August 5, 2025
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार

बहू को देंगे बेटी जैसा प्यार..विघटित न होने देंगे परिवार…हौशंगाबाद के सामूहिक विवाह सम्मेलन में संकल्प

शिवहरे वाणी नेटवर्क
हौशंगाबाद। 
मध्य प्रदेश के हौशंगाबाद में हुए सामूहिक विवाह एवं परिचय सम्मेलन में कलचुरी समाज की चेतना नुमाया सामने आई। ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’, पर्यावरण एवं स्वच्छता से संबंधित स्लोगन के बैनरों से सुसज्जित पंडाल के मंच पर विराजमान बुद्धिवीजी एवं प्रतिष्ठित समाजसेवियों ने समाज में परिवारों के विघटन की बढ़ती समस्या पर सार्थक चर्चा की। एक समान राय यह सामने आई कि बहू को बेटी मानकर प्यार देने और सास-ससुर को माता-पिता के समान सम्मान देने में ही इसका समाधान निहित है।
धानाबड़ स्थित आश्रम में हुए सम्मेलन का शुभारंभ यज्ञ के साथ हुआ। संयोजक डा. बीएम मालवीय ने बताया कि भगवान सहस्त्रबाहु के पराक्रम और वैदिक महत्व के विषय में समाज के सदस्यों और समाज के युवाओं को जानकारी होनी चाहिए। भगवान सहस्त्रबाहु वैदिक सांस्कृतिक मूल्यों के रक्षक हैं। इसी के चलते यज्ञ से इस सम्मेलन का शुभारंभ किया गया। 
परिचय सम्मेलन में करीब 250 युवक-युवतियों का रजिस्ट्रेशन किया गया। 50 युवक-युवतियों ने मंच से अपना परिचय दिया। 12 जोड़ों के रिश्ते भी तय हुए। खास बात यह है कि पंडाल में ही कुंडली मिलान की भी व्यवस्था की गई थी। सम्मेलन के दूसरे सत्र में दो जोड़ों का विवाह कराया गया। 
सम्मेलन में मंचासीन अतिथियों सर्वश्री जयमोहन राय, जगदीश मालवी, मणिशंकर राय, सीएस राय, राजाराम शिवहरे और आनंद राय ने समाज की स्मारिका संजोग का विमोचन किया। श्री सहस्त्रबाहु महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष राजाराम शिवहरे ने परिवारों के विघटन की समस्या पर चर्चा छेड़ते हुए कहा कि समाज में यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। आजकल बच्चे पढ़-लिखकर नौकरी करने बाहर चले जाते हैं और घर में माता-पिता अकेले रह जाते हैं। माता-पिता को वृद्धाश्रम भेजने के मामले भी सामने आ रहे हैं। कई बार परिवार के अंदर सास-बहू के झगड़े के कारण भी ऐसे केस सामने आए हैं, जो बड़ी चिंता का विषय है। 
शिवहरे ने कहा कि परिवार के विघटन को रोकने का एकमात्र यही उपाय है कि दोनों पक्षों को मानसिकता में सुधार करना होगा। बहू को चाहिए कि वह अपने सास-ससुर को माता-पिता के समान माने और उन्हें सम्मान दे, और सास-ससुर को चाहिए कि बहू को बेटी की तरह मानें, उसे प्यार दें और उसकी स्वतंत्रता एवं सम्मान का ख्याल रखें। ऐसा होने पर दोनों पक्षों में एक-दूसरे के प्रति बांडिंग मजबूत होगी, और तब ऐसी कोई सूरत पैदा नहीं हो सकती कि परिवार में वृद्ध माता-पिता अकेले रह जाएं या उन्हें वृद्धाश्रम में जाना पड़े। सभी अतिथियों ने श्री राजाराम शिवहरे की बात का अनुमोदन किया। मंच से अन्य सामाजिक मुद्दों के साथ ही समाज के उत्थान पर भी चर्चा की गई। 
सम्मेलन की खास बात यह रही कि इसका भव्य पंडाल कलचुरी समाज की चेतना का प्रतीक बन गया। पंडाल में जगह-जगह स्लोगन के बैनर लगाए गए थे, जो बालिका शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण और स्वच्छता अभियान से प्रेरित थे। भोजन के पंडाल में भोजन को व्यर्थ न जाने को लेकर स्लोगन वाले बैनर लगाए गए थे। आयोजन समिति के रीतेश मालवीय ने बताया कि समाज के सदस्यों को सामाजिक दायित्वों के प्रति जागरूक करने का यह प्रयोग किया गया है। सम्मेलन में करीब 3000 लोग मौजूद रहे। 
 

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