December 14, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

सत्य का संग ही सत्संग है, सत्संग से भगवान की प्राप्ति संभव

शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा में शिवहरे समाज की धरोहर मंदिर श्रीराधाकृष्ण में चल रहे सात दिनी 'संगीतमय श्रीमद भागवत सप्ताह ज्ञन-यज्ञ' के दूसरे दिन सोमवार को बल्लभ वेदांताचार्य श्रद्धेय पं. अनिल शास्त्री चतुर्वेदी ने कहा कि सत्य का संग ही सत्संग है, और बिना सत्संग के भगवान का प्राप्ति नहीं हो सकती है। भागवत मर्मज्ञ ने परीक्षित जन्म, शुकदेवजी की कथा और नारद के वृतांत का बहुत ही रोचक और जीवंत वर्णन किया। 
लोहामंडी स्थित मंदिर श्री राधाकृष्ण में जुटे भागवत प्रेमियों को नारद प्रसंग बताते हुए भागवत मर्मज्ञ पं. अनिल शास्त्री चतुर्वेदी ने कहा कि नारदजी स्वयं दासी के पुत्र थे लेकिन सत्संग से वह महर्षि हो गए। सत्संग के द्वारा ही राजा परीक्षित का जन्म हुआ सत्संग के द्वारा ही शुकदेवजी का प्रदुर्भाव हुआ। जीवन में सत्संग का विशेष महत्व है। यदि आप सत्य के संगत नहीं करेंगे तो जीवन के वास्तविक उद्देश्य से भटक जाएंगे। पूजा का अर्थ एकान्त में बैठकर भजन करना मात्र नहीं है। निर्धन और निर्बल, वन और पर्वतों में रहने वाले अपने भाइयों की सेवा करना भी पूजा ही है। अच्छे कार्य करना ही ईश्वर की सच्ची सेवा है। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त धर्म-शास्त्राचार्य पं. अनिल शास्त्री चतुर्वेदी ने भागवत के प्रारंभिक प्रसंगों के सारतत्वों को अपनी रसमयी अमृतमयी वाणी में घोलकर इतने रोचक अंदाज में प्रस्तुत किया, कि मंदिर परिसर में मौजूद सभी भागवत प्रेमी उस कथा से एकाकार हो गए। पं. अनिल शास्त्री चतुर्वेदी मंगलवार को  ध्रुव चरित्र, प्रहलाद चरित्र और नृसिंह अवतार के प्रसंगों का वर्णन करेंगे।
श्री राधाकृष्ण मंदिर समिति के अध्यक्ष अरविंद गुप्ता, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अशोक शिवहरे, उपाध्यक्ष रिषी शिवहरे, महासचिव मुकुंद शिवहरे, सचिव धीरज शिवहरे, कोषाध्यक्ष कुलभूषण गुप्ता रामभाई, उपकोषाध्यक्ष रवि शिवहरे, मंदिर व्यवस्थापक जगदीश गुप्ता एवं राजेंद्र गुप्ता, कार्यकारिणी सदस्य रमन गुप्ता, डा. अजय गुप्ता, मनोज शिवहरे, संजय शिवहरे, सोहन शिवहरे, बृजकिशोर गुप्ता, सुनील गुप्ता, अजय गुप्ता, हरीश शिवहरे, नीतेश शिवहरे, अखिलेश शिवहरे, किशन गुप्ता, धीरज शिवहरे, सुशील गुप्ता, अनूप गुप्ता, अरुन, आशीष. नरेश, विनय, चंदन, तुषार, अजय, सरजू गुप्ता, अंकुर गुप्ता समेत बड़ी संख्या में समाजबंधु मौजूद रहे।

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