May 15, 2024
शिवहरे वाणी, D-30, न्यू आगरा, आगरा-282005 [भारत]
समाचार साहित्य/सृजन

गुरु दत्तात्रेय के आशीष से ही अर्जुन कार्तवीर्य बने थे सहस्रबाहु…दत्तात्रेय जयंती पर विशेष

अत्रीकुलोत्पन्न भगवान श्री दत्तात्रेय, भगवान श्री अर्जुन कार्तवीर्य, सहस्रार्जुन,  सहस्रबाहु के गुरु थे और अर्जुन कार्तवीर्य अपने गुरु भगवान दत्तात्रेय जी के विशेष कृपापात्र व प्रिय शिष्य थे। उन्होंने अर्जुन कार्तवीर्य की सेवा से प्रसन्न होकर उनको सर्वाधिक सिद्धि एवं वरदान दिए थे। सहस्रबाहु अर्थात हजार हाथ के समान बलशाली होने का वरदान भी भगवान दत्तात्रेय ने ही दिया था, जिसके बाद महाराजा कृतवीर्य के पुत्र होने के कारण अर्जुन को जो अब तक अर्जुन कार्तवीर्य कहलाते थे,  सहस्रार्जुन एवं सहस्रबाहु कहा जाने लगा। हैहय वंशीय क्षत्रियों के आराध्य राजराजेश्वर भगवान श्री सहस्रार्जुन के गुरुवर्य भगवान श्री दत्तात्रेय की जयंती अग्रहण/अगहन/मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है, इस पूर्णिमा को दत्त पूर्णिमा भी कहा जाता है।
इस वर्ष दत्त जयंती/ दत्त पूर्णिमा  मार्गशीर्ष मास की पूनम कलचुरि संवत् 1775 तदनुसार 07 दिसंबर 22, बुधवार को है। हैहय क्षत्रिय वंश के कुलदीपक और हम कलाल, कलार,  कलवार, कलचुरियों के आराध्य भगवान श्री अर्जुन कार्तवीर्य के गुरुवर्य भगवान श्री दत्तात्रेय हम सभी के लिए परम पूजनीय है इसलिए हम सभी दत्त पूर्णिमा को अपने निवास में या मंदिर में भगवान श्री दत्तात्रेय का दर्शन,  पूजन अवश्य करें क्योंकि श्री सहस्रार्जुन को देवत्व श्री दत्तात्रेय के आशीर्वाद के कारण ही प्राप्त हुआ था।
महाराष्ट्र में दत्त पूर्णिमा बहुत ही भक्तिभाव से मनाई जाती है। महाराष्ट्र में भगवान श्री दत्तात्रेय के बहुत मंदिर है और अन्य देवी-देवता के मंदिर में भी श्री दत्त गुरु की प्रतिमाएं प्रतिष्ठित है। महाराष्ट्र में दत्तमार्गी संप्रदाय को मानने वाले भी बहुतायत में है, इसी कारण मार्गशीर्ष एकादशी से ही महाराष्ट्र में दत्तोत्सव का प्रारंभ हो जाता है। महाराष्ट्र में कई दत्त तीर्थस्थल और दत्त अवतार संतों के तीर्थक्षेत्र है।
महाराष्ट्र की राजभाषा मराठी में लिखे हुए ‘श्रीदत्त महात्म्य’ ग्रंथ में शिष्य श्री अर्जुन कार्तवीर्य और गुरु श्री दत्तात्रेय का कई अध्यायों में विस्तृत वर्णन किया गया है। जिसमें भक्ति, वरदान और श्री सहस्रार्जुन की विरक्ति के समय भगवान श्री दत्तात्रेय द्वारा श्री सहस्रार्जुन को दो बार दिए गए आलिंगन और एक बार श्री सहस्रार्जुन के मस्तक पर अपना हाथ रखकर ज्ञान प्रदान का भी उल्लेख किया गया है। इसमें उल्लेखनीय है कि भगवान श्री सहस्रार्जुन ही एकमात्र है जिनको भगवान श्री दत्तात्रेय ने आलिंगन दिया है। भगवान श्री सहस्रार्जुन को अपना आराध्य मानने वालों ने ‘श्रीदत्त महात्म्य’ ग्रंथ का वाचन, मनन, पठन जरूर करना चाहिए। मराठी भाषा की लिपि भी देवनागरी ही है  और भाषा भी कठिन नहीं है।

‘श्रीदत्त महात्म्य’ ग्रंथ का अंश

म्हणोनि नमस्कारी ॥ ५६ ॥

प्रभू म्हणे हे दिले वर।
तूं होसी सप्तदीपेश्वर।
ऐसें बोलता योगेश्वर।
फुटले सुंदर दोन भुज ॥ ५७ ॥

मग प्रेमें दाटून।
इढ घेई देवाचे आलिंगन।
आलिंगिता द्वैतभान।
जाऊन निश्चळ राहिला ॥ ५८ ॥

ओळखोनी अंतःस्थिती।
वरदान आणूनी चित्तीं।
त्यावरी माया सोडिती।
पुनः उठविती तयातें ॥ ५९ ॥

श्रीदत्त म्हणे तयासी।
त्वां जावोनि माहिष्मती।
राज्याभिषेक आपणासी।
करवी विधिसी मदाज्ञनें ॥ ६० ॥

तथास्तु म्हणोन अर्जुन।
भावें नमन करून।
म्हणे शिरसा मान्य वचन।
विस्मरण न व्हावें तुमचे ॥ ६१ ॥

माझें असावें स्मरण।
आपले हे चरण।
हेंचि माझें जीवन।
येथें प्रमाण मन तुमचें ॥ ६२ ॥
 

श्री अर्जुन कार्तवीर्य
हैहय क्षत्रिय वंश के कुलदीपक, कलचुरियों (कलाल, कलार, कलवार) के पूर्वज एवं आराध्य, भगवान श्री विष्णु के सुदर्शन चक्र अवतारी, महाराजा कृतवीर्य और महारानी पद्मिनी के सुपुत्र, भगवान दत्तात्रेय के विशेष कृपापात्र शिष्य, नर्मदा तट पर अपनी राजधानी माहिष्मती ( कुछ इसे महेश्वर, जि. खरगोन, म.प्र. तो कुछ मंडला, जि मंडला, म.प्र. मानते है ) के कारागृह में दशानन लंकेश रावण को बंदी बनाकर रखने वाले चक्रवर्ती महाराज, कई राजसुय यज्ञ करनेवाले बाहुबली, सप्तदीपेश्वर, हैहयवंशी सम्राट, तंत्र-मंत्र के जनक भगवान राजराजेश्वर कार्तवीर्यार्जुन (कई ग्रंथों और पुराणों में सहस्रबाहु / सहस्रार्जुन भी लिखा हुआ है।) का जन्म कार्तिक शुक्ल सप्तमी को हुआ था। कालांतर में श्री सहस्रार्जुन के वीर, प्रतापी वंशजो ने कलचुरि राज की स्थापना कर कलचुरि संवत् का प्रारंभ किया और 1200 साल तक विश्व के बहुत बड़े भूभाग पर शासन किया। दीपावली बाद कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा / पाड़वा / एकम से कलचुरि नवसंवत का प्रारंभ होता है।

©- पवन नयन जायसवाल
राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष- अखिल भारतीय जायसवाल (सर्ववर्गीय) महासभा
संयोजक- भगवान श्री सहस्रार्जुन जन्मोत्सव जागरूकता अभियान

संपर्क-‘पूर्णिमा’, किशोर नगर
अमरावती- 444606 (महा.)
pawannayanjaiswal@gmail.com
94217 88630 

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