के साथ ही धर्म, कला और तकनीक की  गहन जानकारी, शिल्प का गहरा ज्ञान, सौंदर्य बोध के साथ कल्पनाशीलता का  होना भी बेहद जरूरी है, और हम गर्व से कह सकते हैं कि हमारे हमारे बुजुर्ग निश्चय ही इन गुणों से समृद्ध थे। हम उन महान बुजुर्गों को नमन करते हैं जिन्होंने एक अनोखी धरोहर हमें सौंपी है। हम इस धरोहर को संजो पायें और इसका संरक्षण कर सकें, यहीं  उनके सच्चे उत्तराधिकारी होने की कसौटी होगी।
 

Leave feedback about this

  • Quality
  • Price
  • Service

PROS

+
Add Field

CONS

+
Add Field
Choose Image
Choose Video