August 5, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

आज अपने सुरों से श्मशान के सन्नाटे को तोड़ेंगे रामभाई

शिवहरे वाणी नेटवर्क
आगरा।
आमतौर पर हर शहर के बाहरी इलाके में एक श्मशान घाट या श्मशान भूमि होती है, जहां शवों का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से किया जाता है। श्मशान भूमि पर अक्सर सन्नाटा पसरा रहता है, डरावना सन्नाटा। लोग वहां जाने से डरते हैं, कतराते हैं और, अकारण जाना भी नहीं चाहते। बीच-बीच में शवयात्राओं में आने वाले गमगीन लोगों की मौजूदगी इस सन्नाटे को तोड़ती है, और फिर, उनके जाते ही फिर सन्नाटा…। किसी ने क्या खूब कहा हैः-
ऐ श्मशाम तेरा सन्नाटा क्यों नहीं जाता।
हम अपनी जां दे देकर तुझे आबाद करते हैं।।
मगर, सोमवार एक अक्टूबर को आगरा के श्मशान घाट यानी मोक्षधाम का सन्नाटा टूटने वाला है। सोमवार की दोपहर 2.30 बजे से श्री कुलभूषण शिवहरे रामभाई के सुरीले कंठ से हरी-भजन और सुंदरकांड के बोल लय और ताल की संगत पाकर मोक्षधाम के डरावने सन्नाटे को तोड़ेंगे। शाम 6.30 बजे तक चलने वाली यह प्रस्तुति इन कुछ घंटों के लिए मोक्षधाम के सन्नाटे को भय से मुक्त कर आध्यात्मिक शांति प्रदान करेगी।
श्मशानघाट में यह कार्यक्रम पहली बार नहीं हो रहा है। पिछले 15 वर्षों से हर साल पितृपक्ष में किसी भी एक सोमवार को रामभाई द्वारा यह प्रस्तुति दी जाती रही है। रामभक्त हनुमान के अनन्य भक्त रामभाई के श्रीमुख से सुंदरकांड का पाठ सुनने के लिए लोग वैसे भी लालायित रहते हैं। पितृपक्ष में होने वाले इस कार्यक्रम का तो लोगों को खासतौर पर इंतजार रहता है। 
आगरा मे शिवहरे समाज की धरोहर मंदिर श्री राधाकृष्ण के कोषाध्यक्ष श्री कुलभूषण गुप्ता रामभाई बताते हैं, ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के 15 दिनों में सभी पूर्वजों और पुण्य आत्माओं का भूलोक में आगमन होता है। वे यहां भ्रमण करती हैं। लोग इस पखवाड़े में श्राद्ध करके अपने पितरों को भोजन कराते हैं। श्मशान घाट वह जगह है जहां लोग अपने पितरों को अंतिम विदाई देते हैं। ऐसे में मान्यता यह भी है कि ये दिवंगत पूर्वज एवं पितृ इन दिनों में श्मशान घाट पर भी पहुंचते हैं। उनके मुताबिक, पूर्वजों और पितरों को हरिभजन और सुंदरकांड का श्रवण कराकर अपने-अपने पूर्वजों को तृप्त करने का बीड़ा मित्र मंडली ने उठाया है। और, मित्र मंडली की ओर से ही यह आयोजन हर वर्ष कराया जाता है।
वरिष्ठ भाजपा नेता रामभाई ने बताया कि करीब 15 वर्ष पूर्व जब यह कार्यक्रम पहली बार आयोजित किया गया, तो लोगों की अपार संख्या टूट पड़ी और कार्यक्रम को खूब सराहा गया। इससे अगले वर्ष भी यह कार्यक्रम करने की प्रेरणा मिली। आज स्थिति यह है कि लोगों को इस कार्यक्रम का इंतजार रहता है। सैकड़ों की संख्या में लोग मोक्षधाम सत्संग भवन पहुंचकर हरी-भजनों और सुंदरकांड का आनंद लेते हैं। 
 

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