December 3, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
वुमन पॉवर समाचार

आगरा की संध्या शिवहरे के संघर्षों को सलाम! अपने हुनर से संभाला बच्चों का जीवन; महिला दिवस पर विशेष

आगरा।
इस बार महाशिवरात्रि का पर्व आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के साथ मनाया जा रहा। लोहामंडी में आलमगंज निवासी श्रीमती संध्या शिवहरे इस दिन अपर्णा पंचशील में शिवविवाह का संगीतमयी पाठ कर इस संयोग को सार्थक करेंगी। महिला दिवस का जिक्र आते ही जेहन में उन सफल महिलाओं की तस्वीरें उभरने लगती हैं जो बड़ी अफसर बन गई हैं, या किसी कंपनी की सीईओ हैं अथवा कोई सेलिब्रिटी या सोशल एक्टिविस्ट हैं। लेकिन इन बड़ी-बड़ी उपलब्धियों की चकाचौंध में ऐसी असंख्य महिलाओं के संघर्ष की कहानियां दबकर रह जाती हैं जिन्होंने बड़े चुनौतीपूर्ण हालात में अपने बूते जीवन को आगे बढ़ाया और महिला सशक्तीकरण की नई परिभाषा गढ़ी। ऐसी ही एक महिला हैं श्रीमती संध्या शिवहरे।
लोहामंडी में आलमगंज फाटक निवासी श्रीमती संध्या शिवहरे भजन-कीर्तन गायिका हैं, और माता की चौकी, देवी जागरण, खाटू श्याम संध्या में भजन के अलावा शादी-ब्याहों में बन्ना-बन्नी, भात, हल्दी, मेहंदी समारोह में मांगलिक गीतों की प्रस्तुति देती हैं। संध्या शिवहरे पिछले लगभग 14 वर्षों से इसी तरह अपने परिवार को पार लगा रही हैं। संध्या कहती हैं कि विपरीत हालात में मै भगवान की शरण में पहुंच गई और उनकी ऐसी कृपा हुई है कि आज हर महीने कम से कम 20 प्रोग्राम तो उन्हें मिल ही जाते हैं। कई बार एक दिन में दो-दो बुकिंग होती हैं। संध्या का जीवन पहले ऐसा नहीं था। वह भी एक साधारण गृहणी थीं, घऱ में रोज सुबह-शाम पूजा-पाठ करती थीं। सुर अच्छा था तो शौकीया तौर पर भजन भी गाती थीं। नाई की मंडी में शिवहरे गली निवासी स्व. श्री प्रागनारायण एवं स्व. श्रीमती कैलो देवी की पुत्री संध्या का विवाह 1989 में लोहामंडी में आलमगंज निवासी श्री देवानंद शिवहरे से हुआ जो सामान्य प्राइवेट नौकरी करते थे। पति की कमाई ज्यादा नहीं थी, उस पर दो बेटियां और हो बेटे हो गए….मुश्किल होती थी लेकिन घर चल रहा था। 1999 में उनके पति लोहामंडी के हनुमान मंदिर की सीढ़ियों से गिर पड़े जिससे उनकी गर्दन की हड्डी टूट गई। करीब 11 महीने बिस्तर पर रहने के बाद वर्ष 2000 में उनका निधन हो गया। तब बच्चे बहुत छोटे थे, परिवार के पास कोई आर्थिक बैकअप नहीं था। कोई ऐसा हुनर भी नहीं कि तत्काल कमाई शुरू हो जाए।


ऐसे में संध्या का साथ दिया राधाकृष्ण मंदिर के पूर्व अध्यक्ष श्री विनय शिवहरे ने, जिन्होंने अपनी गत्ते की फैक्ट्री में उन्हें डिब्बे बनाने के काम पर लगा लिया। फैक्ट्री घर के बिल्कुल बगल में थी, लिहाजा संध्या को कोई मुश्किल भी नहीं थी। बच्चे भी देखतीं और काम भी करती। इन संघर्षपूर्ण स्थितियों में भी संध्या ने भगवान से लगन लगाए रखी, वह काम करती थी और भजन गुनगुनाते रहती। वर्ष 2010 में संध्या का संकट गहरा गया, जब गत्ते की फैक्ट्री घर से बहुत दूर शिफ्ट हो गई। कोई रास्ता न देख संध्या ने स्वयं को भगवान की शरण में सौंप दिया। संध्या पहले से ही आलमगंज स्थित राधाकृष्ण मंदिर (शिवहरे समाज) में होने वाले हर कीर्तन में भाग लेतीं थी, उनके सुंदर भजन सभी को मंत्रमुग्ध कर देते थे। समाज में उनकी थोड़ी-बहुत पहचान बन चुकी थी। धीरे-धीरे समाज के लोग उन्हें अपने यहां कीर्तन के लिए बुलाने लगे, बदले में कुछ पैसे भी मिल जाते थे। जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, अन्य लोग भी संध्या को अपने यहां मांगलिक कार्यक्रमों में बुलाने लगे। संध्या कार्यक्रम के अनुरूप ही प्रस्तुति देकर अपना रंग जमा देतीं। धार्मिक कार्यक्रमों में भजन के साथ सूर-तुलसी के पद और फिल्मी गीतों की धार्मिक पैरोडी भी गाती हैं, तो शादी-ब्याह में मंगलगीतों, लोकगीतों के साथ ही फिल्मी गानों को कीर्तन की धुन देकर धमाल कर देतीं हैं। आज संध्या शिवहरे इतनी लोकप्रिय हैं कि महीने में कम से कम 20 दिन तो बुक रहती ही हैं, उन्होंने अपनी फीस भी 2100 रुपये निर्धारित कर दी जिसमें वह अपनी ढोलक के साथ अपना साउंड सिस्टम भी लेकर जाती हैं। अपने काम में उन्हें बड़ी बेटी श्रीमती सपना शिवहरे का भी खूब सहयोग मिलता है जिनका विवाह नाई की मंडी निवासी श्री अनूप शिवहरे से हुआ है। सपना हर कार्यक्रम में मां के जाती हैं और वहां साउंड सिस्टम सेट करने की जिम्मेदारी उन्हीं की होती है। संध्या की छोटी बेटी ज्योति का विवाह ताजगंज निवासी श्री प्रशांत शिवहरे से हुआ है जो टूरिस्ट गाइड हैं। बड़े पुत्र अरुण का अपना टैंपो है जिस पर उसने ड्राइवर लगा रखा है, छोटा बेटा शिवम एक निजी कंपनी में जॉब करता है।
संध्या शिवहरे मानती हैं कि उस पर प्रभु की विशेष कृपा है कि कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाने दिया। उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि भगवान के भजन ही उनकी जीविका का आधार बन जाएंगे। भगवान ऐसे ही कृपा बनाए रखें। संध्या कहती हैं कि भारत में हर आम महिला अपने जीवन में संघर्ष करती है, उनके जीवन में संघर्ष रहा तो भगवान ने रास्ते भी दिए…उन्हें कोई मलाल भी नहीं।

Leave feedback about this

  • Quality
  • Price
  • Service

PROS

+
Add Field

CONS

+
Add Field
Choose Image
Choose Video